कहानी: दिल की अनकही दास्तान
आरुषि का जन्म उस छोटे शहर में हुआ था, जहाँ नदी किनारे बसे घरों में जीवन की लय बहती थी। उसके पिता रामलाल एक छोटी किराने की दुकान चलाते थे। सुबह से शाम तक वे सामान बेचते, ग्राहकों से गपशप करते, और घर लौटते समय थकान से चूर होते। माँ सरोज घर का काम संभालतीं – खाना बनाना, कपड़े धोना, और बच्चों की देखभाल। छोटा भाई अक्षय स्कूल जाता, और शाम को क्रिकेट खेलता। आरुषि परिवार की सबसे बड़ी बेटी थी, और सबकी लाड़ली।
वह बचपन से ही पढ़ाकू थी, किताबों में खोई रहती। स्कूल में वह हमेशा टॉप करती, और टीचर कहते, "यह लड़की बड़ा नाम कमाएगी।"लेकिन आरुषि के दिल में एक अलग दुनिया थी। वह शाम को नदी किनारे बैठती, सूरज ढलते देखती, और सोचती – जीवन में प्यार कैसा होता होगा? उसने फिल्में देखी थीं, किताबें पढ़ी थीं, लेकिन असली प्यार का अहसास अभी बाकी था। कॉलेज में दाखिला लिया, बीए की पढ़ाई शुरू की। वहाँ उसकी सहेलियाँ थीं – नेहा, प्रिया, जो फैशन और बॉयफ्रेंड्स की बातें करतीं। आरुषि हँसती, लेकिन दिल से शर्मा जाती।आरव का जीवन अलग था।
वह बड़े शहर से आया था, लेकिन उसके दादाजी गांव के थे। उसके पिता एक फैक्ट्री के मालिक थे, अमीर लेकिन सख्त। माँ घर पर रहतीं, लेकिन हमेशा पिता की छाया में। आरव बचपन से संगीत का शौकीन था। स्कूल में वह गाना गाता, और टीचर कहते, "यह लड़का स्टार बनेगा।" लेकिन पिता चाहते थे कि वह इंजीनियर बने। कॉलेज में उसने मैकेनिकल इंजीनियरिंग चुनी, लेकिन दिल से संगीत करता। उसके दोस्त थे – रोहन, विक्रम, जो पार्टियाँ करते, लेकिन आरव अलग था। वह शाम को गिटार लेकर पार्क में बैठता, और गाने लिखता।कॉलेज फेस्ट का दिन था। सुबह से तैयारी चल रही थी। आरुषि ने डांस ग्रुप जॉइन किया था। वह प्रैक्टिस करती, और सोचती – क्या मैं अच्छा डांस कर पाऊँगी? शाम हुई, स्टेज सजा।
आरुषि ने लाल लहंगा पहना, घुंघरू बांधे, और स्टेज पर आई। गाना शुरू हुआ – "बादल पे पाँव हैं..." वह नाची, जैसे बादल पर उड़ रही हो। नीचे ऑडियंस तालियाँ बजा रही थी। आरव बैकस्टेज पर गिटार ट्यून कर रहा था। उसका ग्रुप अगला था। जब वह स्टेज पर आया, तो उसकी नजर आरुषि पर पड़ी, जो साइड में खड़ी थी। उसकी मुस्कान ने आरव का दिल जीत लिया।आरव ने गाना गाया – "तेरी आँखों में खो जाना चाहता हूँ..." उसकी आवाज में जादू था। ऑडियंस मंत्रमुग्ध था। फेस्ट खत्म होने के बाद, पार्टी थी। आरुषि अपनी सहेलियों के साथ थी, तभी आरव आया। "हाय, मैं आरव। तुम्हारा डांस awesome था।" आरुषि मुस्कुराई, "थैंक्स। तुम्हारा गाना भी कमाल का था।" वे बातें करने लगे। आरव ने बताया कि वह मूल रूप से दिल्ली से है, लेकिन यहाँ पढ़ाई कर रहा है।
आरुषि ने अपने शहर की बातें बताईं। रात देर तक वे बातें करते रहे। आरव ने अपना नंबर दिया, और कहा, "कल कैंटीन में मिलते हैं?"अगले दिन कैंटीन में वे मिले। चाय पीते हुए बातें कीं। आरव ने कहा, "मैं गाने लिखता हूँ। सुनाऊँ?" उसने फोन से एक रिकॉर्डिंग प्ले की। आरुषि ने सुना, और कहा, "यह तो बहुत emotional है।" धीरे-धीरे वे रोज मिलने लगे। लाइब्रेरी में साथ पढ़ते, पार्क में घूमते। एक दिन आरव ने आरुषि को अपना गिटार सिखाया। उसकी उंगलियाँ आरुषि की उंगलियों पर रखीं, और दोनों के दिल धड़के।बारिश का मौसम आया। एक दिन क्लास के बाद भारी बारिश हो गई। दोनों एक छतरी के नीचे खड़े थे। पानी टपक रहा था, हवा ठंडी। आरव ने आरुषि का हाथ पकड़ा। "आरुषि, मैं तुम्हें कुछ कहना चाहता हूँ।" आरुषि की धड़कन तेज हो गई। "बोलो।" आरव ने कहा, "तुम मेरी जिंदगी में आई हो, जैसे कोई सपना। मैं तुमसे प्यार करता हूँ।" आरुषि की आँखें भर आईं।
वह कुछ न बोली, बस आरव के सीने से लग गई। बारिश में वे भीगते रहे, लेकिन दिलों की गर्मी ने सब भुला दिया।अब वे प्रेमी थे। आरव आरुषि के लिए गिफ्ट्स लाता – फूल, चॉकलेट्स, और कभी-कभी हाथ से लिखी चिट्ठियाँ। आरुषि उसके लिए खाना बनाती, और कहती, "तुम्हें पसंद आएगा।" वे साथ घूमते – नदी किनारे, बाजार में, और कभी दूर के मंदिर में। आरव कहता, "तुम मेरी दुनिया हो।" आरुषि जवाब देती, "और तुम मेरी खुशी।"लेकिन खुशियाँ ज्यादा दिन नहीं चलीं। आरव के दोस्तों ने उसके पिता को बता दिया। पिता गुस्से से लाल हो गए। "कौन है वह लड़की? गरीब घर की? नहीं चलेगा यह!" उन्होंने आरव को घर बुलाया, और कहा, "तुम्हें दिल्ली जाना होगा, नौकरी जॉइन करो।" आरव रोया, लेकिन पिता नहीं माने। आरुषि को जब पता चला, वह टूट गई। उसने घर पर बताया, तो पिता ने कहा, "बेटी, यह प्यार नहीं, मोह है। भूल जाओ।"आरव दिल्ली चला गया। वहाँ एक कंपनी में जॉब की, लेकिन दिल उदास था। वह रात को आरुषि को कॉल करता, लेकिन सिग्नल कमजोर होता।
चिट्ठियाँ लिखता, लेकिन वे पहुँचती नहीं। आरुषि घर पर रोती, माँ सांत्वना देतीं। "बेटी, समय सब ठीक कर देगा।" लेकिन समय तो जख्म दे रहा था।दो साल बीते। आरव ने अपना म्यूजिक करियर शुरू किया। उसने एक एल्बम रिलीज किया, जो हिट हो गया। गाने में आरुषि की यादें थीं। आरुषि ने नौकरी शुरू की – एक स्कूल में टीचर। वह बच्चों को पढ़ाती, लेकिन दिल में आरव था। एक दिन नेहा ने कहा, "आरुषि, आरव का कॉन्सर्ट है शहर में। चलें?" आरुषि मना करती रही, लेकिन दिल माना नहीं।कॉन्सर्ट में गई। स्टेज पर आरव था, चमकता हुआ। वह गाना गा रहा था – "तेरी यादों में जीता हूँ..." आरुषि की आँखें नम। कॉन्सर्ट के बाद, वह बैकस्टेज गई। आरव ने देखा, दौड़ा आया। "आरुषि! तुम?" दोनों गले मिले, रोए। "मैंने तुम्हें बहुत मिस किया," आरव ने कहा। "मैं भी," आरुषि बोली।वे फिर मिलने लगे। आरव अब सफल था, अपना स्टूडियो था। लेकिन परिवार का दबाव था। आरव के पिता बीमार थे, हार्ट प्रॉब्लम। वे कहते, "बेटा, शादी कर लो, लेकिन हमारे लायक लड़की से।" आरुषि के पिता कहते, "हम गरीब हैं, मत बर्बाद करो जीवन।"फिर वह दिन आया। आरव के पिता को अटैक आया। अस्पताल में थे।
आरव उदास था। आरुषि चुपके से आई। उसने फूल लाए, और पिता से कहा, "अंकल, मैं आरुषि हूँ। आरव बहुत प्यार करता है आपसे।" पिता ने देखा, आरुषि की सादगी, और कहा, "बेटी, तुम अच्छी हो। मैं गलत था।" उन्होंने आशीर्वाद दिया।आरुषि के घर वाले भी मान गए। शादी हुई। मंडप सजा, फूलों से। आरव ने आरुषि की मांग भरी, और वादा किया – "जीवन भर साथ निभाऊँगा।" शादी के बाद, वे हनीमून गए – हिमाचल की वादियों में। वहाँ बर्फ गिर रही थी, वे साथ घूमे, हँसे।लेकिन जीवन क्रूर है। कुछ महीनों बाद, आरुषि को दर्द हुआ। डॉक्टर ने चेक किया – कैंसर। स्टेज थ्री। आरव स्तब्ध। वह कहता, "यह झूठ है।" लेकिन सच था। कीमो शुरू हुई। आरुषि कमजोर हो गई, बाल गिर गए। लेकिन मुस्कुराती रहती। आरव उसके साथ रहता, गाने गाता, कहानियाँ सुनाता। "तुम ठीक हो जाओगी," वह कहता। आरुषि कहती, "आरव, अगर मैं न रहूँ, तो मेरी यादों में जीना।"हालत बिगड़ी। अस्पताल में आखिरी दिन। आरुषि ने आरव का हाथ पकड़ा। "मैं तुमसे प्यार करती हूँ, हमेशा।" आरव रोया, "मत जाओ।" लेकिन आरुषि चली गई। आरव अब अकेला। लेकिन वह जीता है, आरुषि के लिए। उसने एक फाउंडेशन बनाया, कैंसर पेशेंट्स के लिए। उसके गाने अब दुनिया में गूँजते हैं, प्यार की कहानी कहते। लोग कहते हैं, "यह प्यार अमर है।"