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कहानी: उलझन

शिखा के जन्मदिन पर कपिल उसे शादी का प्रस्ताव देने का मन बना चुका था, मगर उस से पहले ही शिखा की मैडिकल फाइल उसे पढ़ने को मिली और उस का विचार बदल गया. आखिर क्या लिखा था उस फाइल में.

जैसे जैसेशिखा के जन्मदिन की पार्टी में जाने का समय नजदीक आ रहा है, मेरे मन की बेचैनी बढ़ती ही जा रही है. मैं उस के घर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं पर अपने फ्लैट से कदम निकालने की हिम्मत नहीं हो रही है.


मैं करीब 2 महीने पहले शिखा से पहली बार अपने कालेज के दोस्त समीर के घर मिला था. उसी मौके पर मेरा समीर की पत्नी अंजलि, उस के दोस्त मनीष और उस की प्रेमिका नेहा से भी परिचय हुआ था.


शिखा के सुंदर चेहरे से मेरी नजरें हट ही नहीं रही थीं. वह जब छोटीछोटी बातों पर दिल खोल कर हंसती तो सामने वाला खुदबखुद मुसकराने लगता था.


मैं ने मौका पा कर समीर से अकेले में पूछा, ‘‘क्या शिखा का कोई बौयफ्रैंड है?’’


‘‘नहीं,’’ उस ने मेरे चेहरे को ध्यान से पढ़ते हुए जवाब दिया.


‘‘गुड,’’ उस का जवाब सुन मेरा मन खुशी से उछल पड़ा, ‘‘तू उस से मेरी दोस्ती करा दे, यार.’’


‘‘कपिल, मैं उस के साथ तेरी दोस्ती नहीं सिर्फ परिचय करा सकता था और वह मैं ने करा दिया.’’


‘‘मुझे शिखा से पहली नजर में ही प्यार हो गया है.’’


मेरे मुंह से ये शब्द सुन कर वह हंसा, ‘‘तू ज्यादा बदला नहीं है. कालेज में भी आए दिन तुझे पहली नजर में प्यार कराने वाला कीड़ा काटता रहता था.’’


‘‘पुरानी बातें भूल जा, मेरे दोस्त. अब मैं अपना घर बसाना चाहता हूं. मुझे लगता है कि शिखा ही मेरे सपनों की राजकुमारी है,’’ मैं ने उसे विश्वास दिलाने की कोशिश करी कि मैं प्यार के इस ताजा मामले में एकदम सीरियस हूं.


पहली मुलाकात में ही शिखा ने मेरे दिलोदिमाग पर जबरदस्त जादू कर दिया था. उसे अपना बनाने की चाह ने मेरी रातों की नींद और दिन का चैन छीन लिया.


उस मुलाकात के तीसरे दिन शाम को ही मैं शिखा से उस के औफिस के बाहर मिला. वह मुझे देख कर खुश हुई. फिर हम कौफी पीने के लिए एक रेस्तरां में जा बैठे.


हमारे बीच उस शाम ढेर सारी बातें हुईं. हंसीखुशी से बातें करते हुए कब घंटाभर बीत गया, हम दोनों को ही पता नहीं चला.


बाद में उसे उस के घर तक कार से छोड़ने गया. मैं खुद उस के मम्मीपापा से मिलना चाहता था, क्योंकि मेरे लिए उन दोनों का दिल जीतना जरूरी था.


शिखा अपने मातापिता के साथ 3 कमरों के फ्लैट में रह रही थी. उस की मम्मी के कमर दर्द और पापा के बागबानी के शौक के बारे में मैं ने पूरी दिलचस्पी के साथ ढेर सारी बातें कर के दोनों के दिल में अपनी जगह बना ली. मेरे अच्छे व्यवहार का जादू उन दोनों के सिर चढ़ कर बोला और फिर उन्होंने मुझे रात का खाना खिला कर ही बिदा किया.


शहर के जिन नामी हड्डियों के डाक्टर से 2 दिन बाद मैं ने शिखा की मम्मी का इलाज शुरू कराया उन की दवा से उन्हें बहुत फायदा हुआ.


अगले संडे की शाम को मुझ से बागबानी पर एक पुस्तक की भेंट पा कर शिखा के पिता ने मुझे बड़े अपनेपन के साथ छाती से लगाया तो मुझे अपनी मंजिल मिल जाने का विश्वास हो चला.


मेरे आग्रह पर शिखा कुछ दिनों के बाद मेरे साथ बाहर घूमने चली आई. मैं उस का दिल जीतने का वह मौका नहीं चूका. जब मैं ने अचानक उसे गुलाब के फूलों का गुलदस्ता भेंट किया तो वह खुशी से फूली नहीं समाई.


धीरेधीरे हमारे बीच मिलनाजुलना बढ़ता गया. उसे अपने साथ खूब खुश देख कर मेरा दिल कहता कि वह मुझ से शादी करने को जल्दी राजी हो जाएगी.


‘‘तुम्हारे जैसा सुंदर, सुशील, स्मार्ट व कमाऊ लड़का अभी तक बिना गर्लफ्रैंड के कैसे है?’’ कुछ दिनों बाद मेरे साथ एक दिन पार्क में घूमते हुए शिखा ने अचानक यह सवाल पूछा तो मैं मन ही मन बहुत बेचैन हो उठा.


मैं ने अपने मन की उथलपुथल को काबू में रख सहज आवाज में जवाब दिया, ‘‘शिखा, मेरी जानपहचान तो बहुत सारी लड़कियों से है पर कभीकभी मुझे भी यह सोच कर बहुत हैरानी होती है कि मेरी जिंदगी में आज तक मेरे सपनों की राजकुमारी क्यों नहीं आई.’’


‘‘सपनों की राजकुमारी या राजकुमार कम ही मिलते हैं, कपिल.’’


‘‘मुझे क्या मेरे सपनों की राजकुमारी मिलेगी?’’ मैं ने प्यार से उस की आंखों में झांकते हुए पूछा.


‘‘मुझे क्या पता?’’ कह उस का शरमा जाना मेरे मन को गुदगुदा गया.


मैं अगले दिन औफिस बहुत खुश मूड में पहुंचा. मेरी सहयोगी रितु मेरे चैंबर में आई और बोली, ‘‘शनिवार और इतवार को कहां गायब रहे, कपिल?’’


‘‘तबीयत ठीक नहीं थी,’’ उस की नाराजगी दूर करने के लिए मैं ने उस के गाल पर छोटा सा चुंबन अंकित करा.


‘‘इस शनिवार को मेरे साथ रहोगे या मैं कोई और प्रोग्राम बना लूं?’’


‘‘पक्का तुम्हारे साथ रहूंगा,’’ उस के गाल पर शरारती अंदाज में चिकोटी काट कर मैं काम में लग गया.


शिखा से मैं ने पिछले दिन झूठ बोला था. अब तक बहुत सारी लड़कियां मेरी प्रेमिकाएं रह चुकी थीं पर शिखा उन सब से बहुत बेहतर थी. अच्छी पत्नी बनने के सारे गुण उस में मौजूद हैं. मैं ने मन ही मन उस के साथ शादी करने का पक्का फैसला कर लिया.


शनिवार की रात मैं ने रितु के साथ डिनर किया और फिर रात उस की बांहों में उस के फ्लैट में गुजारी. सचाई यही है कि मुझे ऐसा करते हुए कैसी भी ग्लानि महसूस नहीं हुई, क्योंकि तब तक मैं ने शिखा से शादी का कोई वादा तो किया नहीं था.


वैसे 2 हफ्ते बाद आए रविवार को शिखा के सामने शादी का प्रस्ताव रख मैं ने इस कमी को पूरा कर दिया था.


‘‘तुम्हारे बिना मुझे अपनी जिंदगी अधूरी सी लगने लगी है, शिखा. तुम हमेशा के लिए मेरी हो जाओ, मेरे सपनों की राजकुमारी,’’ मैं ने उस की आंखों में प्यार से झांकते हुए कहा तो उस के गोरे गाल गुलाबी हो उठे.


‘‘जिंदगी की राहों में तुम्हारी हमसफर बन कर मुझे बहुत खुशी होगी, कपिल.’’


इन शब्दों में उस की ‘हां’ सुन कर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.


फिर हमारे बीच यह फैसला हुआ कि 3 दिन बाद शिखा के जन्मदिन के अवसर पर हम शादी करने के अपने फैसले से सब दोस्तों, रिश्तेदारों व परिवार के सदस्यों को अवगत करा कर सरप्राइज देंगे.


अगली रात 9 बजे के करीब बिना सूचना दिए समीर, अंजलि, मनीष और नेहा मुझ से मिलने मेरे फ्लैट पर आए.


मेरी तरफ नीले कवर वाली एक फाइल बढ़ाते हुए मनीष बहुत गंभीर लहजे में बोला, ‘‘कपिल, इस फाइल को पढ़ो.’’


पढ़ कर मुझे मालूम पड़ा कि वह शिखा की मैडिकल फाइल थी. उस ने करीब 10 महीने पहले नींद की गोलियां खा कर आत्महत्या करने की कोशिश करी थी.


‘‘इस फोटो में शिखा के साथ उस का प्रेमी राजीव खड़ा था. इसी के हाथों प्यार में धोखा खा कर शिखा ने आत्महत्या करने की कोशिश करी थी,’’ अंजलि ने अपने पर्स से निकाल कर एक पोस्टकार्ड साइज का फोटो मेरे हाथ में पकड़ा दिया.


मनीष ने दांत पीसते हुए बताया, ‘‘यह धोखेबाज इंसान एक तरफ तो शिखा से शादी करने का दम भरता था और दूसरी तरफ शिमला में अपनी पुरानी प्रेमिका के साथ होटल में गुलछर्रे उड़ा रहा था. यह खबर शिखा को अपनी जानपहचान की लड़की से मिली तो उसे इतना गहरा सदमा पहुंची कि उस ने आत्महत्या करने की कोशिश करी.’’


‘‘तुम मेरी इस टेढ़ी उंगली को देखो. मुझे राजीव एक बार किसी पार्टी में मिला था. मैं ने गुस्से से पागल हो कर उस के ऊपर इतने घूंसे बरसाए कि मेरी इस उंगली में फ्रैक्चर हो गया. नेहा ने रोक लिया नहीं तो मैं उसे उस दिन जान से ही मार देता.’’


समीर ने गुस्से से लाल हो रहे मनीष को शांत करने के बाद मुझ से कहा, ‘‘शिखा के अंदर वैसा दूसरा सदमा सहने की ताकत नहीं है, कपिल. अगर तुम्हें लगता है कि तुम उस के प्रति जिंदगीभर वफादार नहीं रह पाओगे तो कल उस के जन्मदिन की पार्टी में मत आना. उसे दुख तो बहुत होगा पर हम उसे संभाल लेंगे.’’


अंजलि ने मुझ से भावुक लहजे में प्रार्थना करी, ‘‘फैसला सोचसमझ कर करना, कपिल. अगर शिखा के हित के खिलाफ जाने वाला कोई रिश्ता आज भी तुम्हारी जिंदगी में बना हुआ है तो उसे आज रात जड़ से नष्ट कर देना. हमेशा उस के प्रति वफादार रहने का प्रण कर ही कल की पार्टी में आना, प्लीज.’’


इस के बाद सभी बारीबारी से मुझे गले लगा कर चले गए. मैं रातभर ठीक से नहीं सो सका. अगले दिन औफिस भी नहीं जा सका. सारा दिन गहन सोचविचार करने के बावजूद किसी फैसले पर पहुंचना संभव नहीं हुआ.


मैं शिखा से शादी करना चाहता हूं पर अपने मन की कमजोरी का भी मुझे एहसास है. किसी एक स्त्री का हो कर रहना मेरी फितरत में नहीं है.


मुझे फैसला सोचसमझ कर ही करना था, क्योंकि मैं ने अब तक जिन लड़कियों के साथ प्यार का खेल खेला था, उन सब के ऐसे खतरनाक शुभचिंतक दोस्त नहीं थे.


फिर धीरेधीरे जबरदस्त टैंशन का शिकार बने मेरे मन में यह बात जड़ें जमाने लगीं कि मैं न शिखा के लायक हूं और न ही उस के शुभचिंतकों की दोस्ती या दुश्मनी के.


ऐसा सोच कर मैं ने शिखा की जिंदगी से निकलने का कठिन और दिल दुखाने वाला फैसला आखिरकार कर ही लिया.


मैं जूते खोल कर वापस पलंग पर लेट गया. मेरे बहुत रोकने के बावजूद आंखों में बारबार आंसू भर आते थे.


8 बजे के करीब मेरे मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी तो मैं ने फोन को स्विच्ड औफ कर दिया.


फिर 9 बजे के करीब बाहर से किसी ने घंटी बजाई तो मैं चौंक कर उठ बैठा. दरवाजा खोला तो सामने शिखा को देख मेरा दिल बैठ गया.


‘‘मुझे विश नहीं करोगे?’’ उस ने सहज भाव से मेरे हाथ अपने हाथों में ले लिए.


‘‘हैप्पी बर्थडे,’’ मैं ने जबरदस्ती मुसकराते हुए उसे शुभकामनाएं दीं.


‘‘ऐसे नहीं, जरा प्यार से विश करो,’’ कह वह मेरे गले लग गई.


‘‘हैप्पी बर्थडे, माई लव,’’ पता नहीं कैसे ये शब्द मेरे मुंह से खुद ही निकल कर मुझे हैरान कर गए.


‘‘मुझे मेरे दोस्तों ने कल रात तुम से हुई मुलाकात के बारे में सब बता दिया है, कपिल,’’ वह सहज भाव से मुसकरा रही थी.


‘‘मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं, शिखा. बाद में तुम्हारा दिल तोड़ूं उस से अच्छा यह होगा कि हम अभी अलग…’’


उस ने मेरे मुंह पर हाथ रख कर मुझे खामोश कर कहा, ‘‘अब मैं पहले जितनी कमजोर और भावुक नहीं रही हूं. मुझे भी पहली नजर में तुम से प्यार हो गया था और अब इतनी आसानी से तुम्हें नहीं खोऊंगी… तुम्हें मेरा प्यार जरूर बदल डालेगा.’’


‘‘मुझे डर है कि मैं तुम्हारे इस विश्वास पर खरा नहीं उतर सकूंगा.’’


‘‘मेरे इस विश्वास के कारण को समझ लोगे तो ऐसा नहीं कहोगे. आज मेरी बर्थडे पार्टी में न आ कर तुम ने जिस ईमानदारी का सुबूत दिया है उस का मेरी नजरों में बहुत महत्त्व है. यही ईमानदारी तुम्हारे अंदर भावी बदलाव का बीज बनेगी.’’


‘‘यह कदम तो मैं ने तुम्हारे शुभचिंतकों की धमकी से डर कर उठाया था,’’ मेरे होंठों पर उदास सी मुसकान उभरी.


‘‘वे मुझे बहुत प्यार करते हैं पर तुम्हें धमकाने का उन्हें कोई अधिकार नहीं था. मैं सचमुच तुम से दूर नहीं होना चाहती हूं,’’ कह वह मेरी छाती से आ लगी.


‘‘मैं भी,’’ मैं ने उसे बहुत मजबूती से अपनी बांहों के घेरे में कैद कर लिया.


उस पल मेरे दिलोदिमाग में कोई उलझन या अनिश्चितता बाकी नहीं बची थी. उस की आंखों में लहरा रहे प्यार के सागर को देख कर मुझे विश्वास हो चला था कि भविष्य में कोई रितु मुझे कभी ललचा कर शिखा के प्रति बेवफाई करने को मजबूर नहीं कर सकेगी.

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