हिजाब-हलाला पसंद नहीं...कहकर मुस्लिम लड़की ने बदला धर्म, मंदिर में शादी की
ग़ाज़ीपुर न्यूज़ टीम, बरेली. मेरे सगे पिता की 2017 में मौत हो गई। मां ने छह माह बाद ही दूसरी शादी कर ली। तब मैं मात्र 13 साल की थी। सौतेला पिता मुझ पर ही गलत नजर रखने लगा। यहां से मैं किसी तरह से भागकर अपनी ननिहाल उत्तराखंड पहुंची। यहां पर मेरा सगा मामा ही मेरे साथ शादी करने के लिए दबाव बनाने लगा।'
यह दर्द है बरेली की 20 साल की मुस्लिम युवती महक का। शुक्रवार को महक ने बरेली में हिंदू धर्म अपना लिया। अपने परिवार से सारे रिश्ते-नाते खत्म कर दिए। उसने बरेली के रहने वाले अपने दोस्त ऋषि राय से मंदिर में शादी कर ली। उसने कहा, मुझे हलाला और हिजाब पसंद नहीं है।
महक के साथ क्या-क्या हुआ। उसने मुस्लिम धर्म क्यों छोड़ा और अब शादी के बाद कितनी खुश है। महक और ऋषि की मुलाकात तीन साल पहले बरेली के बाकर गंज में हुई थी। दोनों एक ही मोहल्ले कुंवरपुर तलैया में रहते थे। महक अपने मां और सौतेले पिता के साथ वहीं रहती थी। ऋषि वाल्मीकि समाज से आते हैं। उनका परिवार काफी संपन्न है और परिवार का पुस्तैनी काम जनरल मर्चेंट का है।
पिता की मौत के बाद धीरे-धीरे दोनों में बातचीत बढ़ी और फिर प्रेम हो गया। महक ने ऋषि को अपनी पूरी स्थिति बताई, जिसके बाद दोनों ने मिलकर नया जीवन शुरू करने का फैसला लिया।
महक ने बताया, उसने अपने परिवार और अन्य रिश्तेदारों से सभी संबंध खत्म कर दिए हैं। बरेली आ गई है। मैंने अपनी स्वेच्छा से हिंदू धर्म अपनाया है, क्योंकि यहां सम्मान और सुरक्षा है।
महक कहती हैं कि -
बरेली के बाकर गंज में मैं अपनी मां और पिता के साथ खुश थी। तभी 2017 में एक दुर्घटना में मेरे पिता की मौत हो गई। उनके जाने के छह महीने बाद ही मेरी मां ने दूसरी शादी कर ली। मैं अपने सौतेले पिता के साथ उनके घर चली गई। यहां पर सौतेला पिता मेरे ऊपर गलत नजर रखता था। जिसके कारण मुझे हिंदू धर्म अपनाना पड़ा
शुद्धिकरण के बाद कराया विवाह
महक ने बताया, यहां आकर हम पंडित केके शंखधर के पास गए, जिन्होंने गोमूत्र और गंगाजल से शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूरी की। गायत्री मंत्रों का जाप कराया गया। इसके बाद दोनों का विवाह वैदिक रीति-रिवाज से सम्पन्न हुआ। ऋषि ने महक की मांग में सिंदूर भरा और मंगलसूत्र पहनाया। सात फेरे लेने के साथ ही दोनों ने एक-दूसरे के साथ सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाईं।
महक का कहना है कि वह ऋषि से बहुत प्यार करती है और उसके साथ सुरक्षित महसूस करती है। उसने कहा, "ऋषि और मैं एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते। अगर किसी ने हमें अलग करने की कोशिश की तो हम दोनों अपनी जान दे देंगे।''
हिजाब और हलाला पसंद नहीं
महक ने बताया, मुस्लिम धर्म में हिजाब, बहुविवाह और हलाला जैसे नियम हैं जो उसे पसंद नहीं हैं। इसलिए उसकी आस्था हिंदू धर्म में हो गई। इन प्रथाओं वजह से वह हमेशा डरी-सहमी रहती थी। उसका कहना है कि उसने यह कदम किसी के दबाव में नहीं, बल्कि अपने आत्म-सम्मान और सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया है।