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न दवा न ही इलाज बस मां के दूध का कमाल और जीती कोरोना से जंग

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. जन्म के समय ही संक्रमित हुई नवजात बच्ची ने महज 67 घंटे में ही कोरोना से जंग जीत ली। बच्ची को न तो कोई दवा दी गई और नहीं उसका कोई इलाज हुआ। वह मां के दूध से ही ठीक हो गई। नवजात की दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आ गई है। डॉक्टरों का मानना है कि मां के दूध में इतनी ताकत होती है कि अगर बच्चा सामान्य है तो उसे दवा की जरूरत नहीं पड़ती है।

चंदौली निवासी अनिल कुमार व्यापारी हैं। वह अपने परिवार के साथ कैंटोंमेंट में रहते हैं। उनकी 26 वर्षीय पत्नी सुप्रिया प्रजापति ने 25 मई को बीएचयू में ऑपेरशन से बच्ची को जन्म दिया। जांच में बच्ची में कोरोना संक्रमण पाया गया। मां की रिपोर्ट निगेटिव थी। बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद डॉक्टर भी हैरत में थे। गुरुवार रात में मां की दूसरी बार आरटीपीसीआर जांच हुई। उनकी दूसरी रिपोर्ट भी निगेटिव आई। इसके बाद मां और बच्ची को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया। डिस्चार्ज से पहले शुक्रवार सुबह को बच्ची की दूसरी बार जांच की गई। राहत की बात है बच्ची की रिपोर्ट भी अब निगेटिव है। बच्ची के पिता अनिल कुमार ने बताया कि जब अस्पताल से डिस्चार्ज किया, तब बच्ची की रिपोर्ट नहीं आई थी। इस कारण हम अपनी बहन के घर आ गये थे। उन्होंने कहा कि अभी हम यहीं पर एक सप्ताह तक आइसोलेट रहेंगे। इसके बाद घर जाएंगे।


मां ने कराया स्तनपान, फिर भी रही निगेटिव

डॉक्टरों के कहने पर मां ने बच्ची को स्तनपान कराया। इसके बाद भी मां की जब दूसरी रिपोर्ट निगेटिव थी। वहीं बेटी की दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद परिवार के लोग काफी खुश हैं। बच्ची के पिता अनिल को दोस्तों और रिश्तेदारों को बधाई संदेश आ रहे हैं। पिता ने अभी तक बच्ची का नाम नहीं रखा है। परिवार के लोग उसके नामकरण की तैयारी कर रहे हैं।


मां के दूध में होता है इम्युनोग्लोबुलिन

बीएचयू के पेडियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजनीति प्रसाद ने बताया कि यह कोई हैरात की बात नहीं है। नवजात अगर स्वस्थ है और उसे कोरोना है तो इसके लिए उसे कोई दवा नहीं दी जाती है। उसकी मां का दूध ही पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि मां के दूध में इम्युनोग्लोबुलिन होता है। इस कारण नवजात मां की दूध से ही स्वस्थ हो जाते हैं।


वार्ड में नहीं हुई सफाई

बच्ची के पिता अनिल ने बताया कि मेरी पत्नी जब तक वार्ड में थी, वहां सफाई नहीं की गई। वार्ड में कोई सफाई के लिए आता ही नहीं था। उन्होंने आरटीपीसीअर जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया और कहा है कि बिना दवा के मेरी बच्ची कैसे स्वस्थ्य हो गई। जरूर जांच में ही गड़बड़ी हुई है।

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