Today Breaking News

गाजीपुर में डीएपी की किल्लत, आलू की बुआई को लेकर किसान चिंतित - Ghazipur News

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले में डीएपी की किल्लत से आलू की बुआई को लेकर किसान चिंतित हैं। वे प्रतिदिन सुबह से शाम तक सहकारी समितियों का चक्कर काट रहे हैं लेकिन खाद कब मिलेगी, यह बताने वाला कोई नहीं है। जनपद में आठ हजार हेक्टेयर में आलू की खेती होती है। खाद न मिलने से आलू का रकबा घटने की आशंका जताई जा रही है। 27 हजार एमटी डीएपी उपलब्धता का लक्ष्य है। कृषि विभाग 5500 एमटी डीएपी उपलब्ध होने का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसान परेशान हैं।

वर्तमान समय में किसान आलू की बुआई करने के लिए खेत को तैयार करने में जुटे हुए हैं। इस समय ही डीएपी की अधिक आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में डीएपी की किल्लत होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। स्थिति यह है कि बाजार में भी खाद नहीं मिल पा रही है। सुबह से ही किसान अपने नजदीकी समितियों पर पहुंचकर चक्कर काट रहे हैं लेकिन वहां तैनात कर्मचारी कब तक खाद उपलब्ध होगी। इस बारे में कुछ भी बता नहीं पा रहे हैं। कृषि विभाग 2700 एमटी लक्ष्य के सापेक्ष 5500 एमटी डीएपी उपलब्ध होने का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। किसानों को खाद के लिए इधर-उधर भटकने को विवश होना पड़ रहा है। कृषि विभाग ने दो रैक डीएपी और एक रैक यूरिया की मांग की है। इसके उपलब्ध होने से जिले में डीएपी की मात्रा 5510 एमटी हो जाएगी।

गाजीपुर जिले में 5500 एमटी डीएपी उपलब्ध है। जिन सहकारी समितियों में डीएपी नहीं है, वहां संबंधित विभाग के अधिकारी डीएपी उपलब्ध करा रहे हैं। डीएपी एवं यूरिया उपलब्धता के लिए मांगपत्र भेजा गया है।- मृत्युंजय सिंह, जिला कृषि अधिकारी

अब आलू की बुआई का समय हो गया है। तैयारी से पूर्व डीएपी की अधिक जरूरत होती है लेकिन डीएपी न तो समिति पर है और न ही बाजार में। ऐसे में बुआई न होने की आशंका बढ़ गई है।- हीरा यादव

डीएपी जिले में नहीं है। इसके लिए सुबह से शाम तक चक्कर काटने को विवश होना पड़ रहा है। बाजार में भी खाद नहीं मिल पा रही है। इसके चलते काफी दिक्कत हो रही है।- शिवानंद

आलू की बुआई से पूर्व खेत में डीएपी डाली जाती है। खाद की अनुपलब्धता ने किसानों की चिंता को दोगुना कर दिया है। स्थिति काफी खराब है, खेती पिछड़ने की आशंका बढ़ गई है।- काशीनाथ

अगर जिले में खाद है तो क्यों नहीं समितियों को उपलब्ध कराया जा रहा है। खाद के उपलब्ध नहीं होने से काफी दिक्कत झेलनी पड़ रही है।- धर्मेंद्र

'