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29 वर्ष बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, 14 जनवरी की रात लगेगी मकर संक्रांति, 15 को खिचड़ी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. सनातन संस्कृति में दिन और ऋतु के अनुरूप व्रत पर्व मनाने की परंपरा है। इससे मानव जीवन और समाज में ऊर्जा का संचार होता है। व्रत-पर्व समाज को एक सूत्र में बांधने का काम करते हैं। सूर्य के राशि परिवर्तन से उत्पन्न मकर संक्रांति का पर्व इस बार 15 जनवरी को मनाया जाएगा।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय की मानें तो शास्त्रीय मान्यतानुसार -

पूर्वराशिं परित्यज्य उत्तरां याति भास्कर।

स राशि: संड्क्रामाख्या स्यान्मासस्त्वायनहायने।।

अर्थात सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। यह काल देवताओं की मध्यरात्रि मानी जाती है। इस दिन से देवता अपने दिन की ओर उन्मुख होने लगते हैं। धार्मिक शास्त्रीय ²ष्टि से इस काल को देखें तो इसमें स्नान दान का विशेष महत्व है। संक्रांति काल में गंगा सहित अन्य नदियों में स्नान करने और श्रद्धानुसार जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र का दान करने से मनुष्य को अनंत गुणित फल प्राप्त होता है। गुड़ का दान विशेष फलदाई माना जाता है। पुण्य काल में स्नान-दान करने से मनुष्य कई जन्मों तक निरोगी रहता है। मकर संक्रांति के दिन भगवान शिव का घृत से अभिषेक करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। स्वर्ण और तिल से भरे पात्र का दान करने से अक्षय फल प्राप्त होता है।

12:49 बजे तक रहेगा पुण्य काल

प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार इस वर्ष सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी (शुक्रवार) को रात्रि 8:49 बजे प्रवेश कर रहे हैं। धर्मसिंधु के अनुसार

यद्यस्तमयवेलायां मकरं याति भास्कर:।

प्रदोष वार्धरात्रे वा स्नानं दानं परेहनि।।

इस वचन के अनुसार सूर्यास्त के बाद यदि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब संक्रांति होने पर पुण्यकाल अगले दिन मान्य होता है। इस कारण 15 जनवरी (शनिवार) को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को प्रात: काल से दोपहर 12:49 तक रहेगा।

29 वर्ष बाद बन रहा दुर्लभ संयोग

इस बार मकर संक्रांति पर विशेष युति बन रही है, जो विभिन्न राशियों के जातकों को प्रभावित करेगी। सूर्य-शनि की युति का दुर्लभ संयोग 29 वर्ष बाद बन रहा है। इसी दिन ब्रह्म और आनंदादि योग भी बन रहा है। शास्त्रों में ब्रह्म योग को शांति का प्रतीक माना जाता है। वहीं आनंदादि योग मनुष्य की असुविधाओं को दूर करता है। मकर संक्रांति के समय रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र का योग है। संक्रांति के समय ब्रह्म योग और बालव करण है। 

यह संक्रांति चंद्रमा के वृषभ राशि में घटित हो रही है। इस दिन मित्र नामक महाऔदायिक योग भी लग रहा है। मेदिनीय संहिता के अनुसार यदि मेष, वृषभ, कर्क, मकर और मीन राशि में संक्रांतियां होती हैं तो वे सुखदायी होती हैैं। इस वर्ष मकर संक्रांति वृषभ राशि में घटित होने से सुखदायक रहेगी। फलप्रदीप में कहा गया है कि यदि संक्रांति बैठे अवस्था में प्रवेश करती है तो धन-धान्य की वृद्धि, आरोग्यता की प्राप्ति होती है। संक्रांति का प्रवेश रात में हो रहा है इसलिए उत्तम माहौल रहेगा। मृगशिरा नक्षत्र में होने से मंदाकिनी संज्ञा रहेगी। शनिवार दिन होने से यह संक्रांति सुख प्रदान करने वाली होगी।

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