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अब जेल से भी होंगी जमकर बातें, सप्ताह में पांच दिन दूरभाष से बात करने की परमिशन मिली

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. अब जेल से भी खुलकर बात हो सकेगी। प्रदेश सरकार ने सप्ताह में पांच दिन दूरभाष से बात करने की अनुमति प्रदान कर दी है। पहले यह सप्ताह में दो दिन बात करने की सुविधा दी गई थी। इसके लिए जेल में हाइटेक 19 मशीनें लग रही हैं। अब तक 12 मशीनें स्थापित कर ली गई हैं। शेष सात मशीनें इस सप्ताह में स्थापित हो जाएंगी।

वर्तमान में जेल में 23 सौ बंदी हैं। इन बंदियों को परिजनों ने दो मोबाइल नंबर पर बात करने की सुविधा दी जाएगी। इन नंबरों को जेल प्रशासन अपने फाइल में पंजीकृत करेगा। इसके बाद संबंधित थानों के अलावा मोबाइल कंपनियों से जांच कराकर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बंदी की ओर से पंजीकृत कराया मोबाइल नंबर उनके परिवार के सदस्यों का ही है। इसके अलावा मोबाइल नंबर से संबंधित व्यक्ति के आपराधिक रिकार्ड को भी खंगाला जाएगा। हर ओर से पुख्ता होने के बाद ही बंदी की ओर से दिए गए नंबर को पंजीकृत कर मशीन के साफ्टवेयर में अपलोड किया जाएगा। 

नियमानुसार पंजीकृत नंबरों पर ही बंदी फोन कर बात कर सकता है। इससे इतर नंबर पर उसे फोन करने की सुविधा नहीं मिलेगी। इस दौरान मशीन से बंदी की बातों को पारदर्शी रखा जाएगा ताकि आपत्तिजक बातों को दर्ज किया जा सके। इससे आगामी दिनों में बंदी को फोन पर बात करने की सुविधा दी जाए या नहीं, यह तय किया जा सकेगा। हर पंजीकृत नंबर के लिए अंतिम स्वीकृति देने से पहले डिप्टी जेलर संबंधित नंबर पर बात कर पुष्टि सुनिश्चित करेंगे।

हाइटेक मशीन से ऐसे होगी बात

इस हाइटेक मशीन का नाम बोलचाल में पिक्स कहते हैं। वास्तविक नाम प्रिसन्स इनमेट कालिंग सिस्टम है। इस मशीन से बात करने के पहले बंदी का फिंगर प्रिंट स्कैन किया जाएगा। ऐसा करते हुए स्क्रीन पर वे दो नंबर आ जाएंगे जिसे बंदी ने पंजीकृत कराया है। जिस नंबर पर उसे बात करनी है, स्क्रीन पर उसको टच कर चयनित करेगा। इसके बाद संबंधित नंबर पर रिंग जाने लगेगी। तय निश्चित अवधि के बाद फोन अपने आप कट जाएगा।

जेल में बंदियों को बात करने के लिए हाइटेक मशीन की स्थापना कर दी

शासन की मंशानुसार जेल में बंदियों को बात करने के लिए हाइटेक मशीन की स्थापना कर दी है। कुल 19 मशीनें स्थापित करनी हैं। इसके सापेक्ष 12 मशीनें स्थापित हो गई है। अब बंदी पंजीकृत दो नंबरों पर सप्ताह में पांच दिन बात कर सकते हैं।- एके सक्सेना, अधीक्षक वाराणसी जिला जेल

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