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जाको राखे साइयां...यूपी में टाइटेनिक का सीन: 14 घंटे तक नदी में लकड़ी के सहारे बहती रही महिला

गाजीपुर न्यूज़ टीम, हमीरपुर. दुनिया में टाइटेनिक जहाज और उसपर फिल्म बनी फिल्म की कहानी का दृश्य हमीरपुर में बारिश के बाद हकीकत के पर्दे पर उतरा दिखाई दिया। टाइटेनिक फिल्म की नायिका रोज जहाज डूबने के बाद समुद्र में एक लकड़ी के टुकड़े के सहारे टिकी रहती है और बाद में बचाव दल उसे बाहर निकाल कर जान बचाता है, कुछ ऐसा ही हमीरपुर में देखने को मिला। यहां 14 घंटे तक एक महिला लकड़ी के तख्ते के सहारे नदी में बहती रही और मछुआरों ने उसकी जान बचाई। इसके बाद अब ये घटना जनपद ही नहीं बुंदेलखंड के जिलों में चर्चा का विषय बन गई है और लोग कह रहे हैं- जाको राखे साइयां मार सके न कोय...।


यमुना में बह रही थी महिला

दरअसल, हमीरपुर के कुरारा के मनकी गांव में गुरुवार की सुबह यमुना नदी किनारे ग्रामीण पहुंचे तो नदी में लकड़ी पर किसी को बहते देखा। ग्रामीणों का शोर सुनकर मछुआरे नाव लेकर पास पहंचे तो नजारा देखकर सन्न रह गए। लकड़ी के तख्ते के सहारे एक महिला बहती चली जा रही थी, मछुआरे उसके पास नाव ले गए और नदी से उसे बाहर निकालकर नाव पर लिटाया। इसके बाद नाव से उसे किनारे पर लेकर आए, सूचन पर आई पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। होश आने पर उसने अपना नाम और घर का पता बताया, साथ ही पूरी घटना बयां की।


इस तरह नदी में गिरी थी

जालौन जनपद के कदौरा थाना के लिची का डेरा शारदा नगर निवासी 50 वर्षीय जय देवी बुधवार शाम करीब 5 बजे खेतों की तरफ गई थीं। इस बीच पैर फिसलने से वह किलंदर नाले में गिर गईं। बारिश की वजह से नाले का तेज बहाव से वह यमुना नदी में जा पहुचीं। नदी में उतराते एक लकड़ी के तख्ते को उसने पकड़ लिया और उसके सहारे वह बहने लगी। पूरी रात लकड़ी के सहारे बहते हुए वह करीब 25 किमी दूर गुरुवार सुबह करीब 9 बजे मनकी गांव के पास पहुंची। गांव किनारे मौजूद ग्रामीणों ने उसे देखा और मछुआरों की मदद से बाहर निकाला। चौकीदार रामसजीवन ने हरौलीपुर चौकी इंचार्ज भारत यादव को सूचना दी। चौकी इंचार्ज भारत यादव ने महिला को अस्पताल में भर्ती कराया और उसका उपचार कराया। उसके बताए पते पर स्वजन को सूचना दी तो महिला का पुत्र राहुल, पुत्री विनीता आ गए। पूछताछ के बाद पुलिस ने महिला उनके सुपुर्द कर दिया।


जाको राखे साइयां मार सके न कोय...

यमुना नदी में बहते हुए जालौन से हमीरपुर पहुंचने वाली महिला को लेकर ग्रामीणों में चर्चा है कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। तो कोई कहता नजर आ रहा है कि जाको राखे साइयां मार सके न कोय...। इन सबके बीच सभी की जुबान पर लकड़ी के तख्ते को लेेकर चर्चा बनी है, जिसकी वजह से जयदेवी की जान बची है। नदी में बबूल की लकड़ी बह रही थी, जिसे जयदेवी ने कसकर पकड़ लिया था। लकड़ी के सहारे करीब 25 किलोमीटर का सफर तय करते हुए मनकी गांव पहुंच गई और मछुआरों ने उसे बाहर निकाला।

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