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गाजीपुर नगर पालिका : जन-सुविधाओं के मुद्दों पर हावी हो रही है जातिवाद की राजनीति

गाजीपुर। नगरपालिका गाजीपुर के अध्‍यक्ष पद के चुनाव में जनता के बुनियादी सुविधाओं के मुद्दों पर जातिवादी राजनीति हावी हो रही है। मुहल्‍लों के नुक्‍कड़ पर स्थित चाय की दुकानों से लेकर ड्राइंग रुमों पर केवल जाति-बिरादरी को जोड़कर प्रत्‍याशियों की हैसियत आंकी जा रही है। गाजीपुर नगरपालिका में करीब 88894 हजार मतदाता हैं। अभी तक भाजपा या इससे समर्थित उम्‍मीदवार ही वर्षो से अध्‍यक्ष पर पर काबिज हैं। पिछले तीन बार से भाजपा के प्रत्‍याशी स्‍व. रोहणी कुमार मुन्‍ना अध्‍यक्ष पद पर काबिज रहें। 

इसके बाद भाजपा के विनोद अग्रवाल अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दल प्रत्‍याशी शरीफ राईनी को पराजित कर अध्‍यक्ष बनें। विनोद अग्रवाल अपने पूरे कार्यकाल में पूर्व मंत्री विजय मिश्रा से जंग लड़ते रहें जिससे पूरा शहर जन-सुविधाओं से वंचित रहा। कार्यकाल के अंतिम चरण में दोनों नेताओं ने अपना अंत निकट देखकर सुलह कर लिया। लेकिन यह बात उपर वाले को अच्‍छी नही लगी और पूर्व मंत्री विजय मिश्रा का टिकट कट गया। 

अब देखना है कि विनोद अग्रवाल का क्‍या होगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। इस चुनाव में जन-सुविधाओं का मुद्दा जैसे सड़क, सफाई, नाली-खड़ंजा गृहकर आदि जैसी समस्‍याएं नेताओं के जुबान पर नही आ रहे हैं। नेता केवल भाजपा के साथ छोटी बिरादरी को जोड़कर अपनी लड़ाई सीधे बसपा से दिखा रहे हैं। जिससे कि चुनाव में हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा गरमाया जा सके। बसपा के नेता भी अंसारी बंधुओं का हवाला देते हुए मुस्लिम और दलित वोटों पर कब्‍जा दिखाकर हाथी को बलवान बता रहे हैं। 

वहीं समाजवादी पार्टी के समर्थक सवर्ण मतदाता प्‍लस यादव और मुसलमान को लेकर साइकिल की रफ्तार तेज दिखा रहे हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आने वाला समय बतायेगा। लेकिन नगरवासियों के सुविधाओं की बात न कर यह नेता केवल जातिवादी राजनीति को हवा दे रहे हैं जो शहर के लिए शुभ नही है।

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