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गंगा में मलजल रोकने को गाजीपुर-मिर्जापुर में बनेंगे तीन संयंत्र, 350 करोड़ मंजूर

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर व मिर्जापुर में मां गंगा में प्रतिदिन गिर रहे नालों के गंदे पानी को शोधित करने के लिए 350 करोड़ की लागत से तीन वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी) बनेंगे। कंपनी को ये तीनों प्लांट बनाने के लिए 21 माह की मोहलत मिली है। जल्द ही दिल्ली की कंपनी को इसका अनुबंध पत्र जारी हो जाएगा।

गाजीपुर में करीब एक दर्जन नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। गंदा पानी को शोधित करने की कोई व्यवस्था न होने से मलजल गंगा में गिरने से रुक नहीं पा रहा है। नगर पालिका ने नालों में जाल लगाया है, ताकि गंदा पानी के साथ गिरने वाले कूड़ा करकट को रोका जा सके, लेकिन यह व्यवस्था भी नाकाफी साबित हुई है। एक अनुमान के मुताबिक, गाजीपुर में नगर पालिका का करीब 20 एमएलडी (मिलियन आफ लीटर परडे) गंदा पानी रोजाना गंगा में गिर रहा है। इस पानी को दूषित जल उपचार संयंत्र से शोधित किया जाएगा। गाजीपुर में यह प्लांट 21 एमएलडी और मिर्जापुर के पक्का पोखरा व बिसुंदरपुर में 8.5-8.5 एमएलडी का बनाने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। धनराशि भी मंजूर हो गई है।

गाजीपुर में शहर से छह किमी दूर बेशो नदी किनारे बनेगा प्लांट

गाजीपुर में यह ट्रीटमेंट प्लांट शहर से छह किमी दूर जमुनादेवा गांव में बनाने के लिए जमीन चिन्हित की गई है। पानी को शोधित कर बेशोनदी के माध्यम से गंगा में गिराया जाएगा। पानी को फसलों की सिचाई के लिए भी दिया जाएगा।

अब गाजीपुर व मिर्जापुर में तीन शोधित संयंत्र लगाने की प्रक्रिया तेज होगी। दोनों जगहों के लिए करीब 350 करोड़ की धनराशि दी गई है। आज कल में दिल्ली की कंपनी ईएमएस.ईएमआइटी के साथ अनुबंध हो जाएगा। कंपनी को 21 माह में इसे बनाकर तैयार करना होगा। इसके लिए धन मंजूर हो गया है।- एसके बर्मन, परियोजना निदेशक नमामि गंगे।

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