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मैं तो मासूम परी हूं, मुझे क्यों छोड़ दिया

गाजीपुर न्यूज़ टीम, प्रयागराज. जब मैं मां की कोख में थी तो सोच रही थी कि बाहर की दुनिया कैसी होगी, कैसे मेरे जन्मदाता, मां-पिता के साथ परिवार के सभी लोग मुझे दुलार करेंगे। लेकिन जब आंख खुली तो अपने आप को अनाथ पाया। कड़ाके दी ठंड में बिन कपड़ों के एक प्लास्टिक बैग में मेरे जन्मदाता मुझे वीराने में छोड़ गए। मैं बहुत रोई। तभी बेगाने मुझे सहारा देने मेरे पास पहुंचे और मुझे गर्म कपड़ों में लपेट कर अपनी गोद में उठा लिया।

यह शिकायत उस मासूम परी की होती अगर वह बोल पाती तो, जो कुछ घंटों पहले ही जन्मी। उसकी रोती आंखें तो यही बयां कर रही थीं। उसे झूंसी थाना क्षेत्र के छिबैया गांव के नाले में मरने के लिए फेंक दिया गया था। शनिवार दोपहर छिबैया गांव के नाले में लावारिस हालात में यह नवजात बच्ची प्लास्टिक बैग में लिपटी मिली। नवजात के मिलने की सूचना मिलते ही मौके पर लोगों की भीड़ लग गई। गांव के लोगों ने उसके लिए स्वेटर, टोपी, पायजामा लाकर दिया। सूचना पर पहुंची एम्बुलेंस के ईएमटी नरेंद्र सिंह, चालक उपेंद्र तिवारी ने बच्ची का प्रथमिक उपचार कर चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस की मानें तो उपचार के बाद बच्ची को चाइल्ड केयर सेंटर भेज दिया जाएगा।

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