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डेमू ट्रेेनों को हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलाने की तैयारी, रेलवे बोर्ड ने दी मंजूरी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डेमू ट्रेनें) अब हाइड्रोजन फ्यूल सेल (हरित ऊर्जा) से चलाई जाएंगी। खर्चों में कमी तो आएगी ही, पर्यावरण भी पूरी तरह से संरक्षित होगा। हरित ऊर्जा के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन जीरो हो जाता है। फिलहाल, रेलवे बोर्ड ने उत्तर रेलवे के 89 किमी सोनीपत- जिंद रूट पर दो डेमू ट्रेनों को ग्रीन ऊर्जा से संचालित कर परीक्षण करने की हरी झंडी दे दी है।

पर्यवारण रहेगा सुरक्षित

परीक्षण सफल हुआ तो पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर सहित अन्य जोन की डेमू ट्रेनें भी हरित ऊर्जा से चलने लगेंगी। पूर्वोत्तर रेलवे में सामान्य दिनों में दर्जन भर डेमू ट्रेनें चलती हैं। दरअसल, डीजल से चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों को इलेक्ट्रिक इंजनों से संचालन शुरू करने के बाद रेलवे बोर्ड ने भारतीय रेलवे में चल रही डेमू ट्रेनों को हरित ऊर्जा से चलाने की योजना तैयार की है। ताकि, पर्यावरण को पूरी तरह संरक्षित किया जा सके।

आठ करोड़ का बजट स्वीकृत

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार वर्ष 2030 तक भारतीय रेलवे ने दुनिया की सबसे बड़ी हरित रेल (मिशन नेट जीरो कार्बन उत्सर्जक रेल) बनने की तरफ अपना कदम बढ़ा दिया है। इसके लिए ट्रेनों को हाइड्रोजन फ्यूल सेल के आधार पर की योजना तैयार की गई है। आठ करोड़ का बजट स्वीकृत कर इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उपकरण, हाइड्रोजन स्टोरेज एवं फिलिंग स्टेशन का प्रावधान अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) के मानक के अनुरूप किया जाएगा।

रेलवे में अगस्त में पूरा हो जाएगा पौधारोपण का लक्ष्य

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे में तेजी के साथ पौधारोपण हो रहा है। मुख्यालय गोरखपुर सहित लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल के स्टेशनों, रेल लाइनों और कालोनियों के आसपास खाली भूमि पर अभी तक 6 लाख 27 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। 15 अगस्त को भी अभियान चलाकर पौधे लगाए जाएंगे। रेलवे प्रशासन इस वर्ष आठ लाख पौधा लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अगस्त में यह लक्ष्य पूरा हो जाएगा। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार चरणबद्ध तरीके से पौधारोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। रेलवे में राष्ट्रीय पर्वों एवं प्रमुख निरीक्षण के दौरान भी पौधारोपण की परंपरा है।

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