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उत्तर प्रदेश में हर रोज तीन बेटियां गायब, आखिर कहां जा रहे बच्चे? RTI से हुआ सनसनीखेज खुलासा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. बेटियों की सुरक्षा का दावा करने वाली बीजेपी सरकार की मशीनरी बेपरवाह है। एक साल के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश से 1763 बच्चे लापता हो चुके हैं। परेशानी की वजह यह है कि गायब होने वाले बच्चों में 1166 लड़कियां हैं। आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश से हर रोज तीन बच्चियां लापता हो रही हैं। यह सनसनीखेज खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी में हुआ है। 50 जिलों से मिली आरटीआई के जबाव में यूपी पुलिस ने बताया कि पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश से 1763 बच्चे लापता हैं। जिनमें से गायब होने वालीं बच्चियां 1166 हैं। इनमें 1080 लड़कियों की उम्र 12-18 वर्ष है। हालांकि, पुलिस ने 966 लड़कियों को बरामद कर लिया गया है, लेकिन अभी भी 200 लड़कियां बेसुराग हैं।

300 परिवारों को है बच्चों का इंतजार

आगरा के आरटीआई एवं चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस ने वर्ष 2020 में लापता बच्चों की जानकारी यूपी पुलिस से मांगी थी। जिसमें से 50 जिलों से जबाव मिला। पुलिस ने बताया कि 1763 बच्चे लापता हुए हैं। जिनमें से 597 लड़के और 1166 लड़कियां हैं। 1461 बच्चों को बरामद किया गया। 302 बच्चे अभी लापता हैं। जिनमें से 102 लड़केऔर 200 लड़कियां हैं। 50 जिलों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि उत्तर प्रदेश से हर रोज लगभग पांच बच्चे लापता हो रहे हैं। कुछ जिलों की पुलिस ने आरटीआई का जबाव देने से सीधे इन्कार कर दिया है।

इन जिलों से सबसे ज्यादा गुम हुए बच्चे

मेरठ से 113, गाजियाबाद - 92, सीतापुर - 90, मैनपुरी - 86 और कानपुर नगर - 80

आखिर कहां गुम हो रहे बच्चे?

आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस का कहना है कि बच्चों का इस तरह से लापता होना चिंता का विषय है। लापता बच्चा चार माह तक बरामद न होने पर विवेचना मानव तस्करी निरोधक शाखा में स्थानांतरित करने का प्रावधान है। उसके बावजूद भी लापता बच्चों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। लड़कियों की संख्या और अधिक चितिंत करती है। 12-18 वर्ष की लड़कियां ज्यादा गायब हो रहीं हैं। आखिर ये बच्चे कहां जा रहे हैं? आशंका यह भी है कि बच्चों का गलत उपयोग तो नहीं किया जा रहा।

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