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गाजीपुर जिले में महाशिवरात्रि पर्व को लेकर तैयारियां तेज, महाहर धाम में उमड़ेगा आस्था का जन सैलाब

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले में महाशिवरात्रि पर्व को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। इसके तहत महाहर धाम समेत विभिन्न शिवालयों की साफ-सफाई का कार्य चल रहा है। इसी क्रम में गाजीपुर जिले में स्थित हजारों आस्थावानों की आस्था के प्रतीक महाहर धाम में महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां चल रही हैं। 
महाहर धाम
महाहर धाम
महाशिवरात्रि पर महाहर धाम में शिवभक्तों का जन सैलाब उमड़ता है। गाजीपुर जिले के अलावा गैर जिलों के शिवभक्त भी महादेव के दर पर मत्था टेकने आते हैं। महाहर धाम में महाशिवरात्रि के अलावा सावन के महीने में भी शिवभक्तों का रेला उमड़ता है। जिला मुख्यालय से गंगाजल लेकर 35 किमी की दूरी पैदल तय करके शिवभक्त महादेव के दरबार में पहुंचते हैं। वहीं महाशिवरात्रि पर महाहर धाम में मेले का आयोजन किया जाता है। 

लोग महाहर धाम सपरिवार पहुंचते हैं। विधि-विधान से महादेव का पूजन करके बाद में लोग मेले का लुत्फ उठाते हैं। दूसरी तरफ महाशिवरात्रि को देखते हुए महाहर धाम में तैयारियां तेज हो गई हैं। साफ-सफाई के साथ मंदिर परिसर को आकर्षक तरीके से सजाने की तैयारी चल रही है। महाशिवरात्रि पर महाहर धाम को आकर्षक तरीके से सजाया जाता है। यहां विभिन्न जनपदों के अलावा पड़ोसी राज्य बिहार से भी श्रद्धालु आते हैं। आस्थावानों का विश्वास है कि महाहर धाम के शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सारे पाप कट जाते हैं। महाहर धाम का निर्माण राजा दशरथ ने कराया था। यह दशरथ गढ़ी के नाम से भी विख्यात है। 

राजा दशरथ के शब्दभेदी बाण से यही पर श्रवण कुमार की मृत्यु हुई थी। महाहर धाम के दक्षिण दिशा की ओर श्रवणडीह नामक गांव भी मौजूद है। वहीं श्रवण कुमार का मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुका है। महाहर धाम परिसर में शिवमंदिर के अलावा भगवान हनुमान, भैरव, संत रविदास, मां दुर्गा, राधा-कृष्ण, राम-लक्ष्मण-जानकी और ब्रह्मा की चारमुखी प्रतिमा स्थापित है। महाहर धाम में तेरहमुखी शिवलिंग स्थापित है। साथ ही शिव-पार्वती की मूर्ति भी है। मंदिर के सामने उत्तर से दक्षिण की तरफ में एक किलोमीटर तक लंबा सरोवर है। बताया जाता है कि हजारों वर्ष पहले इस स्थान पर मां गंगा प्रवाहित होती थीं। लेकिन, अब यह पुरईन झील के रूप में रह गया है।
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