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उत्तर प्रदेश में बुलेट ट्रेन परियोजना साकार होने की ओर, लखनऊ से जुुड़ेगी काशी और अयोध्‍या

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. नई दिल्‍ली से कोलकाता तक के लिए बन रहे हाईस्‍पीड रेल कारीडोर का सर्वे रिपोर्ट बस जारी होने भर की देर है। इसके साथ ही हाई स्‍पीड रेल कारीडोर की शुरुआत के बाद नई दिल्‍ली से वाराणसी तक का सफर बहुत की कम समय में पूरा हो सकेगा। इस बाबत अब नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड देश में हाई स्पीड रेल परियोजनाओं को लागू करने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों के बीच एक संयुक्त उद्यम के तौर पर सक्रियता से परियोजना को धरती पर उतारने की तैयारी कर रहा है। प्रदेश में हवाई सर्वे होने के बाद अब इसकी रिपोर्ट जारी होते ही योजना धरातल पर उतरने लगेगी। 

माना जा रहा है कि पहले चरण में नई दिल्ली से वाराणसी तक बुलेट ट्रेन की फाइनल डीपीआर सितंबर माह तक तैयार कर ली जाएगी। दिल्ली से वाराणसी के बीच 865 किलोमीटर के सफर में कुल 12 स्टेशन तक होने की उम्‍मीद है। जबकि दूसरे चरण में वाराणसी से कोलकाता तक का सर्वे होगा जिसके रास्‍ते में पटना भी एक महत्‍वपूर्ण स्‍टेशन होगा।

इस बाबत नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) की ओर से परियोजना की रूपरेखा को भी जारी करना शुरू कर दिया गया है। देश में बुलेट ट्रेन को लेकर कार्पोरेशन की ओर से जो रुझान आए हैं उससे तय है कि नई दिल्‍ली से वाराणसी और आगे कोलकाता तक का सफर जापानी बुलेट ट्रेन से ही तय होनी है। इस बाबत जापान की शिंकानसेन तकनीक की ट्रेन को लेकर गुजरात- महाराष्‍ट्र के बीच ट्रेन को रफ्तार मिलनी है। ऐसे में उत्‍तर भारत में हाई स्‍पीड रेल कारीडोर बनने के लिए हवाई सर्वे पूरा होने के बाद रिपोर्ट आने के बाद रूट तय होने की तैयारियां जारी हैं। 

विभागीय सूत्र नई दिल्‍ली-नोएडा-कानपुर-लखनऊ-अयोध्‍या-वाराणसी ट्रेन रूट की चर्चा को अभी बल दे रहे हैं। ऐसा अगर संभव हुआ तो इस रूट पर भी जापान की शिंकानसेन तकनीक की बुलेट ट्रेन गति पकड़ेगी। प्रदेश सरकार की मंशा पर्यटन स्‍थलों को आधुनिक सुख सुविधाओं से लैस करने की है, ऐसे में उम्‍मीद है कि विधानसभा चुनाव 2022 के पूर्व भी बुलेट ट्रेन को जमीन मिलना शुरू हो जाएगा। 

प्रमुख स्‍टेशनों से होगा जुड़ाव : इस बाबत एनएचएसआरसीएल की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार एचएसआर (हाई स्‍पीड रेल) स्टेशन केवल एक विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति करने वाली इमारतें ही नहीं बल्कि वे अपने आप में एक गंतव्य होंगी जो अचल संपत्ति के क्षेत्र में विकास को उत्प्रेरित करते हैं, पर्यटकों और वाणिज्यिक आकर्षणों का निर्माण और रखरखाव करते हैं। इसके साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर प्रत्येक शहर को मार्ग से जोड़ते हैं।

बुलेट ट्रेन तकनीक : एनएचएसआरसीएल की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार जापान बुलेट ट्रेन प्रौद्योगिकी के अग्रणी के रूप में खड़ा है। इसने 1964 की गर्मियों में शिंकानसेन रेल (जिसका अर्थ है 'नई ट्रंक लाइन') को दुनिया के सामने पेश किया। हाई-स्पीड रेल के जापानी दिमाग ने परिवहन में क्रांति ला दी है, जहां भी इसे पेश किया गया है। यह तकनीक भारत को जापान दे रहा है। ऐसे में भविष्‍य की योजनाओं को धरातल मिला तो जापान की यही तकनीक नई दिल्‍ली कोलकाता हाई स्‍पीड रेल कारीडोर को गति‍ देगी।

जुड़ेंगे यूपी के बड़े शहर :  बुलेट ट्रेन के संभावित स्‍टेशनों में नई दिल्‍ली, नोएडा, कानपुर, लखनऊ, अयोध्‍या, वाराणसी और पटना के बाद कोलकाता को माना जा रहा है। जबकि प्रयागराज को जोड़ने की संभावनाएं भी हैं। रूट सर्वे की मंशा के दौरान धार्मिक और आध्‍यात्मिक महत्‍व के शहरों काशी और अयोध्‍या को जोड़ने के लिए रूट को फाइनल होने की संभावना अधिक है। ऐसे में वाराणसी और अयोध्‍या धार्मिक यात्रा के लिए आने वालों को काफी सहूलियत इस रेल नेटवर्क से मिलने जा रही है।

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