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कोविड केस घटते ही कामगारों ने पकड़ी वापसी की राह, मुंबई की ट्रेनें फुल तो गुजरात रूट पर बढ़ा दबाव

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. जीवन बचाने की जंग में हर किसी के आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी हो गई है। घर में सुकून तो है लेकिन कोई सहारा नहीं मिला। कुछ दिन पहले घर लौटे प्रवासी कमाने का जरिया तलाशने फिर से महानगरों की तरफ रुख करने लगे हैं। कैंट स्टेशन से गुजरने वाली मुंबई की ट्रेनों में दबाव बढ़ गया। अहमदाबाद और सूरत जाने वाली ट्रेनों में यही हाल है। दूसरी लहर के चलते कुछ दिनों पहले महानगरों में फंसे कामगारों की घर वापसी हुई थी। 

15 जून तक मुंबई की ट्रेन में जगह नहीं : मुंबई की ट्रेनों में इनदिनों सबसे ज्यादा दबाव है। आलम ये है कि कैंट स्टेशन से चलकर मुंबई जाने वाली महानगरी स्पेशल ट्रेन 15 जून तक पूरी तरह से पैक है। वही यहां से बनकर चलने वाली कामायनी स्पेशल ट्रेन में 12 जून तक कंफर्म बर्थ मिलने की संभावना नहीं दिख रही। हालांकि इसका असर गुजरात रूट की ताप्तीगंगा एक्सप्रेस और साबरमती एक्सप्रेस पर भी दिख रहा है।


बोले कामगार

24 अप्रैल को घर आया था। यहां भी कोरोना वायरस का भय बना हुआ है। सूरत स्थित फैक्टरी में भोजन के साथ पैसा भी मिलता था। मलिक ने बढ़े हुए मानदेय पर वापस बुलाया है। - मो. शकील, समस्तीपुर(बिहार)


मुंबई में फैक्टरी खुल रही हैं, वहां जल्दी ही सब पहले जैसा हो जाएगा। घर पर बैठे रहने से कुछ नहीं मिलेगा। ग्राम पंचायत और सरकार की तरफ से श्रमिको के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। - मुन्नी लाल, बरौनी (बिहार)


अम्बाला में साइट चल रही है। वहां मजदूरों को पहले से ज्यादा सहूलियत मिल रही है। पहले 15 हजार रुपये मिलता था। अब वहां मजदूरों को 18 हजार रुपए देने की पेशकश की जा रही है। - रमेश चंद्र, कुछ बिहार(वेस्ट बंगाल)

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