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फर्जी दस्तावेज से भारतीय सेना में भर्ती नेपाली युवक गिरफ्तार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. फर्जी नाम पते से सेना में भर्ती हुए नेपाली युवक को यूपी एटीएस की बनारस यूनिट ने मिलिट्री इंटेलिजेंस और सेंट्रल इंटेलिजेंस की मदद से पटना बिहार से गिरफ्तार कर लिया। उस पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था। इस मामले में यह छठवीं गिरफ्तारी है। एटीएस युवकों को फर्जी तरीके से सेना भर्ती कराने वाले गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।

39 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर में वर्ष 2015-16 के दौरान फर्जी तरीके युवकों को भर्ती कराने के मामले में वर्ष 2017 में लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया गया था। लोहता के चंदापुर के रहने वाले शिवांश बालियान जिसका मूल निवास नेपाल का बांके जिला है और असली नाम सागर शाही है इस मामले में वांछित था। एटीएस को सूचना मिली कि वह पटना के आरा गार्डन रोड पर मौजूद है। तत्काल कार्यवाही करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके दो अन्य साथियों की तलाश की जा रही है।

यूपी एटीएस को जानकारी मिली थी कि एक रैकेट नेपाल के युवकों का भारतीय नाम व निवास प्रमाण पत्र बनवाकर भारतीय सेना के गोरखा रेजीमेंट (39 जीटीसी) में भर्ती करा रहा है। जांच के दौरान कई युवकों का नाम सामने आया था। उनके खिलाफ थाना एटीएस लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया गया। सेना में भर्ती हो चुके दिलीप गिरी (नेपाली नाम विष्णु भट्टराई) को 39 जीटीसी से गिरफ्तार किया गया था। भर्ती में इसका सहयोग करने वाले नेपाली नागरिक चंद्र बहादुर खत्री जो फुलवरिया में किराए पर कमरा लेकर रह रहा था उसे गिरफ्तार किया गया। उसके साथियों अजय मौर्य, नागेश मौर्य और अवध प्रकाश मौर्य को भी यूपी एटीएस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरोह के फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए तीन नेपाली युवक प्रेम सिंह कुंवर, मनोज बिश्नेट, शिवांश बालियान भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे। इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद तीनों अवकाश लेकर फरार हो गए। सेना ने इन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया है।

देश के लिए खतरा बन सकता है ये फर्जीवाड़ा

एटीएस को आशंका है फर्जी दस्तावेज के जरिए सेना में भर्ती कराने वाले रैकेट के जरिए सैनिक बनने वाले देश की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। देश के दुश्मनों के साथ मिलकर सुरक्षा से संबंधित सूचनाएं लीक कर सकते हैं। अभी और कितने युवक इस तरह सेना में भर्ती हुए हैं इसकी जांच भी करायी जा रही है। साथ ही पकड़े गए रैकेट का नेटवर्क कहां-कहां तक है इसकी जांच भी की रही है।

आसानी से बनवा लेते हैं दस्तावेज

रैकेट नेपाल के युवकों का भारतीय की नागरिकता के साथ ही अन्य दस्तावेज आसानी से तैयार करा लेता है। एटीएस को जानकारी मिली है कि इसमें उसका सहयोग कई सरकारी कर्मचारी भी करते हैं। रैकेट तहसील से निवासी जाति समेत अन्य दस्तावेज तैयार करा लेता है। यही नहीं इन फर्जी दस्तावेजों का सत्यापन भी आसानी से करा लेता है। इस काम में रैकेट का सहयोग करने वालों की तलाश जारी है।

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