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बसपा सांसद अतुल राय को बड़ी राहत; हाईकोर्ट ने दी जमानत, नैनी जेल में बंद हैं

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर/प्रयागराज. घोसी लोकसभा सीट से बसपा के सांसद अतुल राय को मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत मिल गई है। अतुल राय ने बसपा-सपा उम्मीदवार के तौर पर 2019 के लोकसभा चुनाव में घोसी सीट से जीत दर्ज की थी। अतुल राय के खिलाफ वाराणसी के लंका थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज था। 22 जून 2021 को वाराणसी कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। कुछ दिन चौकाघाट जिला जेल में रहने के बाद उसे प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल ट्रांसफर कर दिया गया, तब से अब तक अतुल राय सेंट्रल जेल में ही बंद है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस राजवीर सिंह की पीठ ने जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद राहत दे दी। इससे पहले इसी साल मार्च में हाई कोर्ट ने अतुल राय की जमानत याचिका इस केस में खारिज कर दी थी। बता दें कि 12 अगस्त को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गैंगस्टर मामले में आरोपित घोसी से बसपा सांसद अतुल राय की दूसरी जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था।

मुख्तार के करीबी रहे हैं अतुल राय

गाजीपुर के भांवरकोल थाना के बीरपुर गांव के मूल निवासी अतुल राय वाराणसी के मंडुवाडीह थाने के हिस्ट्रीशीटर हैं। अतुल राय के खिलाफ साल 2009 से लेकर अब तक 27 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं।

ये फोटो 16 अगस्त 2021 की है। गवाह सत्यम और रेप पीड़िता ने एक साथ सुप्रीम कोर्ट के बाहर खुद को आग लगा ली थी।

वाराणसी में बीएससी की पढ़ाई के दौरान अतुल को क्राइम का ग्लैमर रास आने लगा। धीरे-धीरे अतुल का झुकाव पूर्व विधायक माफिया मुख्तार अंसारी की ओर बढ़ता चला गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में घोसी से मुख्तार अपने बेटे अब्बास को बसपा का प्रत्याशी बनाना चाहते थे।

मगर, अतुल ने मुख्तार को चित करते हुए 14 अप्रैल 2019 को बसपा का टिकट हासिल कर लिया था। इसे लेकर मुख्तार अंसारी और अतुल के बीच कभी न भर पाने वाली खाई खुद गई।

सियासत का ककहरा अपने घर से ही पढ़ा

संपन्न किसान परिवार से ताल्लुकात रखने वाले अतुल राय ने गंवई सियासत का ककहरा अपने घर से ही पढ़ा था। गांव के प्रधान पद पर उनके परिवार या फिर करीबियों का ही कब्जा रहा है। अपने कुशल मैनेजमेंट और युवाओं में अच्छी पैठ होने के कारण अतुल ने मुख्तार अंसारी की नजर में जल्द ही अहम जगह बना ली थी। इसके बाद मोबाइल टॉवर में डीजल सप्लाई के काम से लेकर पूर्वांचल में मुख्तार गिरोह के ठेके भी अतुल की देखरेख में ही संचालित होते थे।

इस बीच अतुल राय अपने स्वामित्व वाली फर्में स्थापित कर खुद की पहचान रेलवे के बड़े ठेकेदार के तौर पर भी बना लिए। इसके अलावा जरायम जगत के साथ ही सियासत में भी अतुल धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहे थे।

बात अब सांसद अतुल के सियासी सफर की

2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अतुल राय ने बसपा का दामन थामा था। फिर, वह गाजीपुर की जमानिया विधानसभा से बसपा के उम्मीदवार बने। चुनाव परिणाम आया तो अतुल दूसरे स्थान पर थे, लेकिन बसपा में वह अपनी मजबूत जगह बना चुके थे।

2019 के लोकसभा चुनाव में घोसी लोकसभा से मुख्तार अंसारी अपने बेटे अब्बास को बसपा का प्रत्याशी बनाना चाहते थे। लेकिन, अतुल राय ने शह और मात के सियासी खेल में अपने आका मुख्तार को चित करते हुए 14 अप्रैल 2019 को घोसी लोकसभा से बसपा का टिकट हासिल कर लिया। परिणाम आया तो अतुल सांसद निर्वाचित हुए।

इसी बीच अतुल के खिलाफ 1 मई 2019 को वाराणसी के लंका थाने में रेप सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज हो चुका था। नतीजतन, 22 जून 2019 को वाराणसी की कोर्ट में सरेंडर कर जेल जाना पड़ा। हालांकि अतुल अब इस मुकदमे से बरी हो चुके हैं।

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