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गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्‍यनाथ का जीआइ क्राफ्ट से होगा अभिनंदन, हस्तशिल्प हुनर का बनेगा गवाह

गाजीपुर न्यूज़ टीम, मिर्जापुर. विंध्य क्षेत्र को सावन की सौगात देने मिर्जापुर आ रहे गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काे जीआइ क्राफ्ट भेंट कर अभिनंदन किया जाएगा। यह जीआइ क्राफ्ट हस्तशिल्प हुनर का गवाह बनेगा। पद्मश्री सम्मानित जीआइ विशेषज्ञ डा. रजनीकांत ने बताया कि विंध्य कारिडोर के शिलान्यास समारोह के अवसर पर गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अभिनंदन के लिए काशी के मास्टर शिल्पियों द्वारा तैयार जीआइ क्राफ्ट मंडलायुक्त योगेश्वरराम मिश्र को दिया जा चुका है। इसे कैलिग्राफी विधि से लाल रेशमी धागे का प्रयोग कर एम्ब्रियोडेरी किया गया है। 

इस पर मां विंध्यवासिनी का नाम लिखा है और मंदिर आकृति पर ध्वज बना है। स्मृति चिन्ह के रूप में मेटल रिपोसी क्राफ्ट में मां विंध्यवासिनी की मूर्ति बनाई गई है और मीना का प्रयोग किया गया है। यह दोनों क्राफ्ट वाराणसी व मीरजापुर की बौद्धिक संपदा में जीआइ पंजीकरण द्वारा शुमार है और विकास के नए आयाम में ऐतिहासिक अवसर पर यह अपनी भूमिका निभाने जा रहा है। मंडलायुक्त योगेश्वरराम मिश्र के दिशा-निर्देश पर इन दोनों क्राफ्ट को तैयार कराया गया है, जो गृहमंत्री व मुख्यमंत्री को भेंट किया जाएगा।

इससे पूर्व 15 जुलाई को जब  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी आए तो उनका अभिनंदन भारत जापान मैत्री के प्रतीक रुद्राक्ष कन्वेंशन सेन्टर के लोकार्पण के अवसर पर जीआई क्राफ्ट से स्वागत किया गया। डॉ रजनीकांत के मार्गदर्शन में लकड़ी खिलोना के नेशनल मेरिट अवार्डी रामेश्वर सिंह और स्टेट अवार्डी राजकुमार के साथ कुशल शिल्पिओं की टीम ने एक सप्ताह के निरंतर प्रयास से रुद्राक्ष भवन के मॉडल को तैयार किया। 


दूसरी तरफ लल्लापुरा निवासी मास्टर शिल्पी मुमताज अली ने जरदोजी और रुद्राक्ष के दानों का अद्भुत प्रयोग करते हुए अंगवस्त्र बनाया और ज़री से ही उकेर कर रुद्राक्ष लिखा गया। जिसमें उन्हें तैयार करने में 8 दिन का समय लगा है । डॉ रजनीकांत ने बताया कि यह अंगवस्त्र और रुद्राक्ष मॉडल प्रशासन को दिया जा चुका है । शिल्पिओं के समग्र विकास में यह रुद्राक्ष भवन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और पर्यटन के साथ ही जी आई उत्पाद को बढ़ावा मिलेगा, जापान सरकार के साथ शिल्प कला विकास के नए द्वार भी खुलेंगे और आत्म निर्भर भारत मे लोकल को ग्लोबल तक पहुचाने में मील का पत्थर सबित होगा।

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