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29 बीघा नवीन परती व बंजर जमीन का बंदरबांट करने पर लेखपाल निलंबित, जांच शुरू

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. कासिमाबाद तहसील में तैनात लेखपाल ने नियमों को ताक पर रखकर फर्जी तरीके से लगभग 29 बीघा नवीन परती व बंजर जमीन का बंदरबांट कर दिया। तहसीलदार अमित शेखर की जांच में फर्जीवाडे़ की पुष्टि के बाद पट्टा निरस्त करने की रिपोर्ट एसडीएम ने जिलाधिकारी को भेज दी। दूसरे तहसील में कार्यरत चर्चित लेखपाल अखिलानंद तिवारी के निलंबन के लिए रिपोर्ट भेजी गई है। इस मामले को लेकर तहसील के तत्कालीन अधिकारी सवालों के घेरे में हैं।

कासिमाबाद ब्लाक के ग्राम पंचायत सनेहुआ व सलामतपुर व महुवीबांध में मनमानी तरीके से पट्टे की शिकायत एसडीएम को मिली थी। कासिमाबाद तहसील में तैनात लेखपाल अखिलानंद तिवारी और लेखपाल कृष्ण मुरारी पांडेय से तत्कालीन तहसीलदार के आदेश पर चार्ज लेकर पूर्व प्रधान से बैक डेट में प्रस्ताव कराकर पट्टा आवंटन पत्रावली तत्कालीन एसडीएम व तहसीलदार से स्वीकृत करा ली थी। साथ ही नियम को ताक पर रखकर तत्कालीन ग्राम प्रधान व भूमि प्रबंधन समिति के अध्यक्ष व उनके रिश्तेदारों को भी जमीन पट्टा कर दिया। 

जानकारी होने पर सनेहुआ के वर्तमान प्रधान जितेंद्र कुमार सरोज व ग्रामीणों ने समाधान दिवस पर इसकी शिकायत एसडीएम केके सिंह से की। एसडीएम ने इसकी जांच तहसीलदार अमित शेखर को सौंपी। जांच अधिकारी तहसीलदार अमित शेखर ने जांच में पाया कि दिसंबर 2020 में प्रस्ताव कर 22 अप्रैल 2021 को 59 लोगों को कृषि व आवास के लिए 29 बीघा जमीन आवंटित की गई। जिसके आदेश को सात महीने बाद पांच नवंबर 2021 को दर्ज किया गया है। 

जांच अधिकारी की रिपोर्ट पर पट्टा निरस्तीकरण की रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई। फिलहाल फर्जी पट्टा प्रकरण ने तहसील प्रशासन के पूर्व अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है। हड़बड़ी में पट्टा पत्रावली स्वीकृत करने, लेखपाल व राजस्व निरीक्षक की संस्तुति पर भौतिक सत्यापन न होने और पट्टा आवंटन देख रहे रजिस्ट्रार कानूनगो के फाइल छिपाने का पता चला है। एसडीएम की कार्रवाई से तहसील कर्मियों में हड़कंप मचा हुआ है।

एसडीएम कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि तत्कालीन लेखपाल अखिलानंद तिवारी के निलंबन के लिए रिपोर्ट, पट्टा निरस्त्रीकरण के लिए डीएम प्रस्ताव भेजा गया है। सहायक रजिस्ट्रार कानूनगो व लेखपाल सुमीत कुमार के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी। कहा कि तहसील कार्यालय में कोई भी प्राइवेट आदमी दिखाई नहीं देगा, सभी काम सरकारी कर्मचारियों से कराया जाएगा।

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