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जीजीआईसी में बड़ी भूल, बच्चों संग कैंपस में घंटों बंद रहे पैरेंट्स

गाजीपुर। स्वतंत्रता दिवस पर मंगलवार को राजकीय बालिका इंटर कॉलेज प्रबंधन की घोर लापरवाही सामने आई। अपनी बच्चों संग कॉलेज कैंपस में मां-बाप को घंटों बंद रहना पड़ा। आखिर में मौके पर पहुंची पुलिस किसी तरह सीढ़ीं के जरिये उन्हें कैंपस से बाहर निकाली। 

उस दौरान भीड़ जुट गई थी और हर कोई विद्यालय प्रबंधन को कोस रहा था। कैंपस में बने सुलभ शौचालय के कर्मचारी चंद्रेश रावत की बेटी सुषमा(11) तथा बेटा सुनील(10) कोयलाघाट स्थित अपने विद्यालय में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेकर अपनी मां रसीला देवी के साथ पिता के पास आए। उसी बीच शाम करीब दो बजे चौकीदार कैंपस के मुख्य गेट का ताला चढ़ा कर चला गया। रावत परिवार कैंपस में कैद हो गया। 

संयोग से उनके पास मोबाइल फोन भी नहीं था। दोनों बच्चे गेट के पास रोने लगे। उनकी आवाज कैंपस के बाहर सड़क किनारे नारियल पानी बेचने वाले बुल्ला के कानों में पड़ी। तब बाहर के लोगों को पता चला। बुल्ला ने पिकेट पर तैनात सिपाहियों को जानकारी। उसके बाद यूपी-१०० को फोन किया। फिर सीओ सिटी हृदयानंद सिंह, शहर कोतवाल वगैरह पहुंचे। टेंट हाउस से सीढ़ीं मंगाई गई तब कैंपस में कैद रावत परिवार को किसी तरह बाहर निकाला गया। दोनों बच्चों की मनोदशा देख सीओ सिटी ने उन्हें खिलौने भेंट किए। 

अगर रोने की आवाज बाहर नहीं जाती। फिर विद्यालय दो दिन और बंद रहता तो उस परिवार पर क्या गुजरती। इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटना की जानकारी विद्यालय की प्रिंसिपल ने उन्हें क्यों नहीं दी। यह भी गौर करने की बात है। इस सिलसिले में प्रिंसिपल मालविका सिंह से संपर्क किया गया। उनकी बात से ऐसा लगा कि यह कोई मामूली घटना थी। उल्टे वह रावत परिवार पर ही सवाल खड़ा करने लगीं। कहीं कि शौचालय पर कर्मचारी के परिवार के आने का कोई औचित्य नहीं बनता।
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