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गाजीपुर में 21 वर्ष पहले हुआ था हत्या के प्रयास का केस, अब कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर में 21 साल पुराने हत्या के प्रयास के केस में आरोपी को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने सजा का ऐलान किया। कोर्ट ने हत्या के प्रयास के मामले में एक अभियुक्त को शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त से 15 हजार जुर्माना वसूलने के भी आदेश दिया है। मामला 2002 में जयसूरत यादव नाम के व्यक्ति पर जानलेवा हमले किए जाने से जुड़ा है। किसी प्रकार पीड़ित की जान बच पाई थी। अब इस केस में 21 साल बाद फैसला आया है।

अभियोजन के अनुसार मामला शहर कोतवाली के चक हुसैन खालिसपुर के रहने वाले जयमूरत यादव पर जानलेवा हमला का है। साल 2002 में 29 अगस्त की शाम साढ़े बजे जयमूरत यादव अपने बेटे के साथ घर की बैठक में बातचीत कर रहे थे। इस दौरान पुरानी रंजिश को लेकर गांव के अमरनाथ यादव, मुन्ना यादव हंसिया और बीरबल यादव के साथ मेघनाथ यादव चारा काटने वाला हथियार हाथों में लेकर वहां पहुंच गए। उन लोगों ने जयमूरत को गाली देते हुए उन पर जानलेवा हमला बोल दिया।

आरोपियों ने जयमूरत पर गड़ासे के वार से किया गया। इस वार में जयमूरत यादव की गर्दन कटकर झूल गयी। यह देख हरिराम, उनका बेटा खुद की जान बचाने को पास रखी चौकी के नीचे छिप कर गया। गाली- गलौच की आवाज सुनकर जयमूरत के भाई रामजीत यादव और घर की महिलाएं, ग्रामीण के साथ घटना स्थल पर पहुंच गए। घटना को अंजाम देकर आरोपी मौके से फरार हो गए थे।

परिजन और ग्रामीण जयमूरत को उपचार के लिए अस्पताल लेकर आए। वहां से उन्हें डॉक्टरों ने बेहतर इलाज के लिए वाराणसी रेफर कर दिया। वाराणसी में उनका उपचार हुआ और जान बच गयी। इस मामले में पुलिस ने हत्या के प्रयास का एफआईआर दर्ज हुआ। एफआईआर दर्ज किए जाने के लिए तहरीर जयमूरत के बेटे हरिराम ने दी थी। पुलिस ने मामले की जांच के बाद आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया।

सुनवाई के दौरान न्यायालय में अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह ने जिरह की। अखिलेश सिंह ने 4 गवाहों को कोर्ट में पेश किया। अभियोजन और बचाव की बहस सुनने के बाद अदालत ने मोहन उर्फ मुन्ना यादव को हत्या प्रयास और गाली- गलौच के मामले में दोषी पाया। इसके बाद उसे सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया। मामला अपर सत्र न्यायाधीश और फास्टट्रैक कोर्ट द्वितीय अलख कुमार की अदालत में विचाराधीन था।

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