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ये है दुनिया का छठां सबसे खतरनाक रूट, पर रेलवे की अपनी ही कहानी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. भारी भीड़ के कारण भीषण जोखिम में सफर करने की मजबूरी के चलते डिस्कवरी चैनल ने जिस दिल्ली-बागपत रोड-शामली रेल मार्ग को दुनिया का छठां सबसे खतरनाक रूट बताया है, उसी रेलमार्ग को रेलवे गैर उत्पादक रूट के रूप में देखता है। 

गैर उत्पादक रूट वह होता है जिसपर यात्री कम होते हैं और खर्च निकलना भी मुश्किल होता है। कोरोनाकाल में तो अधिकांश ट्रेनें बंद ही चल रही हैं लेकिन लगभग साल भर पहले की बात करें तो इस रेलमार्ग पर पैसेंजर ट्रेनें यात्रियों से बेतरह पटी रही हैं। हाल यह कि बोगियों में तिल रखने की जगह नहीं होती, लोग पांवदान पर लटककर सफर करते हैं, सैकड़ों लोग बोगियों की छतों पर चढ़े रहते हैं। इन्हीं सबके कारण डिस्कवरी चैनल ने इसे दुनिया का छठां सबसे खतरनाक रेलमार्ग बताया है। चैनल की डाक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि इस रेलमार्ग पर महीने में औसतन 40 लोगों की जान चली जाती है। इधर, शामली में आरपीएफ के इंस्पेक्टर अमित बालियान ने बताया कि पिछले साल काफी समय तक लाकडाउन रहा। ट्रेनें कम चल रही हैं लेकिन फिर भी एक साल में इस रेलमार्ग पर 17 लोगों की मौत हुई।


बहरहाल, आंकड़ों की बात करें तो लाकडाउन से पहले इस रूट पर रेलवे को प्रतिदिन औसतन दस लाख रुपये से ज्यादा का राजस्व मिलता था। शामली में ही प्रतिदिन एक लाख रुपये के टिकट बिकते थे। सुबह-सुबह नौकरीपेशा और दूध आपूर्ति करने वाले लोगों की खेकड़ा, बड़ौत, बागपत रोड, शामली समेत विभिन्न स्टेशनों पर भारी भीड़ होती रही। सच तो यह है कि रेलवे के पास इस भीड़ को टिकट देने अथवा टिकट चेक करने के लिए पर्याप्त स्टाफ भी नहीं है। टिकट चेकिंग भी साल में एक-दो बार ही होती है। जाहिर है कि अगर टिकट बिक्री और टिकट चेकिंग के इंतजामों को दुरुस्त कर लिया जाए तो आने वाले दिनों में इस रेलमार्ग से रेलवे को भारी कमाई हो सकती है, क्योंकि पुराने दृश्य और आंकड़े इसके गवाह हैं कि इस रेलमार्ग पर यात्रियों की नहीं वरन इंतजामों की कमी है। इतने उर्वर रेलमार्ग को गैर उत्पादक रूट बताना आश्चर्य में डालता है।

संसद में उठा था मामला

बागपत लोकसभा क्षेत्र के सांसद डा. सत्यपाल सिंह ने 17 मार्च 2021 को लोकसभा में दिल्ली-बागपत रोड-शामली-सहारनपुर रेलमार्ग को एशिया का सबसे अधिक भीड़ वाला रेलमार्ग बताया था। उन्होंने कहा था कि दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश व हरियाणा के जिलों में मेट्रो रेल का संचालन हो रहा है, जबकि बागपत इससे वंचित है। उन्होंने केंद्र सरकार से दिल्ली से बागपत के कासमपुर खेड़ी तक मेट्रो या रैपिड रेल का संचालन करने की मांग की थी। फिलहाल इस रेल लाइन का अब विद्युतीकरण हो चुका है। इसपर अधिक से अधिक बिजली चालित ट्रेनों के संचालन की मांग उठ रही है।


इन्होंने कहा...

दिल्ली-शामली-सहारनपुर रेलमार्ग पर कई स्टेशन गैर उत्पादक श्रेणी में हैं इसलिए इसे गैर उत्पादक रूट की श्रेणी में रखा गया है। जिस रेलमार्ग पर गैर उत्पादक स्टेशनों की संख्या ज्यादा होती है, उसे गैर उत्पादक रूट माना जाता है। दिल्ली-शामली-सहारनपुर रेलमार्ग पर बागपत रोड तक ही ज्यादा भीड़ रहती है, बड़ी संख्या में लोग दिल्ली नौकरी करने और दूध बेचने जाते हैं। इस रूट पर धीरे-धीरे ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा रही है।- इकराम अली, स्टेशन अधीक्षक शामली 

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