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इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ ITBP में अफसर बनी बेटी, बोलीं- लड़ाकू मोर्चे पर तैनाती गर्व की बात

गाजीपुर न्यूज़ टीम, इटावा. सैनिक बनकर देश की सेवा करना गर्व की बात है। सीमा पर दुश्मन के दांत खट्टे करने का मौका मिलेगा। बेटियां इस क्षेत्र में आगे बढ़ें। देश सेवा के जज्बे और स्वजन के हौसला बढ़ाने पर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। इसीलिए चेन्नई में साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ी। रविवार को ये बातें मसूरी की इंडो-तिब्बत बार्डर पुलिस एकेडमी (आइटीबीपी) में पासिंग आउट परेड पास करके पहली बार महिला अधिकारी बनने का गौरव हासिल करने वाली इटावा निवासी सहायक सेनानी दीक्षा ने कहीं। उन्हें सहायक कमांडेंट के पद पर तैनाती दी जाएगी। 

दीक्षा ने बताया कि वह शुरू से ही फील्ड जॉब करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने आइटीबीपी को चुना। उनके पिता कमलेश कुमार ने भी प्रेरणा दी। वह आइटीबीपी पिथौरागढ़ उत्तराखंड में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। दीक्षा ने संघ लोक सेवा आयोग की सेंट्रल आर्म्ड पुलिसबल की परीक्षा वर्ष 2018 में दी थी। 2019 में परीक्षा परिणाम आने के बाद जुलाई 2020 में मसूरी में ट्रेनिंग शुरू हुई थी। 

आइटीबीपी की जॉब के लिए ठुकराई नौकरी: दीक्षा ने बताया कि उन्होंने दिल्ली के केंद्रीय विद्यालय सेक्टर-8 आरकेपुरम से कक्षा सात तक पढ़ाई की थी। उसके बाद कक्षा आठ से 11 तक केंद्रीय विद्यालय लवासना मंसूरी, कक्षा 12 केंद्रीय विद्यालय इंडियन मेडिकल एकेडमी देहरादून से किया। वर्ष 2011 से 2015 तक बीटेक एनआइआइटी श्रीनगर गढ़वाल उत्तराखंड से कंप्यूटर साइंस से किया। उसके बाद चेन्नई की एक कंपनी में नौकरी लग गई थी। दो साल बाद ही वर्ष 2017 में नौकरी छोड़कर दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 

ट्रेनिंग के अनुभव काे बताया शानदार: दीक्षा की मां ऊषा रानी गृहणी व छोटा भाई निखिल कुमार बेंगलुरु में साफ्टवेयर इंजीनियर है। शहर में विकास कालोनी में उनका पैतृक आवास है, जहां दादा बैजनाथ रहते हैं। दीक्षा की इस सफलता पर उनके माता-पिता बेहद खुश हैं। माता-पिता का इस सफलता में बड़ा योगदान रहा है। बताया कि मसूरी एकेडमी में एक साल की ट्रेेनिंग का अनुभव बेहद शानदार रहा। वह इसका उपयोग जनता की सेवा में करेंगी।

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