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गंगा तीरे टूटी प्रियंका गाँधी वाड्रा की पतवार, काम नहीं आया बसवार का दौरा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, प्रयागराज. बात 25 महीने पहले की है। 18 मार्च 2019। यही वह तिथि थी, जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव प्रियंका वाड्रा ने गंगा यात्रा के बहाने निषाद समुदाय को साधने की कोशिश की। वह प्रयागराज में बसवार गांव पहुंची थीं और महिलाओं के बीच जमीन पर बैठीं। लेटे हनुमान मंदिर का दर्शन करने के बाद किला पहुंची। गंगा पूजन कर प्रियंका ने साफ्ट हिंदुत्व का जामा भी ओढ़ा। विधानसभा चुनाव के परिणाम में प्रियंका से कांग्रेस ने जिस करिश्मे की आस लगाई थी, वह मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर सका।

कांग्रेसी उम्मीदवारों से ज्यादा नोटा का बटन दबाया

संगमनगरी से ही प्रियंका ने पतवार थामकर सियासत को नया संदेश भी दिया। लेकिन नतीजों ने स्पष्ट कर दिया कि प्रियंका की पतवार गंगा तीरे ही टूट गई। अब अगर मंडल के 22 सीटों की बात करें तो प्रतापगढ़ से केवल रामपुर खास सीट से आराधना मिश्रा मोना ने ही कांग्रेस की लाज बचाई। बाकी सीटों पर तो कांग्रेस से ज्यादा नोटा के बटन मतदाताओं ने दबाए हैं।

गंगा यात्रा के दौरान प्रियंका ने प्रयागराज से मीरजापुर तक गंगा किनारे बसी आबादी को साधने के साथ युवाओं को भी अपने पाले में करने की भरपूर कोशिश की। नाव पर युवाओं की टोली से वार्ता की। 23 महीने के लंबे इंतजार बाद 13 फरवरी 2021 को मौनी अमावस्या पर प्रियंका अचानक संगम स्नान करने पहुंच गईं। यहां संगम में डुबकी लगाने के बाद वह जिस नाव पर सवार हुईं, उसके मांझी थे इलाहाबाद दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र के बसवार गांव के सुजीत निषाद।

नाविक से लंबी बात की और हाथों में थामी थी पतवार

प्रियंका ने उनसे लंबी बातचीत की। कुछ देर बाद सुजीत के हाथ से पतवार अपने हाथों में थाम लिया और जब सुजीत ने बताया कि यह नाव उसकी नहीं उसके ससुर की है तो प्रियंका ने उसे नई नाव दिलाने की बात कहकर निषाद समुदाय को साधने की कोशिश की। इतना ही नहीं प्रियंका को सुजीत ने जिला-पुलिस प्रशासन की तरफ से परेशान किए जाने की बात बताई। अब भला प्रियंका इसे भुनाने में कैसे चूक जाएं।

यहां से मनकामेश्वर मंदिर दर्शन करने वह भले दिल्ली रवाना हो गईं पर 21 फरवरी 2021 को बसवार गांव पहुंच गईं। यहां प्रियंका ने पूरा माहौल बनाया। मौके की नजाकत को भांपने की कोशिश करते हुए उन्होंने निषाद समुदाय से आने वाली कांग्रेस पार्षद अल्पना निषाद पर दांव लगा दिया। नतीजा अब सबके सामने है। इसके बाद 25 फरवरी को प्रियंका इलाहाबाद उत्तरी प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह के समर्थन में स्वराज भवन से नेतराम चौराहे तक रोड शो कीं। यहां भी प्रत्याशी का हार का सामना करना पड़ा। मंडल की एक सीट यदि छोड़ दी जाए तो कांग्रेस प्रत्याशी संतोषजनक मत भी हासिल करने में सफल नहीं हुए।

कांग्रेस से आखिरी विधायक चुने गए थे अनुग्रह

प्रयागराज में कांग्रेस के टिकट से अनुग्रह नारायण सिंह वर्ष 2012 में आखिरी बार इलाहाबाद उत्तरी सीट से विधायक चुने गए थे। इसके पहले 2007 में प्रतापपुर सीट से श्याम सूरत उपाध्याय, 1996 में फाफामऊ से विक्रमाजीत मौर्य, 1969 में सोरांव से भोला सिंह, 1989 में झूंसी से महेंदर सिंह, 1985 में हंडिया से राकेश धर त्रिपाठी, 1989 में मेजा से विश्राम दास, 1985 में करछना से केपी तिवारी और इलाहाबाद पश्चिमी से चौधरी नौनिहाल सिंह, 1989 में इलाहाबाद दक्षिणी से सतीश जायसवाल और 1989 में बारा से रमाकांत मिश्र विधायक चुने गए थे।

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