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मुख्तार अंसारी पर 11 नवंबर को तय होंगे आरोप, कोर्ट ने पेश न किए जाने पर जताई नाराजगी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को लखनऊ की एमपीएमएलए कोर्ट में पेश न किए जाने पर मंगलवार को विशेष न्यायाधीश पवन कुमार रॉय ने नाराजगी जताई है। उन्होंने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी, पुलिस कमिश्नर, कारागार के अतिरिक्त महानिदेशक, बांदा के जेल अधीक्षक, जिलाधिकारी लखनऊ व संबंधित थानेदार को पत्र लिखकर मुख्तार को कोर्ट में पेश करने और रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि मुख्तार अंसारी पर लखनऊ जेल में बंद रहने के दौरान कर्मचारियों पर पथराव, जानलेवा हमला और सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचने का आरोप है। पर, 20 साल पुराने मामले में अभियोजन कोई रुचि नहीं ले रहा है। पिछली कई तारीखों से अभियोजन मौखिक रूप से कह रहा है कि मुख्तार को अगली तारीख पर कोर्ट में हाजिर कर देगा। इसके बावजूद उसे बांदा की जेल से लाकर हाजिर नहीं किया गया।

इसके चलते न तो आरोपी पर आरोप तय हो पा रहे हैं और न ही गवाही हो पा रही है। कोर्ट ने कहा कि मुख्तार अंसारी को कोर्ट में पेश करने के लिए मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों को कई बार कहा गया, लेकिन किसी भी अधिकारी ने न तो कोई रिपोर्ट कोर्ट में दी और न ही आरोपी को पेश किया, यह अत्यंत आपत्तिजनक है। कोर्ट ने मामले में मुख्तार अंसारी पर आरोप तय करने के लिए 11 नवंबर की तारीख तय की है।

गौरतलब है कि तीन अप्रैल 2000 को लखनऊ के जेलर एसएन द्विवेदी ने मुख्तार व अन्य लोगों के खिलाफ आलमबाग थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसमें बताया गया है कि 29 मार्च 2000 को पेशी से लौटे बंदियों को जेल के अंदर किया जा रहा था। तभी क्वारंटीन बैरक में बंद मुख्तार अंसारी और उसके साथी यूसुफ  चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित, लालजी यादव ने बंदी चांद को मारना शुरू कर दिया। वादी व अन्य कर्मचारी जब चांद को बचाने पहुंचे तो आरोपियों ने उन पर पथराव कर दिया और जानमाल की धमकी देते हुए बैरक में भाग गए।

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