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फांसी के फंदे पर लटकता मिला हिस्ट्रीशीटर का शव - Ghazipur News

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सादात नगर के दक्षिणी रेलवे फाटक के पास किराए के मकान में रह रहे मऊ जनपद के चिरैयाकोट निवासी दीपक सिंह (30) पुत्र बासदेव सिंह का सदिग्ध परिस्थिति में रविवार की दोपहर पंखे से लटकता हुआ शव मिलने से सनसनी फैल गई। दीपक चिरैयाकोट थाने का हिस्ट्रीशीटर भी है। इसकी मौत की सूचना पर स्वजन में कोहराम मच गया। वहीं, साथ कमरे में रह रहा उसका साथी फरार है।

वार्ड तीन निवासी मोतीलाल जायसवाल के मकान में आजमगढ़ के तरवां थाना क्षेत्र महोली गांव निवासी अतुल सिंह किराए पर पिछले कई महीने से रहकर ट्रेन में नीबू की चाय बेचता था। दीपक तीन-चार दिन पहले ही यहां आया था और अतुल के साथ चाय बेचता था। रविवार की दोपहर अतुल ने मकान मालिक मोतीलाल जायसवाल जो अपने पुत्र के यहां मुबंई गए हुए हैं, उनको काल कर घटना की जानकारी दी और उसके बाद अपना फोन बंद कर फरार हो गया।

घटना को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। थानाध्यक्ष प्रवीण यादव ने बताया कि मामले की छानबीन की जा रही है। प्रथम दृष्टया दीपक ने फांसी ही लगाई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने व मृतक के साथी के पकड़े जाने के बाद ही असल कारण मालूम हो सकेगा। 

पत्नी ने एफआइआर दर्ज कराने तो भाई ने शव लेने से किया इन्कार

दीपक की करतूत से पूरा परिवार परेशान रहता था। स्वजन ने उसे सुधारने का बहुत प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माना। यही कारण है उसके मौत से दुखी तो सभी हैं, लेकिन कोस भी रहे हैं। पत्नी प्रियंका ने एफआइआर दर्ज कराने से साफ इन्कार कर दिया, वहीं बड़े भाई संतोष ने पुलिस से शव लेने से साफ मना कर दिया। पत्नी प्रियंका ने बताया कि पति से पिछले तीन-चार महीने से मुलाकात नहीं हो पाई थी। वह कहां रहते थे कोई खबर नहीं रहती थी। 

एमए कर चुकी व इस समय बीटीसी की तैयारी कर रही प्रियंका अपने नसीब को कोसते हुए इंटर पास पति के बारे में बताया कि ज्यादा शराब पीने से दो बार उनका पेट का आपरेशन भी हुआ था। शराब पीने के कारण गलत संगत में पड़ गए थे। इसी चक्कर में अपना मोबाइल तक भी बेच दिए। मृतक का एक चार वर्षीय पुत्र रुद्रांश है। बड़ा भाई संतोष ने बताया कि छोटे भाई की चाल-चलन व काली करतूतों से पूरा परिवार परेशान था। परिवार के लोगों ने उसे अच्छा व्यक्ति बनने के लिए सूरत, आगरा सहित और जगहों पर नौकरी लगवाई, लेकिन हर जगह दीपक की कारस्तानियों से स्वजन मतलब नहीं रखते थे।

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