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सूखे से धान की फसल पर कीड़ों का प्रकोप

गाजीपुर। कृषि विज्ञान केन्द्र, पीजी कालेज, गाजीपुर के सस्य वैज्ञानिक डा. शिव कुमार सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में धान की फसल में किसान भाईयों को चाहिए कि यदि धान की बाली सूखी हुई दिखायी दे रही है तो समझना चाहिए कि धान की फसल में तना छेदक कीड़े का प्रकोप बढ़ गया है, धान में यदि इस तरह की समस्या दिखाई दे रही है तो यह अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरक के प्रयोग करने से समस्या बढ़ती है। 

यदि धान की फसल में संतुलित उर्वरक का प्रयोग किया जाय तो यह समस्या नहीं आता है। इस समस्या से निपटने हेतु 20 से 25 किग्रा0 फिप्रोनिल प्रति हेक्टेयर नमी की अवस्था में खड़ी फसल में डाल देना चाहिए, जिससे इसका नियंत्रण किया जा सके।यदि धान की बाल में कहीं-कहीं पीले रंग के गोले दिखाई दे रहे हैं तो समझना चाहिए कि धान की फसल में लैढ़ा (झूलसा कण्डुआ) का प्रकोप हो रहा है। इसके नियंत्रण हेतु प्रोपीकोना जोल 400 मिली0 तथा 6.0 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन प्रति एकड़ की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर एक सप्ताह के अन्दर दो स्प्रे करना लाभदायक रहता है।
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