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गाजीपुर: खतरे के आवास में रहते हैं पुलिस के परिवार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर औरो की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे पुलिसकर्मी अपने परिजनों की हिफाजत को लेकर असहाय हैं। नौकरी की एवज में इन्हें सरकारी आवास उपलब्ध तो कराए गए हैं, मगर इनकी देखरेख को लेकर विभाग को फिक्र नहीं है। आलम ये है कि लंबे समय से इनकी मरम्मत न होने से ये आवास खंडहर हो रहे हैं। कहीं छत टपकती है तो कहीं दीवारें दरक चुकी हैं। 

पुलिसकर्मियों के परिजनों के लिए ऐसे आवास हर वक्त खतरे की घंटी बजाते हैं। पुलिस लाइन में कर्मचारियों के सैकड़ो सरकारी आवास बनाए गए। वही सदर कोतवाली थाने परिसर में भी दर्जनो आवास बना दिए गए, लेकिन सालों से उनकी देखरेख नहीं की गई। आवासों की हालत तो ऐसी है कि वह रहने लायक ही नहीं हैं। लेकिन मजबूरी में पुलिसकर्मी और उनका परिवार रहता है। किसी का दरवाजा टूटा है, तो किसी के जंगले उखड़ गए हैं। छत का प्लास्टर आए दिन टूटकर जमीन पर गिर जाता है। 

दीवारों और छतों की हालत ऐसी ही कि उनमें पड़ी दरारों में घास उग आई है। जरा सी बारिश में छतों के जरिए कमरों में पानी भर जाता है। वही अन्य सरकारी आवासीय कॉलोनियों की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। कर्मचारियो को परिवार के साथ रहने की सुविधा तो सरकार ने उपलब्ध करा दिया है। 

लेकिन उनका भी परिवार हमेशा खतरे में ही जीवन जीने को मजबूर है। पुलिस आवासों में बिजली व्यवस्था भी भगवान भरोसे है। आवासों में बिजली की फिटिंग ऐसी है कि कमरे के अंदर और बाहर खुले तार दौड़ते हैं। कभी भी हादसे की आशंका परिवार को डरा देती है। जर्जर आवासों में पुलिसकर्मियों का परिवार रहता है, लेकिन शिकायत से परिजन परहेज करते हैं। किराए का मकान महंगा पड़ता है। पुलिसकर्मियों के वेतन से आवास के नाम पर लगभग 600 रुपये हर माह कटते हैं।

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