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मदद की गुहार लगाते-लगाते पिता के सामने बेटे ने तोड़ दिया दम, शव ले जाने की भी नहीं हो सकी व्यवस्था

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. बनारस में मानवता को शर्मसार और झकझोर देने वाली इस घटना का जिम्मेदार कौन है इसका पता नहीं। 40 साल तक अपने कलेजे के जिस टुकड़े को पाला हो उसकी दवा और इलाज तो दूर आंखों के सामने तड़पकर मौत देखने के बाद उसके शव हटाने तक कि गुहार लगानी पड़ी।

मूलरूप से बलिया के रहनेवाले हरिवंश पांडेय पुलिस विभाग में एकाउंटेंट पद से रिटायर हुए हैं। अपने दो बेटों के साथ खुशहाल नगर सेक्टर नं 1 ,लेन 5 एम शिवपुर में रह रहे हैं। तीन दिन पहले बुखार आया और बाकी कोई भी लक्षण कोरोना के नहीं थे। दोनों बेटों के साथ खुद की तबियत मंगलवार को बिगड़ गयी तो कोरोना टेस्ट और मदद के लिए तमाम हेल्पलाइन और कंट्रोल रूम को मदद के लिए गुहार लगाते रह गए लेकिन न ही कोई मदद मिली और न ही किसी तरह का इलाज। तमाम दावे करने वालों की संवेदनशीलता के कारण पिता के सामने 40 साल के जवान बेटे ने दम तोड़ दिया।


हद तो तब हो गई जब शव को घर से ले जाने के लिए एक बार फिर गुहार लगानी पड़ी। विभाग के ही एक इंस्पेक्टर भी मदद के लिए असहाय हो गए। हरिवंश पांडेय ने खुद की किस्मत को कोसते हुए कहा  कि अब क्या कहने को बचा है। अब किससे गुहार लगाएं। बड़ा बेटा चला गया छोटे और खुद का भी भरोसा नहीं है कब तक साथ रहेगा। 108 नंबर की एम्बुलेंस घर पहुंची लेकिन जांच नहीं होने की बात करके उसने कहा कि हम अस्पताल तक छोड़ देंगे बाकी नहीं जानते। ऐसे हाल में लाचार बुजुर्ग एक बेटे के शव और दूसरे बेटे की के साथ ही खुद की लाचारी पर तरस खा रहे हैं।


अभी दो दिन पहले ही बनारस की सड़कों और ई रिक्शा में बेटे के लेकर भटकती मां ने अपने बेटे को खो दिया । ऐसी हृदयविदारक घटनाओं से भी जिम्मेदार सीख नहीं ले रहे हैं। प्रधानमंत्री की तरफ से भी जारी किए गए हेल्पलाइन ने दम तोड़ दिया है।

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