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अखिलेश यादव गाजीपुर में मुख्तार अंसारी की कब्र पर चढ़ाएंगे फूल, घरवालों से मुलाकात कर देंगे सांत्वना

ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मुख्तार अंसारी के घर गाजीपुर जाएंगे। अखिलेश रविवार (7 अप्रैल) को हेलिकॉप्टर से गाजीपुर पहुंचेंगे और मुख्तार के पैतृक आवास 'फाटक' जाएंगे। वह मुख्तार की कब्र पर मिट्‌टी देंगे और फूल चढ़ाएंगे। साथ ही परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना देंगे।
मुख्तार की मौत को लेकर अखिलेश उनके घरवालों के आरोपों पर चर्चा करेंगे। साथ ही जांच की मांग के अलावा आगे की रणनीति तय करेंगे। सांसद अफजाल अंसारी का परिवार भी अखिलेश यादव के गाजीपुर आने की राह देख रहा था। सपा कार्यालय से अखिलेश के आने की सूचना मिलने के बाद तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।

मुख्तार की बांदा जेल में मौत के बाद सपा सुप्रीमो ने सरकार पर कई सवाल उठाए थे। उन्होंने अंसारी परिवार की ओर से जहर देकर हत्या के आरोपों पर भी सहमति जताई थी। अखिलेश ने चुनावी सभाओं में भी मुख्तार का नाम लिए बगैर जेल में स्लो पॉइजन देने की बात कही और न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए थे।

साथ ही अखिलेश ने अफजाल अंसारी, विधायक सुहैब अंसारी मन्नू और मुख्तार के बेटे उमर अंसारी से फोन पर बात कर सांत्वना भी दी थी। परिजनों से जल्द आने का आश्वासन भी दिया था। बता दें कि अखिलेश ने सांसद अफजाल अंसारी को सपा की ओर से फिर से लोकसभा प्रत्याशी बनाया है।

मुख्तार अंसारी और उसके परिवार की सियासी पकड़ भले मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़ सहित पूर्वांचल के कुछ जिलों तक रही हो, लेकिन यह परिवार पूरे प्रदेश से किसी न किसी रूप से जुड़ा रहा। मुख्तार के दादा कांग्रेस के अध्यक्ष थे और पिता कम्युनिस्ट के नेता थे। भाई अफजाल अंसारी ने सियासी पारी की शुरुआत कम्युनिस्ट पार्टी से की। अफजाल ने मुसलमानों की रहनुमाई करने के साथ ही पिछड़े, दलितों को भी एकजुट किया।

दरअसल, उत्तर प्रदेश की सियासत में सपा के M-Y और बसपा की सोशल इंजीनियरिंग से पहले ही इस परिवार ने नब्ज को पकड़ा और अपनी सोशल इंजीनियरिंग के जरिए जनता के बीच पैठ बनाई। यही वजह है कि गाजीपुर में सिर्फ 10% मुस्लिम आबादी होने के बाद भी अफजाल पहले विधायक और फिर सांसद चुने जाते रहे हैं। यही हाल मऊ में मुख्तार का भी रहा है।

राजनीतिक जानकार मानते हैं, ''मुख्तार अंसारी जबसे राजनीति में आया, वह बसपा में भी रहा और सपा में भी रहा। समाजवादी पार्टी को उसके सियासी रसूख के बारे में अच्छे से पता है। सपा के थिंक टैंक को यह पता है कि मुख्तार का आसपास की 5 लोकसभा सीटों पर अच्छा खासा प्रभाव रहता है। यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के पास M-Y समीकरण होने के बावजूद पार्टी को मुख्तार के सिंपैथी वोट की दरकार है।

दूसरी अहम बात यह भी है कि मुख्तार की मौत न्यायिक हिरासत में हुई है। मुख्तार परिवार बार-बार कानून की दुहाई देता रहा है और अब भी दे रहा है। तो इसके भी सियासी मायने हैं। इससे मुख्तार परिवार के प्रति सहानुभूति बढ़ी है। उसके समर्थकों के बीच यह संदेश गया है कि मुख्तार के साथ अन्याय हुआ है। यही वजह है कि अखिलेश खुद मुख्तार के घर जा रहे हैं।

मुख्तार अंसारी की मौत के बाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मुहम्मदाबाद पहुंचकर शोक जताया था। इसके अलावा सपा सांसद धर्मेद्र यादव ने फाटक पहुंचकर शोक जताया था। उनके साथ सपा के कई विधायक और वरिष्ठ नेता भी सांसद अफजाल अंसारी से मिले थे।

पूर्व नेता विरोधी दल पूर्व मंत्री राम गोविंद चौधरी, अतरौलिया विधायक संग्राम यादव भी आवास पर पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की थी। जौनपुर की मछलीशहर सीट से विधायक रागिनी सोनकर, सपा नेता बलराम यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य समेत बिहार में RJD के वरिष्ठ नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे अब्दुल बारी सिद्दीकी ने घर जाकर शोक संवेदना प्रकट की थी।

मायावती ने कहा था- हाईलेवल जांच हो, सच सामने आए
मायावती ने X पर लिखा था- मुख्तार के परिवार द्वारा जो गंभीर आरोप लगाए गए हैं, उनकी उच्च-स्तरीय जांच जरूरी है, ताकि उनकी मौत का सच सामने आ सके। ऐसे में उनके परिवार का दुखी होना स्वाभाविक है। कुदरत उन्हें इस दुख को सहन करने की शक्ति दे।

ओवैसी का आरोप था- सरकार ने उनके इलाज पर तवज्जो नहीं दिया
मुख्तार की मौत के बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर लिखा- अल्लाह से दुआ है कि वो मुख्तार अंसारी को मगफिरत फरमाए। उनके खानदान और उनके चाहने वालों को सब्र-ए-जमील अदा करें। गाजीपुर की आवाम ने अपने चहेते बेटे और भाई को खो दिया। मुख्तार ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे कि उन्हें जहर दिया गया था। बावजूद इसके, सरकार ने उनके इलाज पर तवज्जो नहीं दिया... निंदनीय और अफसोसजनक।

मुख्तार 2005 में दंगों का आरोपी बना, तभी से जेल में था
मऊ में मुगल काल से रामायण के प्रसंग भरत मिलाप की परंपरा चली आ रही है। इसकी शुरुआत बादशाह औरंगजेब की बेटी जहांआरा ने कराई थी। 2005 में भरत मिलाप के दौरान दंगा भड़क गया था। ये करीब एक महीने चला। तब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। मुख्तार को दंगे के मामलों में आरोपी बनाया गया। 25 अक्टूबर 2005 को उसने गाजीपुर में सरेंडर कर दिया। तभी से वह जेल में था।
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