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अखिलेश यादव के लिए मुलायम होंगे आजम खान, खुद एक्टिव हुए नेताजी, शिवपाल की बढ़ेगी चुनौती

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. समाजवादी पार्टी के दिग्गज मुस्लिम नेता आजम खान जेल से बाहर आ चुके हैं। बुरे वक्त में पार्टी के साथ नहीं निभाने की वजह से नाराज चल रहे वरिष्ठ नेता को मनाने के लिए कोशिशें तेज कर दी गई हैं। सपा के बागी शिवपाल और आजम खान के बीच बढ़ती नजदीकी से अखिलेश यादव की चिंता बढ़ गई है। ऐसे में खुद पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव को एक्टिव हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, वह खुद रामपुर आकर आजम खान से मुलाकात कर सकते हैं। इस दौरान उनके साथ अखिलेश यादव भी होंगे। माना जा रहा है कि नेताजी आजम को अपने रिश्तों की दुहाई दे अखिलेश के प्रति 'मुलायम' करेंगे। ऐसे में आजम के साथ नए मोर्चे का प्लान तैयार कर रहे शिवपाल यादव की चुनौतियां बढ़ने वाली हैं।

शहर विधायक आजम खान सीतापुर जेल से 27 माह बाद रामपुर आ चुके हैं। वह इस वक्त अपने करीबियों से मिल रहे हैं। जेल में रहने के दौरान आजम खान और सपा नेताओं के बीच दूरियां किसी से छुपी नहीं है। अब जेल से छूटने के बाद सियासी समीकरण बिठाने और रूठे आजम को मनाने की सपा में कोशिशें तेज हो गई हैं। सूत्रों का कहना है कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव व सपा मुखिया अखिलेश यादव उनसे मिलने किसी भी दिन रामपुर आ सकते हैं। माना जा रहा है कि इसीलिए अखिलेश यादव की ओर से शनिवार को बहेड़ी विधायक अताउर्रहमान को आजम के घर भेजा गया है।

शिवपाल के दांव से बढ़ गई है चिंता

असल में विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही अखिलेश यादव को कई मोर्चों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख और सपा अध्यक्ष के चाचा शिवपाल यादव बगावत का झंडा बुलंद कर चुके हैं। आजम खान के परिवार की ओर से नाराजगी जाहिर करते ही शिवपाल ने उन्हें अपने पाले में लाकर अखिलेश को बड़ा झटका देने का दांव चल दिया। शिवपाल ना सिर्फ जमानत से पहले आजम से जेल में मिलने पहुंचे, बल्कि जमानत मिलने के बाद भी वह स्वागत को पहुंचे। माना जा रहा है कि आजम खान और शिवपाल साथ मिलकर नया मोर्चा बना सकते हैं।

एमवाई समीकरण बिगड़ा तो और होगी दुर्गति

समाजवादी पार्टी की चुनौती इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि आजम खान और शिवपाल यादव एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को साधने वाले बड़े नेता हैं। आजम जहां इस समय यूपी में मुसलमानों के सबसे बड़े नेता समझे जाते हैं तो शिवपाल की सपा कार्यकर्ताओं पर पकड़ किसी छिपी नहीं है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि दोनों साथ आकर नया मोर्चा बनाते हैं तो सपा को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। यही वजह है कि अब खुद मुलायम सिंह यादव को एक्टिव होना पड़ रहा है।

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