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यूपी-बिहार की सीमा पर जयप्रभा सेतु पर दो सरकार, बिहार में शानदार तो यूपी में अटकीं सांसें

 गाजीपुर न्यूज़ टीम, बलिया. एक समय था जब बिहार के लोग यूपी की सड़कों को देखकर तरसते थे, आज उस स्थान पर यूपी के लोग आ चुके हैं। अब यहां के लोग कहते हैं..काश! वैसी सड़क इधर भी होती। यह देखने के लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। बलिया जनपद के आखिरी छोर पर मांझी के जयप्रभा सेतु पर ही चले जाएं। दोनों तरफ की तस्वीर स्पष्ट रूप से दिख जाएगी। दरअसल मांझी में जयप्रभा सेतु यूपी की सीमा में पड़ता है, लेकिन दूसरा सिरा जहां खत्म होता है, वहीं से बिहार शुरू हो जाता है। अपनी सीमा के हिस्से को बिहार राज्य ने बेहतर बना रखा है।

यूपी वाले सिरे की सड़क को देखें तो केवल गड्ढे ही नजर आते हैं। इस सड़क के निर्माण के लिए गाजीपुर से बलिया में इस सेतु तक 102 करोड़ में एक साल पहले टेंडर हो चुका है। जयपुर की कंपनी कृष्णा इंफ्रास्ट्रक्चर एक साल में भी सड़क को नहीं बना पाई। इस सेतु से होकर प्रतिदिन लगभग पांच हजार बड़े-छोटे वाहनों का परिचालन होता है। अब कहा जा रहा है कि कंपनी दिसंबर तक इस सड़क को हर हाल में बना देगी। गाजीपुर से और मांझी घाट दोनों तरफ से कार्य शुरू कर दिया गया है।

जयप्रभा सेतु का भी अलग इतिहास

यूपी-बिहार को जोड़ने वाले जयप्रभा सेतु का भी अलग इतिहास है। इस सेतु के निर्माण में लगभग 30 वर्षों का समय लगा है। कुछ पुराने लोग बताते हैं कि यूपी के मुख्यमंत्री रहे रामनरेश यादव व बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर के कार्यकाल में इसका शिलान्यास हुआ था। निर्माण में अधिक समय लगने का एक कारण दोनों राज्यों में राज्यांश का पेंच था। काफी विलंब होने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के प्रयासों से इसे केंद्रीय ब्रिज विभाग ने अपने हाथों में लिया। वर्ष 2005 तक इसके सभी कार्य पूर्ण हुए। इसका लोकार्पण पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भव्य रूप से कराना चाहते थे लेकिन उसी दौरान वह अस्वस्थ हाे गए और बिना लोकार्पण ही वर्ष 2006 से इस पर वाहनों का परिचालन शुरू हो गया।

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