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क्या यूपी में कांग्रेस को '40:60' का प्रियंका फॉर्मूला सत्ता दिलाएगा? जानें क्यों कर रही प्रयोग

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. क्या यूपी में कांग्रेस को '40:60' का प्रियंका फॉर्मूला सत्ता दिलाएगा? यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि इस राज्य में जीत के लिए कांग्रेस पार्टी ने इस फॉर्मूले के तहत बड़ा दांव खेल दिया है। यहां 40 का मतलब प्रियंका गांधी के उस ऐलान से है जिसमें उन्होंने कहा है कि पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देगी। यानी पार्टी की तरफ से 60 फीसदी पुरुष प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में होंगे।

अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य का यह चुनाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, सपा और बसपा समेत सभी दलों के लिए काफी अहम है। अभी राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है और कांग्रेस पूरी कोशिश कर रही है कि यहां भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके।

खुद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पार्टी की तरफ से मोर्चा संभाला है और यूपी सरकार पर बेहद आक्रामक तरीके से हमले कर रही हैं। इस बीच मंगलवार को प्रियंका गांधी वाड्रा ने ऐलान किया कि अगले साल होने वाले चुनाव में उनकी पार्टी 40 प्रतिशत टिकटें महिलाओं को देगी। जाहिर है महिला वोटरों को आकर्षित करने के लिए यह कांग्रेस का बड़ा प्लान है।

इस ऐलान के वक्त प्रियंका गांधी ने यह भी कहा, 'मेरा बस चलता तो मैं 50 प्रतिशत टिकट दे देती। यूपी में आरक्षण बढ़ेगा तो देश भी बढ़ेगा।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस का नारा है 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं।' उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं। चुनाव में 40 फीसदी महिला प्रत्याशी उतारे जाने का मतलब यह हुआ है कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से 160 से ज्यादा सीटों पर महिला प्रत्याशी मैदान में नजर आएंगी। आपको बता दें कि साल 2017 में हुए यूपी चुनाव में रिकॉर्ड 38 महिलाएं विधायक बनी थीं। 

यूपी चुनाव में 40 फीसदी टिकट महिला उम्मीदवारों को देकर प्रियंका गांधी ने यूपी के दूसरे दलों बीजेपी, सपा और बीएसपी से अलग वोटबैंक बनाने की कोशिश की है। एक और बात यह भी है कि राज्य के पार्टी संगठन में महिलाओं में कोई बड़ा चेहरा दूर-दूर तक नहीं दिखाई देता। कांग्रेस के अंदर महिला चेहरों में गिने-चुने ही नाम जुबान पर आते हैं जिनमें से प्रियंका गांधी ने अभी चुनाव लड़ने पर साफ तौर पर कुछ नहीं कहा है। इनके अलावा वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा 'मोना', अदिति सिंह और सुप्रिया श्रीनेत जैसे नाम हैं।

हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि कांग्रेस यूपी में किसी अन्य पार्टी से गठबंधन करेगी या नहीं। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने पहले ही किसी भी राष्ट्रीय पार्टी से गठबंधन करने की बात से इनकार कर दिया है। साल 2019 में लोकसभा चुनाव के वक्त जो डेटा सामने आया था उसके मुताबिक राज्य में 6.61 पंजीकृत महिला वोटर हैं, जबकि पुरुष वोटरों की संख्या 7.79 करोड़ है। इन आंकड़ों के मुताबिक यहां महिला का वोटर शेयर करीब 46 फीसदी है। 

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी में बेहद ही खराब स्थिति में थी। इस बार पार्टी राज्य में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की पूरी कोशिश कर रही है। वह भी तब जब उत्तर प्रदेश के चुनाव में जाति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कांग्रेस यह कदम उठा कर महिला मतदाताओं को अपने पाले में करने का प्रयास कर रही है।

जिस प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रियंका गांधी ने 40 फीसदी महिला प्रत्याशी उतारे जाने का ऐलान किया उसमें उन्होंने कई महिलाओं का जिक्र भी किया जिनसे उनकी मुलाकात हुई थी। इसमें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में महिला से हुई मुलाकात, सोनभद्र में 10 आदिवासियों के मारे जाने के बाद हुई कुछ महिलाओं से मुलाकात, उन्नाव में एक महिला को गैंगरेप के बाद जला देने की घटना के बाद हुई मुलाकात और लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद प्रदर्शन के दौरान महिलाओं से हुई मुलाकात का जिक्र शामिल था।  

प्रियंका गांधी ने लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर भी निशाना साधा। प्रियंका गांधी ने कहा कि 'पार्टियां सोचती हैं कि वो महिलाओं को एलपीजी सिलेंडर या 2,000 रुपए देकर खुश कर देंगी। लेकिन महिलाओं का संघर्ष लंबा और कहीं ज्यादा गहरा है।' आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देती है। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वला 2.0 को लॉन्च किया था और कहा था कि एलपीजी कनेक्शन से महिलाओं को असाधारण लाभ मिलता है। 

बीजेपी अक्सर उज्जवला स्कीम, ट्वॉयलेट निर्माण, गांवों में घर और तीन तलाक को महिलाओं की जीत बता कर इसका प्रचार-प्रसार करती रहती है। बीजेपी नए बनाए जा रहे ट्वॉयलेटों को महिलाओं के लिए 'इज्जत घर' भी कहती है।  उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधान के चुनाव में महिलाओं ने करीब 54 फीसदी सीटों पर कब्जा जमाया था। 58,176 पोस्ट में से महिलाओं ने 31,212 पोस्ट पर जीत हासिल की थी। यह नंबर महिलाओं को मिले एक तिहाई आरक्षण से कही ज्यादा है। इस पंचायत चुनाव में 75 जिलों के पंचायत अध्यक्ष के पदों में से महिलाओं से 42 पर जीत का पताखा फहराया। जबकि कोटे के मुताबिक वो सिर्फ इनमें से 24 सीटें ही जीत पातीं। 

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 63.25 फीसदी से ज्यादा महिला वोटर पोलिंग बूथ तक पहुंची थीं। जबकि 59.5 फीसदी पुरुषों ने ही चुनाव में वोट दिया था। जाहिर है पिछले चुनाव में बूथों पर महिलाओं की संख्या ज्यादा थी और शायद यही वजह है कि प्रियंका गांधी 40 फीसदी महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतार कर पोलिंग बूथों पर लगने वाली इस भीड़ को कांग्रेस पार्टी की तरफ खींचने की कोशिश कर रही हैं। 

कांग्रेस की कोशिशें विधानसभा में कितना रंग लाएगी यह नहीं पता लेकिन हो सकता है कि कांग्रेस इसका लॉन्ग टर्म इफेक्ट सोचकर चल रही है यानी उसे लग रहा है कि अभी की गई कोशिशों का फायदा पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव में मिल सकता है। हालांकि, कांग्रेस के सामने एक चुनौती महिला उम्मीदवारों का चयन भी होगा। बहरहाल उत्तर प्रदेश का जो सीनेरियो है उसमें लड़ाई बीजेपी और अखिलेश के बीच ही नजर जाती है। चेहरा योगी और अखिलेश ही नजर आते हैं।

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