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सरकारी आंकड़ों में कोरोना मौत कुछ और श्मशान घाट पर पहुंच रहे शव के आंकड़े कुछ और

गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर. कोराना वायरस के संक्रमण ने कानपुर में ऐसा कहर बरपाया है कि हर एक गली मोहल्ले से मातमी शोर की गूंज सुनाई दे रही है। श्मशान घाटों से लेकर कब्रिस्तान तक सिर्फ लाशें ही लाशें दिखाई दे रही हैं। शहर के प्रमुख घाटों पर क्षमता से अधिक शव पहुंच रहे हैं। सोमवार देररात तक शवों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चलती रही। यहीं हाल कब्रितानों का भी है। श्मशाम घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए 6 से 7 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं, कोरोना से रही मौत के सरकारी आंकड़े कुछ और हैं, जबकि श्मशान घाट पर पहुंच रहे शव के आंकड़े कुछ और बता रहे हैं।

कानपुर में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर श्मशाम घाटों पर होने वाले अंतिम संस्कार की प्रक्रियाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं। जिले में ऐसे सैकड़ों संक्रमित हैं, जिन्हे अस्पतालों में बेड और ऑक्सिजन न मिलने तो वहीं इलाज के अभाव में घरों में दम तोड़ दे रहे हैं। मृतकों के परिजन श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं। ऐसे में शहर भर के प्रमुख घाटों में संक्रमितों के शवों के अंतिम संस्कार में कोविड प्रोटोकॉल टूट रहे हैं।


अंतिम संस्कार से पहले संक्रमित को नहलाया जा रहा

कोरोना संक्रमित शवों और लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार भैरवघाट और भगवतदास घाट विद्युत शवदाह गृह में किए जा रहा है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में संक्रमित घरों पर दम तोड़ रहे हैं। घरों में दम तोड़ने वाले शव श्मशान घाटों पर पहुंच रहे हैं। शवों के साथ आए परिजन मास्क की जगह मुंह में गमछा बांधें है। कुछ तो नॉर्मल मास्क लगाए हैं। बिना पीपीई किट के अंतिम संस्कार कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाएं सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही हैं। यहां तक देखा गया है कि संक्रमित शवों को अंतिम संस्कार से पहले शव को नहला रहे हैं।


शवों को चार कंधे भी नहीं हो रहे नसीब

कोरोना काल में श्मशान घाटों में ऐसे दृश्य देखने को मिल रहे हैं, जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। घाटों में ऐसे शव आ रहे है, जिनको चार कंधे भी नसीब नहीं हो रहे हैं। घाटों पर मौजूद अन्य लोग अंतिम संस्कार में मदद कर रहे हैं। इस कदर लोग संक्रमण से डरे सहमे हैं कि अपने खास और रिश्तेदारों की शव यात्रा में शामिल होने से घबरा रहे हैं।


श्मशान घाटों पर बने अंत्येष्टी स्थलों पर चिताएं जलाने के लिए जगह नहीं है। घाटों पर पहुंच रहे शवों को टोकन दिया जा रहा है। शव के अंतिम संस्कार के लिए 6 से 7 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं, कुछ ऐसे भी घाट जहां पर चिताएं जलाने के लिए जगह नहीं मिलने पर गंगा की रेती, घाटों पर बने चबूतरों पर चिताएं जलानी पड़ रही हैं। श्मशान घाटों पर सूर्यास्त के बाद देररात तक अंतिम संस्कार की प्रक्रियाएं की जा रही हैं।


विद्युत शवदाह गृह की देररात तक धधकती रहीं भट्ठियां

सरकारी आकड़ों के हिसाब से संक्रमण से 18 मौतें हुई हैं। वहीं, सोमवार को भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में 72 शव पहुंचे थे। भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में शवों का अंतिम संस्कार देररात तक चलता रहा। इसके साथ ही विद्युत शवदाह गृह के पीछे लकड़ियों से शव का अंतिम संस्कार किया। इसी प्रकाश भगवतदास विद्युत शवदाह गृह में 3 और भगवतदास श्मशान घाट पर 34 शवों का अंतिम संस्कार किया गया।


अलग-अलग घाटों पर हुए इतने शवों का अंतिम संस्कार

कानपुर के प्रमुख घाटों पर पहुंचे शव। भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में 72 शव, भैरवघाट श्मशाम घाट में 95 शव, भगवतदास विद्युत शवदाह गृह में 3 शव, स्वर्ग आश्रम में 91 शव, भगवतदास श्मशान घाट में 34 शव, बिठूर में 101 शव, सिद्धनाथ घाट में 45 शव, ड्योढ़ी घाट में 60 शव, नजफगढ़ में 28 शव, सफीपुर, नागापुर, ढोमनघाट में 16 शव पहुंचे। वहीं, शहर के प्रमुख कब्रिस्तानों में 62 जनाजों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

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