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रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंचा सरसों तेल व रिफाइंड का भाव, अभी और बढ़ेगा मूल्‍य

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. खाने वाले तेल के दामों में बढ़ोतरी जारी है। बीते कुछ दिनों से लाेग जब भी सरसों का तेल और रिफाइंड खरीदने किराने की दुकान पर गए हैं उन्हें दाम बढ़े हुए मिले। दिसंबर-20 के बाद से ही तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही है। पहली बार सरसों का तेल 185 रुपये लीटर पहुंच गया है, जबकि रिफाइंड भी 166 से 170 रुपये के बीच बिक रहा है। वहीं दूसरी तरफ अरहर और मसूर दाल की कीमत भी 20 फीसद तक बढ़ गई है। आमतौर पर 80 रुपये किलो बिकने वाला डालडा भी 160 रुपये में मिल रहा है।

185 रुपये लीटर सरसों तो 166 पर पहुंचा रिफाइंड

रिफाइंड और सरसों के तेल के दाम बार-बार दाम बढ़ने से बहुतों से रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। अभी ये तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है। आने वाले समय में रिफाइंड और सरसों तेल के दामों में और तेजी की आशंका जताई जा रही है। बीते एक माह में रिफाइंड के दामों में 25 रुपए लीटर की तेजी आई है। इसी तरह सरसों के तेल के दाम भी 40 रुपए तक बढ़ गए हैं। गोरखनाथ निवासी रंजना मिश्रा ने बताया कि महंगाई से रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। सब्जी का दाम कम होता है तो फल, तेल, डालडा, दाल के दाम बढ़ जाते हैं।


तेल की बढ़ती किमतों पर नियंत्रण बहुत जरूरी है। ऐसे ही कीमतें बढ़ती रही तो जल्द ही सरसों का तेल 200 रुपये के पार हो जाएगा। मोहद्दीपुर निवासी सारिका ने बताया कि काेरोना कफ्यू की वजह से एक तरफ काम-धंधा बंद है तो दूसरी तरफ महंगाई बढ़ती जा रही है। यही हाल रहा तो घर चलाना मुश्किल हो जाएगा। आमदनी कम हो गई और महंगाई बढ़ती जा रही है।


साल भर में 70 फीसद तक बढ़ी कीमत

किराना कारोबारी जावेद ने बताया कि पिछले साल मई में फुटकर में रिफाइंड का एक लीटर का पैकेट 90 रुपये का था, जो अब बढ़कर 166 रुपये हाे गई है। इसी तरह सरसों का तेल 100 रुपये लीटर था जो अब 185 रुपये पर पहुंच गया है। दोनों तरह के तेलों में बेहिसाब बढ़ोतरी हो रही है।


थोक कारोबारी संजय के मुताबिक पाम आयल का खुदरा मूल्य 51.54 फीसद बढ़कर 132.6 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है, जो पहले 87.5 रुपये प्रति किलोग्राम था, सोया तेल का 50 फीसद बढ़कर 158 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया जो पहले 105 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि सरसों का तेल 49 फीसद बढ़कर 163.5 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया जो पहले 110 रुपये प्रति किलोग्राम पर था। किसी तरह का नियंत्रण न होने से कंपनियां भी मनमाना कीमत वसूल रही हैं।

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