रेल यात्रियों को बड़ी राहत: इंटरसिटी, दादर एक्सप्रेस सहित 34 ट्रेनों में बढ़ गईं 1054 सीटें
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर। रेल यात्रियों के लिए राहत भरी खबर है। अब उन्हें इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाली प्रत्येक ट्रेन में 31 सीट अधिक मिल जा रही है। यही नहीं प्लेटफार्म पर न जेनरेटर की आवाज सुनाई दे रही और न ही फेफड़े तक धुआं पहुंच रहा। धीरे-धीरे सफर सुहाना होता जा रहा है। ऐसा हो पाया है, रेलवे के हेड आन जेनरेशन तकनीकी (एचओजी) से। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाली इंटरसिटी, दादर और देहरादून सहित 34 ट्रेनों से न सिर्फ एक-एक पावरकार हटा लिया है। बल्कि, 1054 सीट बढ़ाकर और डीजल की बचत कर सिर्फ एक साल में 21 करोड़ की बचत भी कर लिया है।
इलेक्ट्रिक से चलने वाली ट्रेनों में समाप्त हो गई पावरकार की उपयोगिता, रोजाना बच रहा लाखों का डीजल दरअसल, इलेक्ट्रिक इंजनों में एचओजी तकनीक लग जाने से लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोच से चलने वाली ट्रेनों में दो-दो पावरकार की उपयोगिता ही समाप्त हो गई है। हालांकि, विकल्प के रूप में अभी भी एक-एक पावरकार लग रही है। आने वाले दिनों में सभी ट्रेनों से एक-एक पावरकार हटा दी जाएगी।
जानकारों के अनुसार ट्रेनों की रेक से पावरकार हटने से आम यात्री ही नहीं रेलवे को भी सीधा लाभ मिल रहा है। ट्रेनों में इंजन के ठीक पीछे पावर कार की जगह एलएसएलआरडी (लगेज कम सवारी यान) कोच लगने लगे हैं। इन कोच में एचओजी तकनीक लगने के अलावा चार टन पार्सल रखने की जगह मिल जा रही है। साथ ही अतिरिक्त सीट यात्रियों की राह आसान बना रही हैं।
इन ट्रेनों से हटी एक- एक पावर कार
02531/02532, 05103/05104, 05017/05018, 02537/02538, 02587/02588, 02597/02598, 05005/05006, 05001/05002, 05097/05098, 05021/05022, 05015/05016, 05029/05030, 02559/02560, 02581/02582. 05161/05162, 05125/05126, 05159/05160
पूर्वोत्तर रेलवे की 70 फीसद से अधिक रेल लाइनों का विद्युतीकरण हो चुका है। अधिकतर ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजन से ही चल रही हैं। इन ट्रेनों को एचओजी तकनीकी से चलाया जा रहा है, जिससे पावरकार की आवश्यकता नहीं रह गई है। हालांकि, एक पावरकार अभी भी विकल्प के रूप में ट्रेनों लग रही हैं। - पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी- पूर्वोत्तर रेलवे।