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खूब फलफूल रही है राजनीति की वंश बेल, नई पौध भी हो गई तैयार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. देश तथा प्रदेश में राजनीतिक महत्वाकांक्षा की जमीन पर विरासत के सियायी फूल खिलाना आसान नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश में कई धुरंधरों ने इसके लिए पौध बो दी है। चुनावी दंगल में जोर आजमा रहे ऐसे नये पहलवानों की ताकत को सूरमा पीछे से बढ़ा रहे हैं।

देश की सबसे अधिक आबादी वाले प्रदेश में राजनीतिक विरासत की वंश बेल भी बढ़ती रही है। बाहुबली हों या कद्दावर नेता। उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी अगली पीढ़ी को खड़ा करने की परंपरा रही है। बाहुबल, धनबल और क्षेत्र में अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर पारिवारिक पृष्ठभूमि को और मजबूत करने वाले नामों की कमी नहीं है। 18 वीं विधानसभा में भी कई बड़ों ने अपनी अगली पीढ़ी की सियासी राह आसान करने का दांव चला है। अब युवा पीढ़ी पर पारिवारिक प्रतिष्ठा बचाने का दारोमदार है।

इनमें सबसे आगे माफिया मुख्तार अंसारी का परिवार है। पूर्वांचल में अपना खास दबदबा रखने वाले इस कुनबे के दो दावेदार इस बार एक-साथ ताल ठोंक चुके हैं। बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी ने खुद पांच बार विधायक रहने के बाद अब मऊ की सदर सीट को अपने बेटे अब्बास अंसारी को सौंपने का तानाबाना बुना है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शूटर अब्बास अंसारी की किस्मत का फैसला सातवें चरण के मतदान में होगा। इसी अंतिम चरण में मुख्तार के बड़े भाई पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह के बेट सुहैब अंसारी उर्फ मन्नू के भाग्य का भी निर्णय होगा। गाजीपुर की मुहम्मदाबाद सीट से पहले खुद सिबगतुल्लाह ने सपा से पर्चा दाखिल किया था। बाद में उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था और अब उनके बेटे सुहैब अंसारी इस सीट पर पारिवारिक प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 में कई कद्दावार नेताओं ने भी अपनी राजनीतिक विरासत को बढ़ाने के लिए अपनों को दंगल में उतारा है। पीलीभीत की बीसलपुर सीट से चार बार भाजपा की जीत का परचम लहरा चुके विधायक रामसरन वर्मा का बेटा विवेक वर्मा इस बार चुनाव मैदान में है। वहीं सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा भी 75 वर्ष की उम्र का आंकड़ा पार करने के बाद अब अपने बेटे गौरव वर्मा के लिए सियासी जमीन तैयार की है। भाजपा का दामन छोड़कर स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ साइकिल पर सवार हो चुके विनय शाक्य की बेटी भी पहली बार चुनाव मैदान में हैं। औरैया की बिधूना सीट से विधायक रहे विनय शाक्य की बेटी रिया शाक्य अब खुद भाजपा की उम्मीदवार हैं। इसी सीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष समाजवादी पार्टी के नेता स्वर्गीय धनीराम वर्मा की पुत्रवधु रेखा वर्मा भी पहली बार राजनीति में किस्मत आजमा रही हैं।

निषाद पार्टी के प्रमुख डा.संजय निषाद ने भी अपनी वंश बेल बढ़ाने की नींव रख दी है। गोरखपुर की चौरा-चौरी सीट से संजय निषाद के पुत्र सरवन कुमार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और उनसे ओबीसी बहुल इस सीट पर फिर से कमल खिलाने की उम्मीदें हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार में माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री रहे विजय बहादुर पाल ने भी अपने बेटे अनिल पाल की राजनीतिक जमीन तैयार कर दी है। कन्नौज जिले की तिर्वा सीट से सपा के टिकट पर अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं।

यह पहले ही जमा चुके धाक : सूबे की राजनीति में कई बड़ों के बेटे पहले ही राजनीतिक जमीन पर अपने कदम जमा चुके हैं। इनमें बाहुबली हरि शंकर तिवारी के बेटे विनय तिवारी फिर चुनाव मैदान में हैं। सपा के कद्दावर नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम भी एक बार फिर विधायक बनने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी भी दोबारा विधायक बनने के लिए ताल ठोंक चुके हैं। इस कड़ी में माफिया बृजेश सिंह के भतीजे व भाजपा विधायक सुशील सिंह का नाम भी प्रमुख है। चंदौली की सैयदराजा सीट से सुशील सिंह फिर अपनी जीत तय करने के लिए राजनीतिक समीकरण दुरुस्त करने में जुटे हैं।

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