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बड़े मुद्दे भले ही खत्म हो गए हों लेकिन गर्म ही रहेगा शीतसत्र

गाजीपुर न्यूज़ टीम,  नई दिल्ली. तीनों कृषि कानूनों की वापसी और पेगासस जासूसी कांड जैसे मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित करने के बाद यह मुद्दे भले ही खत्म हो गए हों, लेकिन इसके बाद भी सरकार के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में कामकाज बहुत आसान नहीं होगा। विपक्षी दलों का जो रुख देखने को मिल रहा है,उसमें पिछले सत्र की तरह बड़े व्यवधान भले ही न हों लेकिन सदन को सुचारु रूप से चलाना सरल नहीं होगा। कोरोना को लेकर फिर से आशंकाएं खड़ी होने लगी हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में पुराने मुद्दों को गरम करने की कोशिश हो सकती है।

कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी विपक्ष किसानों का मुद्दा नहीं छोड़ेगा

राहुल गांधी ने पहले ही संदेश दे दिया है कि वह कोरोना के कारण होने वाली मौतों की संख्या को फिर से उठा सकते हैं। वैसे भी आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश सहित देश के अहम पांच राज्यों में चुनाव हैं और वहां के स्थानीय मुद्दे भी संसद में रोजाना उछल सकते हैं। इस बीच जो जानकारी सामने आ रही है, उसके अनुसार विपक्ष किसानों के मुद्दे पर ही सरकार को घेरने की रणनीति पर काम करेगा। इनमें एमएसपी को कानूनी गारंटी देने जैसी किसानों की एक अहम मांग भी है।

एमएसपी और चुनावी राज्यों के स्थानीय मुद्दों पर होगी सरकार की घेरेबंदी

हालांकि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही एमएसपी की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का भी एलान किया है। बावजूद इसके विपक्ष खुद को किसानों के मुद्दे पर साथ खड़ा रहने और दिखाने की कोशिश जारी रखने की रणनीति पर जुटा है। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नंवबर से शुरू हो रहा है, जो 23 दिसंबर तक चलेगा।

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