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कहानी: दत्तक बेटी की करतूत

सुनंदा के छटपटाने की आवाज सुन कर मेरे पालक पिता घनश्यामभाई जाग गए. सुखबीर अपने साथ चाकू लाया था. उसी चाकू से उस ने घनश्यामभाई पर ताबड़तोड़ वार कर के उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया.

लंदन के वेंबली में ज्यादातर गुजराती रहते हैं. नैरोबी से आ कर बसे घनश्याम सुंदरलाल अमीन भी अपनी पत्नी सुनंदा के साथ वेंबली में ही रहते थे. वह लंदन में भूमिगत ट्रेन के ड्राइवर थे. नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद पत्नी के साथ आराम से रह रहे थे.


सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें सोशल स्कीम के तहत अच्छा पैसा मिल रहा था. इस के अलावा उन की खुद की बचत भी थी. उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी, कमी बस यह थी कि वह निस्संतान थे.


किसी दोस्त ने घनश्यामभाई को सलाह दी कि वह कोई बच्चा गोद ले लें. ब्रिटेन में बच्चा गोद लेना बहुत मुश्किल है, भारतीय परिवार के लिए तो और भी मुश्किल. इसलिए घनश्यामभाई ने अपने किसी भारतीय मित्र की सलाह पर कोलकाता की एक स्वयंसेवी संस्था से संपर्क किया. उस संस्था ने एक अनाथाश्रम से उन का संपर्क करा दिया.


अनाथाश्रम ने घनश्यामभाई से कोलकाता आने को कहा. घनश्यामभाई पत्नी के साथ कोलकाता आ गए. कोलकाता के उस अनाथाश्रम में उन्हें सुचित्रा नाम की एक लड़की पसंद आ गई. वह 15 साल की थी. जन्म से बंगाली और मात्र बंगला तथा हिंदी बोलती थी. देखने में एकदम भोली, सुंदर और मुग्धा थी. पतिपत्नी ने सुचित्रा को पसंद कर लिया. सुचित्रा भी उन के साथ लंदन जाने को तैयार हो गई. घनश्यामभाई ने सुचित्रा को गोद लेने की तमाम कानूनी प्रक्रिया पूरी कर लीं. सुचित्रा को वीजा दिलाने में तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा. तरहतरह के प्रमाणपत्र देने पड़े. आखिर 6 महीने बाद सुचित्रा को वीजा मिल गया.


सुचित्रा लंदन पहुंच गई. उस के लिए वहां सब कुछ नयानया था. नया देश, नई दुनिया, नई भाषा, नए लोग. सब कुछ नया. वहां उस का एक स्कूल में दाखिल करा दिया गया. उस ने जल्दी ही अंगरेजी सीख ली. वह गोरी थी और छोटी भी, इसलिए जल्दी से गोरे बच्चों के साथ घुलमिल गई. स्कूल में तमाम गुजराती, पंजाबी और बांग्लादेश से आए परिवारों के बच्चे पढ़ते थे.


सुचित्रा अब बड़ी होने लगी. वह अकेली लंदन में अंडरग्राउंड ट्रेन में सफर कर सकती थी. बिलकुल अकेली पिकाडाली तक जा सकती थी. वह पढ़ने में भी अच्छी थी. सुचित्रा को गोद लेने वाले घनश्यामभाई और उन की पत्नी सुनंदा अपनी इस बेटी से खुश थे.


छुट्टी के दिनों में वे कभी उसे मैडम तुषाद म्युजियम दिखाने ले जाते तो कभी उसे हाइड पार्क घुमाने ले जाते. मित्रों के घर पार्टी में भी सुचित्रा को हमेशा साथ रखते. सुचित्रा सुनंदा को ‘मम्मी’ कहती तो वह खुश हो जातीं. उन्हें ऐसा लगता कि सुचित्रा उन की कोख जनी बेटी है.


वह स्कूल तो जा ही रही थी. अब कभीकभार अपनी सहेली के घर रुक जाती. फिर वह हर शनिवार को सहेली के घर रुकने लगी. अभी वह 17 साल की ही थी. एक दिन सुनंदा को पता चला कि सुचित्रा घर से तो अपनी सहेली के घर जा कर रुकने की बात कह कर गई थी, पर वह सहेली के घर गई नहीं थी. उन्होंने सुचित्रा से सख्ती से पूछताछ की तो वह खीझ कर बोली, ‘‘दिस इज नन औफ योर बिजनैस.’’


सुचित्रा की इस बात से घनश्यामभाई और सुनंदा को गहरा आघात लगा. कुछ दिनों बाद एक दूसरी घटना घटी.सुचित्रा अकसर स्कूल नहीं जाती थी. घनश्यामभाई और सुनंदा ने जब उस से पूछा तो उस ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. पतिपत्नी ने सुचित्रा की सहेलियों से पूछताछ की तो पता चला कि वह सुखबीर नाम के एक पंजाबी लड़के के साथ घूमती है. चालू स्कूल में भी वह स्कूल छोड़ कर उस के साथ बाहर घूमने चली जाती है.


घनश्यामभाई ने शाम को सुचित्रा से पूछा, ‘‘मुझे पता चला है कि तुम सुखबीर नाम के किसी लड़के के साथ घूमती हो, क्या यह सच है?’’


‘‘आई एम ए फ्री गर्ल,’’ सुचित्रा ने कहा, ‘‘मैं कहां जाती हूं और बाहर जा कर क्या करती हूं, यह आप को बिलकुल नहीं पूछना चाहिए.’’सुनंदा ने कहा, ‘‘पर बेटा, तुम हमारी बेटी हो. हमें चिंता होती है. तुम अभी 17 साल की ही तो हो.’’


‘‘यू आर नौट माई बायोलौजिकल मदर. आई ऐम योर एडाप्टेड गर्ल. आप ने अपने स्वार्थ के लिए मुझे गोद लिया है. मैं आप की कोख से पैदा नहीं हुई हूं. मेरे ऊपर आप के मर्यादित अधिकार हैं, समझीं?’’


‘‘मतलब?’’ सुनंदा ने पूछा.आई एम नौट ए पार्ट आफ योर बौडी. मैं तुम्हारे शरीर का कोई भी हिस्सा नहीं हूं. मेरे शरीर पर मेरा ही अधिकार है?’’


सुचित्रा की बात सुन कर घनश्यामभाई को गुस्सा आ गया. उन्होंने सुचित्रा को एक तमाचा मार दिया. सुचित्रा चिल्लाई, ‘‘दिस इज फर्स्ट एंड लास्ट. अगर दूसरी बार तुम ने ऐसा किया तो मैं पुलिस बुला लूंगी.’’


घनश्यामभाई ने कहा, ‘‘मैं खुद ही पुलिस को बताऊंगा कि मेरे द्वारा गोद ली गई बेटी पढ़ने की उम्र में गलत काम करती है. तुम्हें सोशल काउंसलिंग में भेज दूंगा. उस के बाद भी नहीं सुधरी तो तुम्हें फिर इंडिया जाना होगा.’’


इंडिया वापस भेजने की बात सुन कर सुचित्रा सोच में पड़ गई. वह एकदम चुप हो गई और अपने बैडरूम में चली गई.अगले दिन उठ कर उस ने मम्मीपापा से ‘सौरी’ कहा. घनश्यामभाई और सुनंदा शांत हो गए. सुनंदा ने कहा, ‘‘देखो बेटा, तुम्हारी पढ़नेलिखने की उम्र है. तुम अच्छी तरह पढ़लिख कर अपना कैरियर बना लो. अभी तुम टीनएज हो. जिस लड़के के साथ मन हो, नहीं घूम सकतीं.’’


सुचित्रा ने सिर झुका कर कहा, ‘‘मम्मी, अब इस तरह की गलती दोबारा नहीं करूंगी.’’ इस के बाद वह नियमित रूप से स्कूल जाने लगी. सुचित्रा स्कूल नहीं आती, यह शिकायतें आनी बंद हो गईं.


घनश्यामभाई ने अपनी तरह से पता किया तो मालूम हुआ कि सुचित्रा नियमित स्कूल जाती है. धीरेधीरे इस बात को काफी समय बीत गया.


एक दिन घनश्यामभाई और सुनंदा के पड़ोसियों ने पुलिस से शिकायत की कि हमारे बगल वाले घर से बहुत तेज दुर्गंध आ रही है. तुरंत पुलिस आ गई. घर का दरवाजा बंद था. लेकिन अंदर से स्टौपर नहीं लगा था. पुलिस ने धक्का मारा तो दरवाजा खुल गया. पुलिस ने अंदर जा कर देखा तो बैडरूम में घनश्यामभाई और उन की पत्नी की लाशें पड़ी थीं.


पूछताछ में पड़ोसियों ने बताया कि इन के साथ इन की गोद ली गई बेटी भी रहती थी. उस समय वह घर में नहीं थी. दोनों लाशों को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. उन की गोद ली गई बेटी गायब थी. पता चला कई दिनों से वह स्कूल भी नहीं गई थी.


पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो बताया गया कि पतिपत्नी के मरने से पहले खाने में नींद की दवा दी गई थी. उस के बाद घनश्यामभाई की हत्या चाकू से और सुनंदा की हत्या मुंह पर तकिया रख कर की गई थी.


पुलिस का पहला शक मारे गए पतिपत्नी की दत्तक बेटी सुचित्रा पर गया. उन्होंने घनश्यामभाई और सुचित्रा के मोबाइल का काल रिकौर्ड चैक किया. 2 ही दिनों में पुलिस सुचित्रा के बौयफ्रैंड सुखबीर के घर पहुंच गई.


सुखबीर अकेला ही अपनी विधवा मां के साथ रहता था. सुचित्रा भी उसी के घर मिल गई. पुलिस ने दोनों से सख्ती से पूछताछ की तो सुचित्रा और सुखबीर ने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने प्रेम का विरोध करने की वजह से घनश्यामभाई और सुनंदा की हत्या की थी.


सुचित्रा ने बताया, ‘‘उस रात मैं ने ही अपने पालक मातापिता के खाने में नींद की गोलियां मिला दी थीं, जिस से वे जाग न सकें. दोनों गहरी नींद सो गए तो सुखबीर को बुला लिया. उस के बाद अपनी पालक माता सुनंदा के मुंह पर तकिया रख कर पूरी ताकत से दबाए रखा तो उन की सांसों की डोर टूट गई.


‘‘सुनंदा के छटपटाने की आवाज सुन कर मेरे पालक पिता घनश्यामभाई जाग गए. सुखबीर अपने साथ चाकू लाया था. उसी चाकू से उस ने घनश्यामभाई पर ताबड़तोड़ वार कर के उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया. उस के बाद हम दोनों भाग गए.’’


दोनों के बयान सुन कर पुलिस स्तब्ध रह गई. सुचित्रा अभी नाबालिग थी. पुलिस ने उस की मैडिकल जांच कराई तो पता चला कि वह गर्भवती है.


सुचित्रा ने जो किया, उसे सुन कर तो अब यही लगता है कि इस तरह बच्चे को गोद लेने में भी सौ बार सोचना चाहिए।

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