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योगी का मंत्रिमंडल इस बार कई मायनों में होगा अलग, इन बातों पर विशेष ध्यान

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नया मंत्रिमंडल इस बार पहले से कई मायने में अलग होगा। इस मंत्रिमंडल पर मिशन-2024 की छाप स्पष्ट दिखाई देगी। टीम योगी का हिस्सा बनने वाले चेहरों के जरिए पार्टी मिशन-2024 के लिए क्षेत्रीय संतुलन के साथ ही सामाजिक समीकरणों को साधने का प्रयास करेगी। प्रशासनिक अनुभव वाले कुछ चेहरे भी इस बार मंत्रिमंडल में दिखाई दे सकते हैं। कोशिश होगी कि विधानसभा चुनावों में जहां पार्टी की स्थिति 2017 की तुलना में कमजोर हुई वहां प्रतिनिधित्व देकर उसे मजबूती दी जाएगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पीएम नरेंद्र मोदी सहित पार्टी के तमाम शीर्ष नेताओं से मुलाकात और आभार प्रदर्शन के बाद सोमवार की शाम लखनऊ लौट आए। नई सरकार के स्वरूप को लेकर दिल्ली दरबार में मंत्रणा हो चुकी है। अब देखना यह है कि तय किए गए सांचे में कौन-कौन से चेहरे फिट होते हैं। यूं तो मंत्री बनने को लेकर विधायकों ने लखनऊ से दिल्ली तक दौड़ लगाई है। काम बन जाए इसलिए तमाम प्रयास और पूजा-पाठ का भी सहारा ले रहे हैं। सोमवार को भी भाजपा कार्यालय में दिनभर विधायकों का तांता लगा रहा।

हर इलाके का दिखेगा प्रतिनिधित्व

नई टीम में बृज क्षेत्र, मथुरा, आगरा, एटा, बदायूं, देविरया, हाथरस जिलों को प्रतिनिधित्व मिल सकता है। वहीं पश्चिम क्षेत्र में मेरठ को भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। इसी तरह सहारनपुर, शाहजहांपुर, बरेली का प्रतिनिधित्व भी दिखेगा। कानपुर और गोरखपुर क्षेत्र, बलिया , फतेहपुर, काशी क्षेत्र से कई चेहरों को जगह मिल सकती है। लखनऊ और इलाहाबाद मंडल से फिर कई चेहरे मंत्रिमंडल में दिखेंगे।

कुछ पुराने चेहरे नहीं होंगे रिपीट

दूसरी ओर पार्टी में जीते गए विधायकों को लेकर क्षेत्रवार और जातीय आधार पर आंकलन किया जा रहा है। पूर्वांचल के कई इलाकों के साथ ही पश्चिम पर इस बार खास फोकस रहेगा। पहली सरकार में बेहतर प्रदर्शन न करने वाले कई चेहरों को बदलने की चर्चा तो रही लेकिन पार्टी ने चुनाव से पहले कोई जोखिम नहीं लिया। हालांकि नवंबर में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए कई चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह जरूर दी गई। नई टीम में खराब परफारमेंस वाले चेहरे रिपीट नहीं होंगे। 

 योगी-1 में 60 मंत्री थे। 

मंत्रिमंडल में 41 जिलों की नुमाइंदगी थी। 

-34 जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका था। 

-पूर्वांचल व पश्चिमी यूपी को बराबर की हिस्सेदारी मिली थी।

लखनऊ से छह, प्रयागराज-3, वाराणसी से 3, शाहजहांपुर से दो, मथुरा से दो, आगरा से दो, फतेहपुर से दो, कानपुर से दो और सिद्धार्थनगर से दो विधायक मंत्री बनाए गए थे।

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