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कहानी: शापित

लायक बेटेबहू रश्मि को कैद से रिहा करने को आतुर थे, लेकिन क्या वह अपने जल्लाद पति भूपिंदर से अपने को रिहा करा पाई...

“रश्मि, रश्मि, कहां हो तुम?  भई, यह करेले का मसाला तो कच्चा ही रह गया हैं,” फिर हंसते हुए भूपिंदर बोला, “सतीश जी, जिस  दिन कुक नहीं आती है, ऐसा ही कच्चापक्का खाना बनता है.”


ये सब बातें करते भूपिंदर यह भी भूल गया था कि आज रश्मि कोई नईनवेली दुलहन नहीं है बल्कि सास बनने वाली है और आज खाने की मेज पर जो मेहमान  बैठे हैं वे उस की होने वाली बहू के मातापिता हैं.


मम्मी के हाथों में करेले पकड़ाते हुए आदित्य बोला, “क्या जरूरत थी  सोनाक्षी के मम्मीपापा को घर पर बुलाने की. आप को पता है न, पिताजी कैसे हैं?”


रश्मि बोली, “आदित्य, मूड मत खराब कर, जा कर बाहर बैठ.”


जैसे ही आदित्य बाहर आया, भूपिंदर बोला, “भई, यह आदित्य तो अब तक मम्माबौय है, सोनाक्षी को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी.”


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आदित्य बिना लिहाज किए बोल पड़ा, “मैं ही नहीं पापा, सोनाक्षी भी मम्मागर्ल ही बनेगी.”


तभी रश्मि खिसियाते हुई डाइनिंग टेबल पर फिर से करेला की प्लेट  ले कर आ गई थी.


नारंगी और हरी तात कौटन की साड़ी में रश्मि बहुत ही सौम्य व सलीकेदार लग रही थी. खाना अच्छा ही बना हुआ था और डाइनिंग टेबल पर बहुत सलीके से लगा भी हुआ था. लेकिन भूपिंदर  फिर भी कभी नैपकिन के लिए तो कभी नमकदानी के लिए रश्मि को टोकता ही रहा था.


माहौल में इतना अधिक तनाव था कि अच्छेखासे खाने का जायका खराब हो गया था.


खाने के बाद भूपिंदर, सतीश को ले कर ड्राइंगरूम में चला गया, तो पूनम मीठे स्वर में रश्मि से बोली, “खाना बहुत अच्छा बना हुआ था और बहुत सलीके से लगा भी हुआ था. लगता है भाईसाहब कुछ ज्यादा ही परफेक्शनिस्ट हैं.”


रश्मि की बड़ीबड़ी शरबती आंखों में आंसू दरवाजे पर ही अटके हुए थे, उन्हें पीते हुए धीरे से बोली, “पूनम जी, पर  मेरा आदित्य अपने पापा से एकदम अलग है. आप की सोनाक्षी को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे.”


पूनम अच्छे से समझ सकती थी कि रश्मि के मन पर क्या बीत रही होगी.


आदित्य और सोनाक्षी दोनों रोहिणी के जयपुर गोल्डन आई हौस्पिटल में डाक्टर हैं. दोनों एकदूसरे को पसंद करते हैं और जैसे कि आजकल होता हैं, परिवार ने उन की पसंद पर सहमति की मुहर लगा दी थी. आज विवाह की आगे के बातचीत के लिए पूनम और सतीश, आदित्य के घर खाने पर आए थे. भूपिंदर का यह रूप उन्हें  अंदर तक हिला गया था. आदित्य का गुस्सा भी उन से छिपा नहीं था.


रास्ते में पूनम से रहा न गया, इसलिए सतीश से बोली, “सबकुछ ठीक हैं, पर क्या तुम्हें लगता है कि आदित्य ठीक रहेगा अपनी सोनाक्षी के लिए? उस के पापा उस की मम्मी को कितना बेइज़्ज़त करते हैं. लड़का ये सब देख कर बड़ा हुआ है. ऐसे में मुझे डर है कि कहीं आदित्य भी सोनाक्षी के साथ ऐसा ही व्यवहार न करे.”


सतीश बोला, “देखो, हम सोनाक्षी को सब बता देंगे, उस की जिंदगी हैं, फ़ैसला भी उसी का होगा.”


उधर रश्मि को लग रहा था कि कही भूपिंदर के व्यवहार के कारण सोनाक्षी और आदित्य के विवाह में रुकावट न आ जाए.


आदित्य सोनाक्षी के मम्मीपापा के जाते ही भूपिंदर पर उबल पड़ा, “क्या जरूरत थी आप को सोनाक्षी के मम्मीपापा के सामने ऐसा व्यवहार करने की?”


भूपिंदर बोला, “घर मेरा है, मैं जैसे चाहूं, करूंगा. इतनी ही दिक्कत है, तो अलग रह सकते हो.”


आदित्य ने दरवाजे पर खटखट की. रश्मि मुसकराते हुए बोली, “अज्जू, अंदर आ जा, खटखट क्यों कर रहा है.”


आदित्य बोला, “मम्मी, पापा के यह व्यवहार और तुम्हारा चुपचाप सब सहन करना, मुझे अंदर तक आहत कर जाता है. आज मैं सोनाक्षी के मम्मीपापा के सामने आंख भी नहीं उठा पाया हूं. गुलाम बना कर रखा हुआ हैं उन्होंने हमें.”


रश्मि आदित्य के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, “अज्जू, शिखा, तेरी छोटी बहन, तो गोवा में मेडिकल की पढ़ाई कर रही है और तू, बेटा,  शादी के बाद अलग घर ले  लेना.”


आदित्य बोला, “मम्मी, और आप?  मैं क्या इतना स्वार्थी हूं कि आप को अकेला छोड़ कर चला जाऊंगा.”


रश्मि उदासी सी बोली, “अज्जू, मैं तो शापित हूं  इसे साथ के लिए बेटा, पर मैं बिलकुल नहीं चाहती कि तुम या सोनाक्षी ऐसे डर के साथ जिंदगी व्यतीत करो.”


आदित्य का हौस्पिटल जाने का समय हो गया था. आज उस की नाइट शिफ़्ट थी.


रश्मि आंखे बंद कर के सोने का प्रयास करने लगी. पर नींद थी कि आंखों से कोसों दूर. आदित्य की शादी की उस के मन में कितनी उमंगें थीं. लेकिन वह अच्छे से जानती थी, हर बार गहनेकपड़ों के लिए उसे भूपिंदर के आगे हाथ फैलाना पड़ेगा. भूपिंदर कितनी लानतमलामत भेजेगा और साथ  ही साथ, वह यह भी जोड़ेगा कि उस ने आदित्य की मेडिकल की पढ़ाई में 25 लाख रुपए खर्च किए हैं.


रश्मि का  कितना मन करता था कि वह अपनी पसंद से कपड़े ले. लेकिन भूपिंदर ही उस के लिए कपड़े ख़रीदता था क्योंकि भूपिंदर के हिसाब से रश्मि को तमीज़ ही नही हैं अच्छे कपड़े खरीदने की. रश्मि के वेतन की पाईपाई का हिसाब भूपिंदर ही रखता था.


जब कोई भी रश्मि के कपड़ों की तारीफ़ करता तो भूपिंदर छूटते ही बोलता, “मैं जो ख़रीदता हूं, वरना ये तो अजीब कपड़े ही खरीदती और पहनती है.”


रिश्तेदार और पड़ोसियों को लगता था कि भूपिंदर जैसा शाहखर्च कौन हो सकता हैं जो अपनी बीवी का वेतन उस के गहनेकपड़ों पर ही खर्च करता है.   आजकल के ज़माने में  ऐसे पतियों की कमी नहीं हैं जो अपनी पत्नियों के वेतन से घरखर्च चलाते हैं. रश्मि कैसे समझाए किसी को कि गहनेकपड़ों से अधिक महत्त्व सम्मान का होता है.


यह जरूर था  कि भूपिंदर अपने काम का पक्का था, इसलिए दिनदूनी  और रातचौगुनी तरक्की कर रहा था. तरक़्क़ी के साथसाथ उस का अहं भी सांप के फन की तरह फुम्फकारने लगा था. शादी के कुछ वर्षों बाद ही रश्मि के कानों में भूपिंदर के अफेयर की भनक लगने लगी थी. पर जब भी अलग होने की सोचती, तो अज्जू और शिखा का भविष्य दिखने लगता. कैसे पढ़ा पाएगी वह दोनों बच्चों को दिल्ली जैसे शहर की इस विकराल महंगाई में. नालायक ही सही, पर सिर पर बाप का साया तो रहेगा.


रश्मि के हथियार डालते ही  भूपिंदर उस पर  और हावी हो गया था. रातदिन वह रश्मि को कोंचता रहता था. पर अब उस हिमशिला पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था.


घर 3 कोणों  में बंट गया था- एक पाले मे थे रश्मि, अज्जू और दूसरे पाले में था भूपिंदर. शिखा आज के दौर की स्मार्ट लड़की थी, इसलिए वह किस भी पाले में नहीं थी. वह अपने हिसाब से पाले बदलती रहती थी. आदित्य बेहद ही संवेदनशील युवक था. रातदिन के तनाव का  प्रभाव आदित्य पर पड़ रहा है. 30 वर्ष की कम उम्र में ही आदित्य को हाइपरटेंशन रहने लगी थी.


आदित्य जैसे ही अस्पताल पहुंचा, सोनाक्षी वहीं खड़ी थी. सोनाक्षी धीमे स्वर में बोली, “आदित्य, कल डयूटी के बाद मुझे तुम से जरूरी बात करनी है.”


आदित्य को पता था कि सोनाक्षी क्या कहना चाहती है.


सुबह आदित्य और सोनाक्षी जब कैंटीन में आमनेसामने थे, तो सोनाक्षी बोली, “आदित्य, देखो, मुझे गलत मत समझना पर मैं ऐसे माहौल में एडजस्ट नहीं कर सकती. क्या हम विवाह के बाद अलग फ्लैट ले कर रह सकते हैं?”


आदित्य बोला, “सोना, मुझे मालूम है, तुम अपनी जगह सही हो  पर मैं अपनी मम्मी को अकेले उस  घर  में नही छोड़ सकता हूं”


सोनाक्षी बोली, “अगर तुम्हारी मम्मी हमारे साथ रहना चाहती हों, तो मुझे कोई प्रौब्लम नहीं हैं.”


जब आदित्य ने यह बात घर पर बताई तो भूपिंदर गुस्से से आगबबूला हो उठा था. गुस्से में बोला, “तुम्हारा तो यह ही होना था गोबरगणेश. जो लड़का मां का पल्लू पकड़ कर चलता है वह बीवी के इशारों पर ही नाचेगा.”


आदित्य बोला, “पापा, आप चिंता न करो. आप को मुझ से और मम्मी से बहुत प्रौब्लम है न, तो मैं मम्मी को भी अपने साथ ले कर जाऊंगा. ऐसा लगता है ,घर घर नहीं हैं बल्कि एक जेल हैं और हम सब कैदी हैं.”


भूपिंदर दहाड़ उठा, “हां, यह जेल है न, तो रिहाई की भी कीमत है. अपनी मम्मी को क्या ऐसे ही ले कर  चला जाएगा, वह मेरी पत्नी है. और सुन लड़के, तेरी पढ़ाई पर 25 लाख रुपए खर्च हुए हैं, पहले 25 लाख वापस दे देना और फिर अपनी मम्मी को रिहा कर ले जाना.”


आदित्य के विवाह की तिथि निश्चित हो गई थी और भूपिंदर न चाहते हुए भी जोरशोर से तैयारियों में जुटा  हुआ था.


जब नवयुगल हनीमून से वापस आ जाएंगे तो वे अलग फ्लैट में शिफ्ट हो जाएंगे. आदित्य किसी भी कीमत पर अपनी मम्मी को अकेले उस यातनागृह में नहीं छोड़ना चाहता था, इसलिए आदित्य ने किसी तरह से 20 लाख रुपयों का बंदोबस्त कर लिया था.


विवाह धूमधाम से संपन्न हो गया था. 14 दिनों बाद आदित्य और सोनाक्षी सिंगापुर से घूम कर लौट आ गए थे. आदित्य ने रश्मि को सूचित कर दिया था कि वह अपना सारा साजोसामान ले कर उन के पास आ जाए.


लेकिन, रश्मि का फ़ोन आया कि आदित्य रविवार को एक बार घर आ जाए. उस के बाद ही रश्मि आदित्य के पास रहने आ जाएगी. आदित्य को लग रहा था कि शायद मम्मी को निर्णय लेने में मुश्किल हो रही है या फिर पापा उन्हें ताने मार रहे होंगे.


जब आदित्य और सोनाक्षी घर पहुंचे तो देखा घर पर मरघट सी शांति छाई हुई थी. आदित्य ने देखा, रश्मि बहुत थकीथकी लग रही थी. आदित्य बोला, “मम्मी, कमाल करती हो, तुम आज भी पापा के कारण निर्णय नहीं ले पा रही हो? आप चिंता मत करो, मैं ने 20 लाख रुपयों का बंदोबस्त कर लिया है.”


रश्मि बोली, “बेटे, तेरे पापा को  5 दिन पहले लकवा मार गया था. रातदिन वे बिस्तर पर ही रहते हैं.  अब बता, उन्हें ऐसी स्थिति में छोड़ कर कैसे आ सकती हूं? और तुम लोगों से बात किये बिना मैं भूपिंदर को ले कर तुम्हारे घर कैसे आ सकती थी?”


इस से पहले आदित्य कुछ कहता, सोनाक्षी बोल उठी, “मम्मी, आप यहीं रहिए, हमारा फ़्लैट तो बहुत छोटा हैं. पापा की अच्छे से देखभाल  नहीं हो पाएगी.  हम एक के बजाय दो नर्स ड्यूटी पर लगा देंगे. फिर मम्मी, मैं घर पर भी हौस्पिटल जैसा माहौल नहीं चाहती हूं. आदित्य, तुम ये पैसे मम्मी को दे दो, पापा की अच्छी देखभाल हो जाएगी.”


आदित्य बोला, “मम्मी, नर्स का इंतजाम मैं कर दूंगा. आप चलो यहां से, बहुत कर लिया आप ने पापा के लिए.”


रश्मि बोली, “आदित्य बेटा, तू मेरी चिंता मत कर, पर मैं भूपिंदर को इस हाल में छोड़ कर नहीं जा सकती.”


आदित्य बोला, “मम्मी, कब तक  तुम पापा के कारण जिंदगी  से दूर रहोगी?”


रश्मि बोली, “बेटा, तू खुश रह, मैं तो इस साथ के लिए शापित हूं. पहले मानसिक यातना भोगती थी, अब अकेलापन भोगने के लिए शापित हूं.”


आदित्य बोला, “मम्मी, यह शापित जीवन आप ने खुद ही चुना है अपने लिए. सामने खुला आकाश है. पर, आप को इस पिंजरे में ही रहना पसंद है.”


यह कह कर आदित्य 20 लाख रुपए मेज पर रख कर तीर की तरह निकल गया.

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