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गुगल-पे के जरिए 20 हजार की रिश्वत लेने में फंसे रेलवे के विजिलेंस इंस्पेक्टर की जमानत अर्जी ख़ारिज

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. एक टीटीइ से चलती ट्रेन में गुगल-पे के जरिए 20 हजार की आनलाइन रिश्वत लेने के मामले में निरुद्ध रेलवे के विजिलेंस इंस्पेक्टर गगन जायसवाल की जमानत अर्जी सीबीआइ की विशेष अदालत ने खारिज कर दी है। विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले की विवेचना प्रचलित है। ऐसे में अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया गया, तो साक्ष्यों से छेड़छाड़ व गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

टीटीइ ने दर्ज कराई थी शिकायत : 29 जनवरी, 2022 को इस मामले की शिकायत लखनऊ में तैनात टीटीइ आशाराम ने नई दिल्ली में नार्दन रेलवे के चीफ विजिलेंस आफीसर अश्वनी कुमार के समक्ष दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक 26 जनवरी, 2022 को लखनऊ से दिल्ली तक चलने वाली गोमती एक्सप्रेस मे उनकी ड्यूटी थी। कानपुर से ट्रैफिक नार्थ सेंट्रल रेलवे, प्रयागराज के विजिलेंस इंस्‍पेक्टर गगन जायसवाल व प्रवीन आनंद उनके पास आए। उनकी तलाशी ली। उनसे कोच संख्या डी1, डी2 व डी3 चेक कराने को कहा। इन डिब्बों में पुलिस के जवान यात्रा कर रहे थे। जिनके पास टिकट नहीं था।

इस पर इन दोनों इंस्‍पेक्टरों ने पुलिस वालों का टिकट बनाने को कहा। लेकिन पुलिस वाले किराया देने को तैयार नहीं थे। इस पर इन दोनों विजिलेंस इंस्‍पेक्टरों ने उसकी नौकरी जाने की धमकी दी। फिर यह भी कहा कि यदि इससे बचना चाहते हो, तो तुरंत 25 हजार का इंतजाम कर दो। मेरे पास पैसे नहीं थे। मैंने मना कर दिया।

इस पर विजिलेंस इंसपेक्टर प्रवीन आनंद ने एक मोबाइल नंबर दिया और उस पर आनलाइन पेमेंट करने को कहा। मैंने यह बात अपने बेटे रोहित को बताई। उसने गूगल-पे के जरिए उस नंबर पर 10 हजार स्थानांतरित कर दिए।

27 जनवरी, 2022 को दिल्ली से लखनऊ लौटते समय विजिलेंस इंस्‍पेक्टर गगन जायसवाल ने कहा कि शेष 15 हजार भी दो। वरना नौकरी से हाथ धो बैठोगे। काफी मान-मनौव्वल के बाद 10 हजार और लेने को राजी हो गए। मैंने पुनः अपने बेटे से उनके द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर पर आनलाइन 10 हजार जमा करा दिए। एक अप्रैल, 2022 को सीबीआइ ने इस मामले की एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी।

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