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Ghazipur Border News: कई दिन से चर्चा में है राकेश टिकैत की एक तस्वीर, कोई हक में है तो कोई दे रहा गाली

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा बने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अपने बेबाक बयानों के साथ विवादित टिप्पणियों के लिए भी चर्चा में रहते हैं। विरोधी कुछ भी कहें लेकिन राकेश टिकैत का हर कथन और हर कृत्य मीडिया की सुर्खियों में रहता है। खासकर उनके बयान इंटरनेट मीडिया में हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। वह बोलते भी है ठेठ देशी अंदाज में।

इसी कड़ी में पिछले कई दिनों से एक फोटो इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें भाकियू नेता राकेश टिकैत के केबिन में एसी लगा हुआ है और वह बगल आरामदायक गद्दे पर सो रहे हैं। यह फोटो आराम से खींची गई लगती है और इसकी पिक्चर क्वालिटी भी काफी अच्छी है।


रविवार से ही राकेश टिकैत की यह फोटो वायरल हो रही है। तस्वीर को लेकर कहा जा रहा है कि दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर उनके केबिन में एसी लगा हुआ है। इसी केबिन में राकेश टिकैत वहां लगे मोटे गद्दों पर आराम से सोए हुए हैं। 


फुर्सत में खींची गई लगती है फोटो

फोटो देखकर लगता है कि यह राकेश टिकैत के किसी करीबी या जानकार ने ही खींची है। तस्वीर खींचने वाले ने खास ख्याल रखा है कि एसी और सोते हुए राकेश साफ साफ दिखाई दें। आलम यह है कि राकेश टिकैत की यह फोटो लाखों लोगों ने रिट्वीट की है। इस पर लोग तीखी प्रतिक्रिया भी जाहिर कर रहे हैं।


कुछ लोगों को का यहां तक कहना है कि अधिकतर किसानों के पास एसी नहीं हैं तो खुद को किसानों का नेता कहने वाले को कोई हक नहीं बनता कि वह एसी में सोए। दरअसल, इस तस्वीर को लेकर इंटरनेट मीडिया पर लोग बंटे हुए हैं। कुछ लोग भाकियू नेता राकेश टिकैत के इस तरह आराम फरमाने पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि कोई किसान तो दो वक्त की रोटी का मोहताज है और राकेश टिकैत एसी में आराम फरमा रहे हैं। क्या राकेश टिकैत वाकई में किसान हैं? वहीं, कुछ लोग तर्क दे रहे हैं कि  क्या किसान या फिर किसान नेता, उसे एसी में सोने का हक नहीं है। खैर, राकेश टिकैत को लेकर बहस जारी रहेगी, लेकिन उनकी हर बात और हर अंदाज-बयान चर्चा में क्यों आ जाता है? यह बड़ा सवाल है।


भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का यह फोटो और वायरल किया जा रहा है और साथ ही इसको कैप्शन दिया गया है कि किसान आंदोलन ना होता तो नेताजी को ऐसे तंबू में शिमला वाली हवा ना मिलती, अलग ही किस्म का आनंद है! ऐसे में कौन करेगा आंदो लन खत्म? राकेश टिकैत की यह तस्वीर सही है?

वहीं, कमलजीत सहरावत का कहना है कि देश के किसान खेतों में मेहनत कर रहे हैं और किसान आंदोलन के नाम पर देखिए कैसे आराम की जिंदगी जी रहे हैं किसान नेता राकेश टिकैत...।


किशर सिंह नेगी ने ट्वीट किया है -  राकेश टिकैत के बयानों,कार्य,इसके साथ जो पत्थर बाज फ़ौज, तलवारवाज, हैँ इस सबसे ये नहीं लगता कि ये आदमी विद्रोही भावना को फैला रहा है।


राकेश टिकैत के एसी में सोने वाली फोटो पर पूर्व आइएएस सूर्य प्रताप सिंह का कहना है कि 7 महीने से सीमा पर खड़े किसान का संघर्ष किसी ने नहीं देखा? एसी में सो रहा किसान एक सेकेंड में सरकार और मीडिया को दिखाई दे रहा था, लेकिन दिल्ली की सीमा पर करीब 7 महीने तक, हर पल, हर पल संघर्ष किया, अपने प्राणों की आहुति दी, लाठियां खाईं और सामना करना पड़ा। मौसम। सरकार और मीडिया इसे क्यों नहीं देख पाते?।


एक अन्य पोस्ट में सूर्य प्रताप सिंह ने कहा कि ये कैसी घटिया सोच है? एसी में बैठा आदमी किसान नहीं हो सकता? अरे ये तो किसान हैं जिनके कारण भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था, किसानों की मेहनत से ही देश ने पहली बार समृद्धि देखी। यदि कोई सभी सुविधाओं का हकदार है, तो वह केवल एक युवक और एक किसान है। जय जवान जय किसान।


अब ताजा घटनाक्रम में बुधवार को कृषि कानून के विरोध में यूपी गेट पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की झड़प भाजपा कार्यकर्ताओं से हो गई। कहा जा रहा है कि भाजपा कार्यकर्ता यूपी गेट पर किसान आंदोलन स्थल के अंदर पहुंच गए, जिसके बाद उनकी किसानों से मारपीट हो गई। हंगामे की सूचना मिलते ही भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा। उधर, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि वे लोग बीजेपी से नहीं थे। उन्होंने अपने झंडे यहां छोड़े और भाग गए, इसका मतलब है कि उन्हें पैसे देकर यहां भेजा गया था।


यह है पूरा मामला

बुधवार को भाजपा प्रदेश मंत्री अमित बाल्मीकि दिल्ली से गाजियाबाद आ रहे थे। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ता उनका स्वागत करने के लिए यूपी गेट पहुंचे गए। यूपी गेट पर समर्थकों के स्वागत करने के दौरान आंदोलनकारी किसानों ने उनके काफिले पर हमला बोल दिया। आंदोलन स्थल के अंदर भाजपा कार्यकर्ता और किसानों के बीच मारपीट हो गई।

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