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कहानी: बौबी

तनु और राहुल के बीच के बिगङते रिश्ते को बेजबान डौगी बौबी ने ऐसी राह दिखाई कि दोनों अलग होने से पहले फिर से एक हो गए.

राहुल और तनु ने बात तो गंभीरतापूर्वक करनी शुरू की थी, मगर जैसेजैसे दोनों के स्वर ऊंचे होते जा रहे थे, पास बैठी उन की प्यारी बौबी कभी राहुल का मुंह देखती, तो कभी तनु का.


बौबी का मन तो हो रहा था कि दोनों अपना यह झगड़ा खत्म करें और उस से खेलना शुरू करें, उसे बाहर घुमा कर लाएं. बौबी उन की लड़ाई से बहुत दुखी हो रही थी. उस ने अपने मुंह से आवाज निकाल ही दी तो दोनों का ध्यान बौबी की तरफ गया. दोनों उसे अपनी गोद में लेने के लिए झुके और उसे जैसे ही उसे छुआ, दोनों के हाथ भी एकदूसरे से टकरा गए.


दोनों ने एकदूसरे को घूरा. राहुल ने पूछा,”बौबी को तुम बाहर ले कर जा रही हो या मैं ले जाऊं?”


”मैं ले कर जाऊंगी अपनी बौबी को. आओ बेटा,” कह कर तनु बौबी को बाहर घुमाने ले गई.


बौबी एक प्यारी सी डौगी थी, जिसे दोनों खूब प्यार करते थे.


बौबी को घुमातेघुमाते उस ने अपनी मम्मी शोभा को फोन मिला दिया और राहुल की जीभर कर शिकायत की. बौबी का पूरा ध्यान तनु पर था. वह यही सोच रही थी कि क्या हो गया है उस के राहुल और तनु को? क्यों इतना झगड़ने लगे हैं, कितनी प्यारी जोड़ी है.


आज बौबी को दोनों की लड़ाई से बहुत दुख हो रहा था. उस का मन घूमने में भी नहीं लगा. राहुल का ध्यान आया, वह भी घर पर अकेला होगा, उदास होगा. बौबी ने घर की तरफ चलने का इशारा किया.


तनु ने फोन रखते हुए कहा,”बौबी, क्या हुआ? इतनी जल्दी… तू भी राहुल की तरह आलसी हो गई क्या?”


बौबी क्या जवाब देती, पशु रूप में जन्म लिया था तो कैसे कहे किसी को अपने मन की बात? वह तो जो प्यार करते हैं, बौबी जैसों की हर बात, इशारा समझ लेते हैं, बौबी सुस्त कदमों से घर की तरफ चल दी. राहुल लैपटौप पर अपना काम कर रहा था.


तनु ने कहा, “बौबी सुस्त है कुछ?”


राहुल ने तुरंत लैपटौप बंद कर दिया और बौबी को गोद में उठा लिया, “बौबी, बच्चे, क्या हुआ? बोलो, बौल से खेलना है न?”


बौबी ने पूंछ हिलानी शुरू कर दी और भाग कर अपनी बौल मुंह में दबा कर उठा लाई. घर के आंगन में फिर राहुल बौल फेंकता रहा, बौबी भागभाग कर बौल लाती रही. वहीं कुरसी पर बैठी तनु बौबी पर कुरबान होती रही.


फिर राहुल ने तनु की तरफ देख कर पूछा,”डिनर में क्या है?”


”मेरा कुछ बनाने का मूड नहीं है, कल औफिस में एक मीटिंग है, मुझे उस की तैयारी करनी है, तुम ही कुछ बना लो.”


राहुल ने तनु को घूर कर देखा तो तनु गुस्साते हुए बोली,”घूर क्या रहे हो? जैसे तुम काम करते हो, वैसे मैं भी करती हूं. तुम्हारी मां अभी परसों यही कह कर गई है न कि मुझे कुछ नहीं आता, मैं ने तुम्हें परेशान कर रखा है… यह सब तुम आराम से बैठ कर सुनते हो न… कभी उन्हें एक जवाब तक नहीं देते कि वे मुझ से गलत व्यवहार न करें. अब तुम सचमुच मुझ से परेशान हो ही जाओ. मुझे कोई चिंता नहीं.”


”अरे, चुपचाप न सुनता तो और क्या करता… मां से बहस कर के जोरू का गुलाम कहलवाऊं? तुम भी तो उन्हें हर बात का जवाब देती हो, कभी चुप नहीं रहतीं. तुम ही चुप हो जाओ तो आगे बात नहीं बढ़ेगी.‘’


बौबी फिर एक तरफ खड़े हो कर दोनों का मुंह देखने लगी. समझ गई कि दोनों फिर शुरू हो गए और सचमुच फिर इतनी लड़ाई हुई कि सिर्फ बौबी के लिए उठ कर तनु ने खाना बनाया और खुद भी कुछ नहीं खाया और राहुल भी भूखा ही रह गया.


बौबी ने भी जब कुछ नहीं खाया तो दोनों समझ गए. जानते थे कि हमेशा बौबी के साथ ही बैठ कर खाते हैं. आज बौबी भी उन के बिना नहीं खा रही है. बौबी को खिलाने के लिए तनु ने फिर अपने और राहुल के लिए बस नूडल्स बनाई.


राहुल और तनु के प्रेमविवाह को 1 साल ही हुआ था. दोनों मेरठ में ही रहते थे. दोनों अच्छे पदों पर काम कर रहे थे. तनु विजातीय थी इसलिए राहुल के पेरैंट्स उसे पसंद नहीं करते थे. राहुल ने यह घर अलग ले लिया था, तब भी उस की मम्मी विभा आएदिन उन के घर आतीं और तनु को खूब सुना कर जातीं.


तनु जबस्दस्त फेमिनिस्ट थी. उस के विचार विभा से बिलकुल मेल न खाते. अपनी बात को दमदार तरीके से कहने का उस का स्वभाव विभा को कतई मंजूर न था. तनु के पेरैंट्स दिल्ली में रहते थे. वे भी इस विवाह से ज्यादा खुश नहीं थे. दोनों की जोड़ी देख कर अगर घर में कोई खुश होता तो वह थी बौबी, जो एक पशु होते हुए भी सब के दिल की बातें महसूस करती. सब को प्यार करती.


पशु कई मानों में सचमुच इंसानों से बेहतर होते हैं. किसी ने कहा भी है कि अगर इंसान पशुओं के थोड़ेबहुत गुण अपना ले तो दुनिया बहुत खूबसूरत हो जाए.


बौबी को राहुल अपने दोस्त से लाया था और राहुल और तनु की जान थी बौबी. दोनों के बीच लड़ाई का कारण दोनों के पेरैंट्स थे. बौबी का मन करता कि वह दोनों को समझाए कि इस मामले में अपने पेरैंट्स को इग्नोर कर दें और आपस में खुश रहें. बौबी तो शादी से पहले उन दोनों के रोमांस की भी गवाह भी थी.


शादी से पहले राहुल शहर से बाहर की एक गार्डन में तनु से मिलने जाता तो अपनी कार में बौबी को भी ले जाता. बौबी को उन के पहले के रोमांस के दिन कितने याद हैं, दोनों कितने खुश थे. लेकिन अब क्या होता जा रहा है…


तनु को गुस्सा आ गया, बोली,''आप को हमारा घर नहीं पसंद तो फिर न आया करें, राहुल को वहीं बुला लिया कीजिए, हमारा घर तो साफ ही रहता है.

3 दिन बाद फिर विभा आ गईं. राहुल टूर पर था. बौबी के कान खड़े हो गए कि विभा अब तनु के साथ क्या करेंगी. तनु औफिस से आई ही थी कि विभा ने इधरउधर देखते हुए कहा,”क्या हाल है घर का, जरा भी साफ नहीं है, मेरा राहुल तो इतना सफाई पसंद था.‘’


तनु ने अपनेआप को शांत रखते हुए कहा,”अब घर ठीक करूंगी, मम्मीजी. सुबह टाइम नहीं मिलता, औफिस जल्दी पहुंचना था आज. आप बैठिए, मैं जरा बौबी को पहले बाहर ले जाऊं. बेचारी सारा दिन अकेली रही है घर में,”कह कर तनु बौबी को ले कर बाहर चली गई.


बौबी ने महसूस किया कि तनु बहुत थकी और उदास है. बौबी को दुख हुआ कि ये कैसे पेरैंट्स हैं जो बच्चों के जीवन में क्लेश कर के खुश होते हैं.


थोड़ी देर बाद विभा चली भी गईं, मगर जातेजाते हिदायत दे गईं,”वैसे तो तुम सुनती नहीं किसी की, पर औफिस जाती हो तो इस का मतलब यह नहीं कि घर की देखभाल न करो. पता नहीं क्या सोच कर राहुल ने तुम से शादी की.‘’


तनु को गुस्सा आ गया, बोली,”आप को हमारा घर नहीं पसंद तो फिर न आया करें, राहुल को वहीं बुला लिया कीजिए, हमारा घर तो साफ ही रहता है, आप के अलावा किसी ने कभी नहीं कहा कि हमारा घर साफ नहीं रहता.


“सुबह कामवाली आ कर घर साफ कर के जाती है, पीछे पूरा दिन बंद रहता है. कहां गंदा है घर? और अगर है भी तो हम खुश हैं.‘’


विभा को यह जवाब बरदाश्त नहीं हुआ, चिल्ला कर बोलीं,”अब तू देख, मैं क्या करती हूं.‘’


विभा के जाने के बाद तनु बैड पर लेट कर रोने लगी. बौबी से देखा नहीं गया. उस के हाथपैर सब चाट डाले. कूं…कूं… कर के जैसे उसे तसल्ली दी, फिर खुद भी उदास मन से तनु के पैर के पास लेट गई.


तनु को बौबी के पास होने से बड़ा सहारा महसूस हुआ, फौरन सब बातों से ध्यान हट गया और बौबी के बारे में सोचने लगी कि कितना प्यार करती है दोनों को. सारी बात समझ जाती है… मन ही मन यह सोच कर तनु को हंसी आ गई कि काश, सासूमां बौबी से आधा भी प्यार दे देतीं तो जिंदगी कुछ आसान हो जाती.


वह उठ कर बौबी से लिपट गई,”बौबी, तू कितनी प्यारी है. चल, खाना खाते हैं, फिर खेलेंगे,” बौबी तो यह सुन कर बैड से कूद कर किचन की तरफ दौड़ पड़ी और तनु भी उसे पुचकारती हुई खाना लगाने लगी.


तनु हैरान थी, राहुल टूर पर है पर न उस का फोन उठा रहा है, न खुद फोन कर रहा है, बस एक मैसेज लिख दिया कि मैं ठीक हूं, आ कर बात करूंगा.


राहुल जब टूर से लौटा तो उस का मूड बहुत ज्यादा खराब था, पर बौबी को गोद में उठा कर प्यार जरूर किया. दोनों में से जो भी बाहर से आता, पहले बौबी से ही मिलता, उसे खूब दुलारता.


बौबी जैसे दोनों के जीवन का सब से जरूरी हिस्सा थी, पर तनु पर बिफर पड़ा,”तुम ने मेरी मम्मी की इंसल्ट की हो? जानती तो हो कि मैं उन के खिलाफ कोई भी गलत बात बरदाश्त नहीं करूंगा, वे फोन पर कितनी रोईं… तुम ने उन्हें यह कहा है कि यहां न आया करें?” राहुल का मूड बुरी तरह खराब था.


तनु ने पूछा,”तुम्हें कभी नहीं लगा कि वे गलत बात करती हैं?”


”अगर करती भी हैं तो मेरी मम्मी हैं.‘’


”पर मैं किसी की भी गलत बात हमेशा ही तो बरदाश्त नहीं कर सकती, तुम्हें पता है कि तुम्हारे पीछे आ कर मुझे क्याक्या कहती हैं? तुम जानते हो उन्होंने मुझे अपनाया ही नहीं है.”


”फिर तो तुम्हें और ढंग से उन के साथ रहना चाहिए.‘’


”मुझ से नहीं होगा.‘’


”तो मैं भी ऐसे नहीं रह सकता कि मेरी मम्मी यहां आ कर दुखी हों.‘’


”ठीक है, मैं अभी चली जाती हूं,” कह कर तनु भी गुस्से में अपना बैग उठा कर उस में कपङे ठूंसने लगी.


बौबी भूंकी, उस पर ध्यान गया तो तनु बौबी से लिपट कर रोने लगी,”चल, बौबी, कहीं और रहेंगे. यहां मांबेटे को रहने दो.”


राहुल गुस्से से बोला,”बौबी क्यों जाएगी कहीं? यह मेरी बौबी है.‘’


”नहीं, बौबी को मैं ले जाउंगी, मैं इस के बिना नहीं रह सकती.‘’


”जैसे मेरे बिना रहने जा रही हो, इस के बिना भी रह लेना.‘’


”नहीं, बौबी को ले कर जाउंगी, कम से कम यह तुम्हारी मां की तरह मुझ से चिढ़ती तो नहीं.‘’


इस घर से कुछ ही दूर ही तनु का एक छोटा सा घर था, जिस में वह शादी से पहले रहती थी. वैसे तो शादी होते ही तनु ने उसे किराए पर दे दिया था पर इन दिनों वह घर खाली था. राहुल भी जानता था कि तनु वहीं जा सकती है.


वह सोच रहा था कि अभी आ जाएगी, जब अपनी गलती महसूस होगी.


बौबी कभी राहुल की पैंट खींचती, कभी तनु का बैग पकड़ती, पर निरीह सी कुछ कर नहीं पाई. मायूस आंखों के आगे 2 प्यार करने वालों को अलग होते देखती रही और तनु के पीछेपीछे चल कर उस के साथ जाने लगी तो राहुल ने आवाज दी,”बौबी, आओ इधर, नहीं जाना है.‘’


बौबी वापस राहुल की तरफ मुड़ गई, तनु ने पलट कर राहुल को देखा तो वह तनु की तरफ अकड़ और विजयी भाव से देखने लगा. तनु अकेली चली गई, पर उस रात जब बौबी ने कुछ भी नहीं खाया, गेट के पास बैठ कर अजीबअजीब सी आवाजें निकालने लगी तो राहुल उसे अपने साथ बैड पर लिटा कर उस से खेलने लगा पर बौबी चुपचाप बैठी रही.


तलाक की बात भी विभा ने ही फोन पर तनु से की, कहा,'' तुम्हारा गुजारा मेरे सीधेसादे बेटे के साथ होगा नहीं, उस से तलाक लो और उसे चैन से रहने दो.

राहुल खाना खाने बैठा तो बौबी ने उस की तरफ देखा भी नहीं और गेट के पास जा कर भूंकने लगी. राहुल ने उठ कर गेट खोल दिया तो सीधे तनु के घर जा कर जोरजोर से भूंकने लगी.


बौबी इस घर को खूब पहचानती थी. तनु ने उसे आया देखा तो खुशी के मारे उस की आंखें भर आईं. उसे गोद में उठा लिया, खूब प्यार किया. बौबी भी उस की गोद से उतरने को तैयार नहीं थी, तनु बहुत खुश हुई.


उस ने अपने लिए अभी बाहर से खाना मंगाया था. उस ने बौबी को अपने साथ खिलाया. खाना खा कर तनु के साथ टाइम बिता कर बौबी अपनेआप राहुल के पास आ गई  और आराम से जमीन पर नीचे अपने बैड पर लेट गई.


राहुल और तनु को यह अंदाजा तो बिलकुल नहीं था कि इस बात पर आपस का झगड़ा इतना बढ़ जाएगा कि तलाक की नौबत आ जाएगी, पर अब मामला गंभीर था. तनु के पेरैंट्स ने उसे थोड़ा ऐडजस्ट करने के लिए समझाया पर तनु को बारबार सासूमां के कटु ताने और राहुल का उन को कुछ भी न कहना अब सहन नहीं था.


तलाक की बात भी विभा ने ही फोन पर तनु से की, कहा,” तुम्हारा गुजारा मेरे सीधेसादे बेटे के साथ होगा नहीं, उस से तलाक लो और उसे चैन से रहने दो.‘’


तनु ने कहा,”मैं तैयार हूं, कर लो अपने बेटे को आजाद…”


विभा ने छलकपट से उन दोनों के बीच तलाक की प्रक्रिया शुरू करवा दी थी. राहुल के पिता थे नहीं. घर में  मांबहनों की जिदों का बोलबाला था.


बौबी दुखी थी, कभी एक घर से दूसरे घर भटकती रहती, दोनों का प्यार चाहिए था उसे, वह किसी बच्चे से कम नहीं थी. जैसे एक बच्चे को अपने मातापिता दोनों का साथ और प्यार चाहिए होता है, वही बौबी को चाहिए था और यह दोनों भी देख रहे थे कि बौबी अब पहले की तरह खुश नहीं रहती, अपनी मनपसंद की चीजें भी छोड़ कर दूसरे के पास पहुंच जाती है. पड़ोस के लोग भी बौबी को खूब पसंद करते, आसपास वालों को राहुल और तनु के अलगअलग रहने की भनक मिल चुकी थी.


बौबी को इधर से उधर जाते देखते तो कोई हंसता, किसी को उस पर प्यार आता. बौबी कभी किसी के पास रहती, तो कभी किसी के पास.


राहुल और तनु बौबी से संबंधित बात मैसेज या फिर फोन पर करते.


उन की बात इस तरह की होती, “बौबी पहुंच गई न? उस ने कुछ खाया था? कल उसे अपने पास रख लेना, मुझे देर होगी…”


ऐसा नहीं था कि राहुल और तनु को एकदूसरे की याद न आती, दिन तो दोनों का औफिस में बीत जाता पर  शाम और रातें काटे न कटती. एकदूसरे के साथ बिताए हसीन पल, प्यारी मुसकराहटें, खिलखिलाहटें आंखों के आगे किसी फिल्म के दृश्यों  सा घूमते, पर बात काफी बढ़ गई थी…


एक रविवार तनु छत पर कपडे सुखा कर सीढ़ियों से नीचे आ रही थी कि अचानक उस का पैर फिसला और गिरतेगिरते उस के मुंह से चीख निकल गई. वह गिरने पर बेहोश हो गई.


बौबी कूदती हुई उस के पास पहुंची. उस के पैरहाथ चाटे, भूंकी… तनु के शरीर में जरा भी हरकत नहीं हुई, तो बौबी को महसूस हुआ कि कुछ गलत हुआ है. अभी घर का गेट खुला हुआ था क्योंकि कामवाली अभी गई ही थी और तनु ऊपर छत पर थी.


बौबी ने राहुल की तरफ दौड़ लगा दी और राहुल को देखते ही लगातार भूंकना शुरू किया. पहले तो राहुल ने सोचा कि भूखी होगी, पर जब राहुल का हाथ हलके से मुंह में दबाते हुए बौबी ने बाहर चलने का इशारा किया तो वह चौंका.


बौबी उसे पकड़ कर तनु के घर की सीढ़ियों के पास ले गई जहां तनु बेहोश पड़ी थी. राहुल घबरा गया, फौरन तनु को गोद में उठा कर बैड पर लिटा दिया.


राहुल ने फौरन डाक्टर को फोन किया. डाक्टर जल्दी ही आए, तनु का चैकअप किया, उसे इंजैक्शन और दवाएं दीं.


तनु को कुछ चोटें आई थीं. उसे पट्टी बांधी फिर अगले दिन आने के लिए कह कर डाक्टर चले गए. तनु को जल्दी ही होश आया. आंखें खुलते ही राहुल के हाथ में अपने हाथ और पास बैठी टुकुरटुकुर देखती बौबी पर नजर पड़ी, इतना ही कहा,”क्या हुआ? तुम यहां?”


”बौबी बुला कर लाई, तुम गिर गई  थीं, तुम्हारा ब्लड प्रैशर हाई चल रहा है? बताया क्यों नहीं ?”


राहुल के हाथों में उस का हाथ था. उस का कोमल स्पर्श, उस के चेहरे पर अपने लिए चिंता, तनु की आंखें भर आईं, कहा कुछ नहीं, राहुल ने ही फिर कहा,”कुछ खाने के लिए है किचन में? तुम्हें दवाई देनी है,” फिर तनु की कुहनी जहां पट्टी बंधी थी, पर हाथ रखता हुआ बोला,”दर्द है?”


”हां.”


”आओ, बौबी, मैडम के लिए कुछ खाने के लिए लाते हैं,” बौबी राहुल के पीछे लपक कर उठी पर तनु ने कहा,”आ जा, बौबी, मेरे पास रहो,” फिर बौबी तनु के पास आ दुबकी, राहुल हंसता हुआ किचन की तरफ चला गया.


दोनों को लगा जैसे बीते दिनों में कुछ हुआ ही नहीं था, दिलों में सोया प्यार जैसे जाग उठा था और ऐसे जागा था कि इस बार कि दोनों को लगा जैसे जलते दिल पर शीतल जल की फुहारें सी बरस गई हों.


राहुल प्लेट में खाना ले कर आ गया. तनु को अपने हाथ से खिलाने लगा. बौबी खुश हो कर भूंकी, तो दोनों हंस पङे.


तनु ने कहा,”तुम भी खा लो. मेरे लिए थोड़े ही बना होगा.”


राहुल इस समय हंसीमजाक के मूड में आ गया था. तनु समझ गई कि सुलह का मौका मिला है, वह भी जी नहीं पा रही राहुल के बिना.


उस ने कहा,”तुम कैसे खा रहे हो आजकल?”


”मम्मी की तरफ जाता हूं, तो वहीं खा लेता हूं, पर बौबी की वजह से कुछ बनाना पड़ता है, क्योंकि तुम्हारी तरह बौबी भी मम्मी को पसंद नहीं करती. वहां ले गया था तो मैडम ने भूंकभूंक कर सब की नाक में दम कर दिया, घर आ कर ही शांत हुई. न वे प्यार करते इसे, न यह करती है उन लोगों को. पर हमारी तो जान है यह. है न…”


तनु ने एक ठंडी सांस ले कर कहा,”जो इंसान से प्यार नहीं करते, वे भला जानवरों से क्या प्यार करेंगे.”


अब राहुल ने सीरियस हो कर कहा,”ठीक कह रही हो.”


थोड़ी देर बाद राहुल ने मायूसी से कहा,”चलूं? कोई प्रौब्लम हो तो फोन कर देना, कल मैं आ जाऊंगा, डाक्टर को एक बार दिखाना है.”


राहुल उठने लगा तो लेटी हुई तनु ने उस का हाथ पकड़ कर चूम लिया. आंखों की कोरों से आंसू बह निकले.


राहुल ने पलभर उस का उदास चेहरा देखा और झुक कर उस के होंठ चूम लिए.


उस के गाल सहलाते हुए कहा,”सौरी तनु, मैं ने तुम्हारे साथ गलत बरताव किया.‘’


तनु ने उठने की कोशिश करते हुए राहुल के गले में बांहें डाल दीं, राहुल ने भी उसे बांहों में भर लिया और अपने सीने से लगा लिया.


बहुत से पल यों ही गुजर गए. जीवन में आने वाले तूफान की दिशा देखते ही देखते बदल गई थी. दोनों ने पास बैठी बौबी को अपने बीच में लिटा लिया और उसे “थैंक यू बौबी…” कहतेकहते उस से खेलने लगे.


बौबी कभी राहुल के ऊपर, तो कभी तनु के ऊपर कूद रही थी.

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