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सीएचसी पर चिकित्सकों व स्टाफ नर्स की कमी - Ghazipur News

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर शहर से लेकर देहात क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत बनाने के लिए शासन की ओर से कई स्तर व्यवस्थाएं की गयी है। जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। लेकिन ब्लाकों पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्व्यवस्थाओं का दंश झेल रहे है। केंद्रों पर चिकित्सकों सहित स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है। वहीं मरीजों सहित तीमारदारों के लिए कोई भी व्यवस्था सुलभ नहीं है। 

केंद्र पर मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते है, चिकित्सक नहीं मिलने के कारण निजी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए जाना पड़ता है। जिससे मरीजों को आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ता है। शासन की ओर से मरीजों के लिए केंद्रों पर नि:शुल्क दवाओं के वितरण की भी व्यवस्था की गयी है, लेकिन दवाओं की कमी के कारण मरीजों को दवा बाहर के मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ता है।

तैनाती के बाद भी नहीं संभाले कार्यभार

जमानिया क्षेत्र के बरुइन गांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सको के गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने के कारण मरीज सहित तीमारदारों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। केंद्र पर करीब एक माह पूर्व दिवार गिर कर पड़ा है। इसके बाद भी निर्माण के लिए विभागीयस्तर पर कार्य शुरू नहीं किया गया है। केंद्र पर तैनात चिकित्सक डा. आनन्द कुमार व डा. पवन का स्थानांतरण किसी अन्य स्थान पर हो गया है। उनके स्थान पर डा. रूद्रकांत सिंह व मनीष कुमार का केंद्र पर तैनाती मिली है। लेकिन अब इन चिकित्सकों ने केंद्र पर कार्यभार नहीं संभाले है। जिसके कारण इलाज के लिये पहुंच रहे मरीजों को बिना इलाज कराए हीं घर वापस लौटना पड़ रहा है। यहां तक कि शुद्ध पेयजल की अभाव में स्वास्थ्य कर्मियों को बाहर से पानी लेने के लिए भी बाध्य हो रहे है।

केंद्र पर आरओ प्लांट बना शोपिस

मुहम्मदाबाद में मौसम में हो रहे बदलाव से सर्दी, जुखाम, बुखार व डायरिया से पीड़ित मरीज केंद्र पर पहुंच रहे है। इन मरीजों को पीने के लिए पानी की शुद्ध व्यवस्था सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुहम्मदाबाद पर नहीं है। जिससे मरीजों को बाहर के दुकानों से खरीदकर पानी पीना पड़ता है। लाखों रूपया की लागत से लगा आरओ प्लांट सिर्फ शोपिस बनकर रह गया है। वहीं स्वास्थ्य केंद्र के दूसरे गेट के सामने वर्षों से सड़े गले हालत में एक बोलेरो जीप अपनी दुश्वारियां की गाथा गा रही है। इन केंद्रों पर साफ सफाई भी नहीं रहता है, जिससे मरीजों को अन्य बीमारियों से ग्रसित होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। शासन की ओर से मरीजों के लिए नि:शुल्क दवा भी उपलब्ध करायी गयी है, लेकिन तैनात चिकित्सक बाहर की दवा हीं मरीजों को लिखते है। मरीज केंद्र के परिसर में ही रहता है, लेकिन मेरे मेडिकल की से दवा खरीदने के लिए पर्चा छिनने लगते है। जिससे मरीजों को परेशानी होती है।

बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं होने से मरीज परेशान

करंडा में सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र पर चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। केंद्र पर चार चिकित्सक सहित दो फार्मासिस्ट की तैनाती की गयी है। केंद्र पर तैनात चिकित्सकों की ओर से मरीजों के लिए सभी व्यवस्थाएं की गयी है। केंद्र पर बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं होने बच्चों के इलाज कराने में परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र के लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों से बात की लेकिन अबतक तैनाती नहीं हुई। वहीं अन्य व्यवस्थाएं केंद्र पर दुरूस्त मिली।

केंद्र पर दवाओं की कमी, मरीज परेशान

रेवतीपुर में चिकित्सकों की कमी से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जूझ रहा है। केंद्र पर सात चिकित्सकों के लिए पद सृजित है, लेकिन इन केंद्रों पर दो चिकित्सक की तैनाती हुई है। गर्मी व उमस से मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। केंद्र पर सोमवार को सबसे खुजली व खांसी के मरीज इलाज कराने के लिए अधिक पहुंचे थे। वहीं केंद्र पर दवाओं की उपलब्धता भी कम है। जबकि शासन की ओर से लगातार उच्चाधिकारियों को निर्देश जारी किया जा रहा है कि केंद्र पर दवाओं की कमी नहीं होना चाहिए। केंद्र पर टीटी का इंजेक्शन सहित बेटाडिन सोफ्रामायसिन उपलब्ध नहीं है। जिससे मरीजों को बाहर की दुकानों से खरीदना पड़ रहा है। जिससे मरीजों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

अधूरा पड़ा आक्सीजन प्लांट

सेवराई में शासन की ओर से सीएचसी पर ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए निर्देश जारी किया गया था। जिसके तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भदौरा पर ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया। लेकिन अबतक आक्सीजन प्लांट अधूरा ही पड़ा हुआ है। वहीं केंद्र पर मरीजों के इलाज को लेकर भी पूरी व्यवस्थाएं सहीं नहीं है। प्रभारी अधीक्षक डा. धनंजय आनंद ने बताया कि आक्सीजन प्लांट अधूरा पड़ा है। अधूरें प्लांट को पूरा करने के लिए कई बार उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया, लेकिन अबतक इस पर ठोस पहल नहीं किया गया है।

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