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मायावती ने अकेले लड़ने का किया ऐलान...जानिए यूपी में कितने पानी में है बसपा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान हो चुका है। सत्ताधारी बीजेपी के अलावा विपक्षी समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस ने चुनाव को लेकर कमर कस ली है। सभी पार्टियां बड़े नेताओं के चेहरे को चुनाव में उतारने की तैयारी में है। ऐसे में बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि उनकी पार्टी सूबे की सभी 403 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। 



ऐसे में बहुजन समाजवादी पार्टी के सामने एक बड़ा सवाल है। सवाल ये कि बसपा आखिर बिना बड़े नेताओं के चेहरे के कैसे आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में उतरेगी। तमाम बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। ऐसे में बीएसपी को बड़ा नुकसान हो सकता है। वहीं, दूसरी पार्टियों में से किसी को इसका फायदा मिलेगा।

क्या कहा मायावती ने

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान किया है कि पार्टी सभी 403 सीटों पर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने वाली है। उन्होंने किसी भी अन्य पार्टी से गठबंधन से इनकार कर दिया और कहा कि साल 2007 की तरह ही इस बार भी अगर उन्हें सत्ता मिलती है तो वे सभी वर्गों का ध्यान रखेंगी। मायावती ने रविवार को अतिपिछड़ा वर्ग, मुस्लिम समाज और जाट समुदाय के पार्टी के नेताओं के साथ एक बड़ी बैठक लखनऊ में बुलाई थी।

बड़े नेता हो चुके हैं पार्टी से बाहर

बसपा संस्थापक कांशीराम के दौर में पार्टी से जुड़े ज्यादातर प्रमुख नेता अब पार्टी से बाहर हो चुके हैं। उस दौरान बसपा में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राज बहादुर, आरके चौधरी, दीनानाथ भास्कर, मसूद अहमद, बरखूराम वर्मा, दद्दू प्रसाद, जंगबहादुर पटेल और सोनेलाल पटेल जैसे नेता हुआ करते थे। इनके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य, जुगुल किशोर, सतीश चंद्र मिश्र, रामवीर उपाध्याय, सुखदेव राजभर, जयवीर सिंह, ब्रजेश पाठक, रामअचल राजभर, इंद्रजीत सरोज, मुनकाद अली और लालजी वर्मा ने भी अहम रोल निभाया है।

लेकिन पार्टी में जैसे-जैसे मायावती का प्रभाव बढ़ता गया, एक-एक करके नेता बाहर होते गए। किसी ने अपनी पार्टी या संगठन बना अलग राह चुनी तो कई लोगों ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया।

फिलहाल सोशल इंजीनियरिंग की माहिर कही जाने वालीं मायावती ने इस विधानसभा चुनाव को लेकर अपने क्या दांवपेच सोच रखे हैं यह तो वक्त बताएगा। लेकिन पार्टी के जिन नेताओं ने बसपा का साथ छोड़ा है, उनकी भरपाई मायावती कैसे कर पाएंगी और क्या नए चेहरे मायावती को ताकत दे पाएंगे। इन सवालों के जवाब तो विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही तय हो सकेगा।

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