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Ghazipur News: ग़ाज़ीपुर जिला कारागार में बंदी अमन की मौत की होगी मजिस्ट्रियल जांच, CCTV फुटेज से खुलेगा राज

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. ग़ाज़ीपुर जिला कारागार में बंद अमन कुमार के पीपल के तीस फीट ऊंचे पेड़ पर चढ़कर आत्महत्या करने का राज सीसीटीवी फुटेज से ही खुलेगा। वैसे बंदी के पिता का स्पष्ट कहना है कि उन्हें बेटे के फांसी लगाने पर यकीन नहीं है। वह किसी भी हाल में बेटे की मौत का असली कारण जानना चाहते हैं। चाहे इसके लिए कोई भी दरवाजा खटखटाना क्यों न पड़े, वह पीछे नहीं हटेंगे।

फातिमपुर निवासी अमन को बहरियाबाद थाने की पुलिस ने 21 अक्टूबर को पड़ोस की गांव की किशोरी को बहला-फुसलाकर दुष्कर्म के आरोप में जेल भेजा था। हालांकि, स्वजन ने इसे फंसाने का आरोप लगाया था। मंगलवार को उसकी तीनों बहनें उससे मिलने के लिए जिला कारागार आईं थी।

बहन पूजा का आरोप है कि उसके भाई की हत्या की गई है। वह फांसी नहीं लगा सकता है। उनका कहना है कि सीसीटीवी फुटेज देखकर ही घटना की सच्चाई का पता चल सकेगा। हालांकि, फुटेज को लेकर जेल प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं। जिला जेल पूर्वांचल के अति संवेदनशील जेलों में से एक है। इधर, कुछ वर्षों में काफी सुधार हुआ। बुधवार को बंदी अमन के फांसी लगाकर आत्महत्या के बाद एक बार फिर से जेल सुर्खियों में आ गई है। अमन के स्वजन यह कतई स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं कि उसने आत्महत्या की है, क्योंकि घटना के कुछ देर पहले ही अमन की उसके पिता खुरचुन राम से बात हुई थी।

परिवार के लोग अमन के मौत का कारण जानना चाहते हैं। यही कारण है कि उन्होंने एसडीएम को पत्र देकर जांच की मांग की थी, जिसपर एसडीएम ने मजिस्ट्रियल जांच कराने का आश्वासन दिया है। घटना के बाद से ही परिवार में मातम पसरा हुआ है। पिता का कहना कि उन्हें यकीन नहीं हैै कि उनका बेटा पेड़ पर चढ़कर फांसी लगा सकता है। जेल के अधिकारी उनसे कुछ छिपा रहे हैं, तभी तो उनके पहुंचने से पहले ही शव को उतार दिया गया था। वह सिर्फ मौत का असली कारण जानना चाहते हैं।

जेल प्रशासन की मिली लापरवाही
जिला कारागार में करीब 880 के अधिक बंदी हैं। जबकि इसकी क्षमता 517 की ही है। यही कारण है कि बंदी की निगरानी के लिए 56 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और मानिटरिंग के लिए कंट्रोल रूम बना है। अब सवाल यह है कि अमन सुबह अपने पिता से बात किया और उसके बाद पीपल के पेड़ पर चढ़कर गमछे से फांसी लगा ली और कंट्रोल रूप में तैनात किसी की भी इस पर नजर नहीं पड़ी। इस बारे में जानने के लिए प्रभारी जेल अधीक्षक काे काल किया गया, लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया।
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