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पर्यटन की परियोजनाओं में सात करोड़ का घोटाला, राजकीय निर्माण निगम के इंजीनियरों सहित 12 के खिलाफ एफआइआर

गाजीपुर। पर्यटन विभाग की परियोजनाओं में करोड़ों रुपये के घोटाले की पुष्टि हो गई है। इस मामले में विभाग ने मंगलवार की रात गहमर थाने में एफआइआर दर्ज कराई। उसमें कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन परियोजना निदेशक डीपी सिंह, एई गुरफान अली, जेई जितेंद्र सिंह सहित संबंधित नौ ठेकेदारों को नामजद किया गया है। प्रभारी एसओ गहमर रमेश कुमार ने ग़ाज़ीपुर न्यूज़ से बातचीत में एफआइआर की पुष्टि की। यह इत्तेफाक ही है कि यह घोटाला जमानियां के तत्कालीन विधायक तथा पर्यटन मंत्री रहे ओमप्रकाश सिंह के कार्यकाल में हुआ। 

श्री सिंह की पहल पर वित्तीय साल 2012-13 तथा 2013-14 में राज्य योजना के तहत जमानियां विधानसभा क्षेत्र में करोड़ों की परियोजनाएं मंजूर हुईं थीं। उनमें कई परियोजनाएं पूरी नहीं हुईं लेकिन उनके लिए स्वीकृत रकम उतार ली गई। बीते विधानसभा चुनाव में जमानियां की विधायक सुनीता सिंह चुनी गईं और उनकी पार्टी भाजपा की प्रदेश में सरकार बनी। तब वह इस मामले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाई। 

उसे मुख्यमंत्री गंभीरता से लिए। मौजूदा पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने विभागीय समीक्षा बैठक में इस  मामले की जांच का आदेश दिया। कमिश्नर वाराणसी ने जांच के लिए विभाग को लिखा। विभाग ने बकायदा जांच कमेटी गठित की। कमेटी के सदस्य संबंधित परियोजनाओं का मौके पर पहुंच कर जांच किए। घोटाले की पुष्टि होने के बाद शासन को चिट्ठी लिखे। ऊपर से आदेश मिलने के बाद विभाग के संयुक्त निदेशक वाराणसी अविनाश चंद्र मिश्र अपनी टीम के साथ गहमर थाना मुख्यालय पहुंचे। 

उन्होंने घोटाले में शामिल इंजीनियरों, ठेकेदारों के खिलाफ तहरीर दी। तहरीर में जिन परियोजनाओं में घोटाले की बात कही गई है, उनमें कामाख्या धाम में पर्यटन विकास के साथ ही सेवराई के चीरा पोखरा तथा परेमन पोखरा के सुंदरीकरण के अलावा कीनाराम स्थल देवल व देवकली में पर्यटन विकास की परियोजना शामिल है। इन परियोजनाओं के लिए करीब आठ करोड़ रुपये स्वीकृत थे। 

इस राशि का भुगतान भी हो गया जबकि मौके पर जांच में छह करोड़ 99 लाख 48हजार रुपये से अधिक का घोटाला मिला। एफआइआर के बाद राजकीय निर्माण निगम में हड़कंप मच गया है। मालूम हो कि तत्कालीन परियोजना निदेशक डीपी सिंह तत्कालीन पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह के निर्देश पर निलंबित कर दिए गए थे। वह कार्रवाई किसी दूसरी परियोजना में गड़बड़ी मिलने पर हुई थी। ओमप्रकाश सिंह के प्रतिनिधि मन्नू सिंह ने एफआइआर की कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि अगर किसी परियोजना में गड़बड़़ी मिली है तो ऐसी कार्रवाई जरूरी है।  
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