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भाजपा सीएम बदले तो मास्टरस्ट्रोक, कांग्रेस हटाए तो हिट विकेट क्यों?

गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. पंजाब कांग्रेस की रार खत्म करने के लिए आखिरकार कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से इस्तीफा देना ही पड़ा। विधानसभा चुनाव में सिर्फ 5 महीने का समय बचा है और माना जा रहा है कि पार्टी के अंदर ही कैप्टन के कई विरोधी पैदा हो गए थे। इसके अलावा पार्टी ने पिछले साढ़े चार सालों की एंटी इनकंबेंसी को काटने की योजना के साथ ही कैप्टन को बदलने का फैसला लिया। 

किसी राज्य में चुनाव से पहले बड़े फेरबदल बीते हफ्ते भी देश ने देखा, जब विजय रूपाणी से अचानक इस्तीफा लेकर भूपेंद्र पटेल को गुजरात का सीएम बनाया गया और उनका पूरा मंत्रिमंडल तक अब नया है। बीजेपी ने चुनाव जीतने की मंशा से जो गुजरात और उत्तराखंड में किया, वही कांग्रेस अब पंजाब में कर रही है लेकिन फिर भी दोनों परिस्थितियों में क्या अंतर है इसे समझने की जरूरत है। 

कब-कब बीजेपी ने बदले CM

बीजेपी ने मार्च में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह लोकसभा सदस्य तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया था। जुलाई में मुख्यमंत्री बनाए जाने के चार महीने बाद ही तीरथ सिंह रावत को भी हटा दिया गया और दो बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई। उत्तराखंड के बाद बीजेपी ने कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को हटाकर बीएस बोम्मई को मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी। इसके बाद पार्टी ने बीते हफ्ते ही गुजरात में विजय रूपाणी की बजाय भूपेंद्र पटेल को अगला सीएम बनाया है और रूपाणी की पूरी टीम को भी नई सरकार में जगह नहीं मिली है। 

पंजाब में कैप्टन ही हैं कांग्रेस

बीजेपी ने इस साल तीन राज्यों में सीएम बदले हैं। ताजा बड़ा फेरबदल गुजरात में देखने को मिला जहां अब भूपेंद्र पटेल ने सीएम पद संभाला है और विजय रूपाणी अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही सीएम पद से हटा दिए गए, मगर एक बड़ा फैक्टर जो पंजाब को इन दोनों राज्यों की स्थिति से अलग करता है, वह है बीजेपी के इन मुख्यमंत्रियों का अपने राज्यों में सर्वेसर्वा न होना। इन राज्यों में बीजेपी ने चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा था और यहां बीजेपी की जीत मोदी की जीत थी। लेकिन पंजाब में स्थिति एकदम उलट है। यहां कांग्रेस का मतलब ही कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं और राज्य में साल 2017 के चुनावों में पार्टी की जीत कैप्टन की जीत थी। बीजेपी ने जिन मुख्यमंत्रियों को हटाया उनमें येदियुरप्पा के अलावा कोई भी नेता जनाधार वाला नहीं था लेकिन कांग्रेस के पास पंजाब में कैप्टन के कद का अभी भी कोई और नेता नहीं है। 

येदियुरप्पा तो हिट फिर भी बीजेपी ने उन्हें कैसे हटाया?

सिर्फ कर्नाटक ही ऐसा राज्य है जहां बीजेपी ने पॉप्युलर फेस यानी बीएस येदियुरप्पा को हटाकर नया सीएम नियुक्त किया है। येदियुरप्पा को लिंगायत समुदाय का कद्दावर नेता माना जाता है। ऐसे में बीजेपी ने उनके रिप्लेसमेंट के तौर पर भी इसी समुदाय के अन्य मजबूत नेता बसवाराज बोमई को कर्नाटक की कमान सौंपी। इतना ही नहीं, बसवाराज को बीएस येदियुरप्पा का भरोसेमंद भी माना जाता है। माना जाता है कि येदियुरप्पा ने ही बसवाराज का नाम अगले सीएम के तौर पर प्रस्तावित किया था। वहीं, पंजाब में कैप्टन के खुले विरोध के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया और एक संभावना यह भी है कि सिद्धू को ही पंजाब का अगला सीएम भी बनाया जा सकता है।

शीर्ष नेतृत्व की पकड़ मजबूत

देश के तीन राज्यों में ही कांग्रेस की सरकार है और पार्टी इन तीनों ही जगह अंदरूनी कलह की मार झेल रही है। विवाद सुलझाने के लिए कमेटी पर कमेटी बन रही हैं लेकिन अभी तक मसले सुलझे नहीं हैं। वहीं, बीजेपी ने सिर्फ इस साल ही तीन राज्यों में सीएम बदले हैं और उत्तराखंड में तो पुष्कर सिंह धामी तीसरे सीएम हैं। हालांकि, बीजेपी में हाई कमान का फैसला ही अंतिम फैसला है और इसके खिलाफ पार्टी के अंदर भले ही कलह हो लेकिन वह बाहर नहीं आई मगर कांग्रेस की कलह किसी से छिप नहीं सकी है। बीजेपी में शीर्ष नेतृत्व की पकड़ का अंदाजा कर्नाटक से ही लगाया जा सकता है जहां पार्टी ने लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा को हटाया और बसवाराज को सीएम बनाया लेकिन फिर भी पार्टी में सिर-फुटव्वल जैसी स्थिति देखने को नहीं मिली।

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